भारत में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया: सुप्रीम कोर्ट

By भाषा | Published: September 14, 2019 06:02 AM2019-09-14T06:02:10+5:302019-09-14T06:02:10+5:30

पीठ ने 31 पृष्ठ के अपने फैसले में कहा, ‘‘हालांकि हिंदू अधिनियमों को वर्ष 1956 में संहिताबद्ध किया गया था, लेकिन इस अदालत के प्रोत्साहन के बाद भी देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है ...।’’

No Attempt Despite Our Efforts Since 1982 Supreme Court Bats for Framing Uniform Civil Code | भारत में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया: सुप्रीम कोर्ट

प्रतीकात्मक फोटो

Highlightsशीर्ष अदालत ने इस सवाल पर भी गौर किया कि क्या पुर्तगाली नागरिक संहिता को विदेशी कानून कहा जा सकता है। गोवा भारत का क्षेत्र है, गोवा के सभी लोग भारत के नागरिक हैं।

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को देश के नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता तैयार किए जाने पर बल दिया और अफसोस जताया कि सर्वोच्च अदालत के ‘‘प्रोत्साहन’’ के बाद भी इस मकसद को हासिल करने का कोई प्रयास नहीं किया गया। न्यायालय ने गौर किया कि गोवा एक ‘‘बेहतरीन उदाहरण’’ है जहां समान नागरिक संहिता है और धर्म की परवाह किए बिना सब पर लागू है, ‘‘सिवाय कुछ सीमित अधिकारों की रक्षा करते हुए।’’

न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने एक फैसले में यह टिप्पणी की जिसमें उसने कहा कि देश में कहीं भी रह रहे गोवावासी का संपत्ति से जुड़ा उत्तराधिकार और दाय अधिकार पुर्तगाली नागरिक संहिता, 1867 से नियंत्रित होगा। पीठ ने कहा कि यह गौर करना दिलचस्प है कि राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों से जुड़े भाग चार में संविधान के अनुच्छेद 44 में निर्माताओं ने उम्मीद की थी कि राज्य पूरे भारत में समान नागरिक संहिता के लिए प्रयास करेगा। लेकिन आज तक इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

पीठ ने 31 पृष्ठ के अपने फैसले में कहा, ‘‘हालांकि हिंदू अधिनियमों को वर्ष 1956 में संहिताबद्ध किया गया था, लेकिन इस अदालत के प्रोत्साहन के बाद भी देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है ...।’’ शीर्ष अदालत ने इस सवाल पर भी गौर किया कि क्या पुर्तगाली नागरिक संहिता को विदेशी कानून कहा जा सकता है। पीठ ने कहा कि ये कानून तब तक लागू नहीं होते जब तक कि भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं हो और पुर्तगाली नागरिक संहिता भारतीय संसद के एक कानून के कारण गोवा में लागू है।

पीठ ने कहा, ‘‘इसलिए, पुर्तगाली कानून जो भले ही विदेशी मूल का हो, लेकिन वह भारतीय कानूनों का हिस्सा बना और सार यह है कि यह भारतीय कानून है। यह अब विदेशी कानून नहीं है। गोवा भारत का क्षेत्र है, गोवा के सभी लोग भारत के नागरिक हैं।’’

Web Title: No Attempt Despite Our Efforts Since 1982 Supreme Court Bats for Framing Uniform Civil Code

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे