प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने भारी मुश्किल, नीति आयोग की बैठक में नहीं होंगे नीतीश कुमार और केसीआर, आखिर क्या है सियासी समीकरण

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: August 7, 2022 03:19 PM2022-08-07T15:19:49+5:302022-08-07T15:27:43+5:30

प्रधानमंई नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की बैठक में बंगाल सहित सभी राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद हैं लेकिन तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बैठक में नहीं शामिल हो रहे हैं।

Nitish Kumar and KCR will not be present in the meeting of NITI Aayog, what is the political equation in front of Prime Minister Narendra Modi | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने भारी मुश्किल, नीति आयोग की बैठक में नहीं होंगे नीतीश कुमार और केसीआर, आखिर क्या है सियासी समीकरण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने भारी मुश्किल, नीति आयोग की बैठक में नहीं होंगे नीतीश कुमार और केसीआर, आखिर क्या है सियासी समीकरण

Highlightsप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की संचालन परिषद की सातवीं बैठक हो रही हैइस बैठक बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत लगभग सभी राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद हैंलेकिन तेलंगाना के केसीआर और बिहार के नीतीश कुमार ने बैठक से दूरी बनाई हुई है

दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को नीति आयोग की संचालन परिषद की सातवीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं। इस बैठक में भाग लेने के लिए बंगाल सहित सभी राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद हैं लेकिन तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बैठक में नहीं शामिल हो रहे हैं।

केंद्र सरकार के मुताबिक नीति आयोग की इस बैठक का उद्देश्य "एक स्थिर, टिकाऊ और समावेशी भारत के निर्माण की दिशा में केंद्र और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच सहयोग के एक नए युग की दिशा में तालमेल का मार्ग प्रशस्त करना है।"

लेकिन मोदी सरकार के ऐसे संकल्प के बीच नीतीश कुमार और केसीआर का न होना किसी बड़े सियासी उठा-पटक की ओर इशारा कर रहा है। वैसे तेलंगाना में सियासी जमीन तलाश रही भाजपा के आक्रामक नीति को प्रबल विरोधी केसीआर ने इस मामले में बीते शनिवार को अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए केंद्र सरकार पर राज्यों के साथ पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा गया है कि वो इस बैठक में शामिल नहीं होंगे क्योंकि इस बैठक से राज्यों के लिए कोई फायदा होने वाला नहीं है।

वहीं एनडीए के घटक दल जनता दल यूनाइटेड के मुखिया और बिहार में सत्ता की कमान संभाले नीतीश कुमार ने कोरोना पीड़ित होने का हवाला देते हुए इस बैठक से किनारा कर लिया। हालांकि उन्होंने बिहार सरकार के प्रतिनीधि के तौर पर अपनी जगह किसी अन्य को भेजने का प्रस्ताव भेजा था, जिसे केंद्र सरकार की ओर खारिज कर दिया गया था। ऐसे में कयास लग रहे हैं कि तेलंगाना और बिहार की सत्ता सीधे तौर पर केंद्र से टकराव लेने का प्रयास कर रहे हैं। 

अगर हम तेलंगाना राष्ट्र समिति के प्रमुख और सीएम केसीआर की बात करें तो उन्होंने शनिवार को बयान जारी करके अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा, "मैं राज्यों के साथ भेदभाव करने और उनके साथ उचित व्यवहार नहीं करने की केंद्र सरकार की वर्तमान प्रवृत्ति के खिलाफ मजबूत विरोध में  इस बैठक से दूर रह रहा हूं। राष्ट्र को मजबूत और विकसित बनाने के हमारे सामूहिक प्रयास में वे हमें समान भागीदार के रूप में नहीं मानते हैं।"

केसीआर ने कहा, "गवर्निंग काउंसिल एक ऐसा मंच है जहां केंद्र और राज्य स्तर पर देश में सर्वोच्च राजनीतिक नेतृत्व प्रमुख विकास संबंधी मुद्दों पर विचार-विमर्श करता है। और राष्ट्रीय विकास के लिए उपयुक्त समाधानों पर सहमत होते हैं लेकिन मौजूदा केंद्र सरकार राज्य और केंद्र के संबंध में समन्वयकारी न होकर एकतरफा संबंध को आरोपित करने के प्रयास कर रहे हैं लिहाजा यह बैठक राज्य के हितों की रक्षा कर पायेगा, इसमें मुझे भारी संदेह है। इस कारण मैं नीति आयोग की बैठक के बहिष्कार की घोषणा करता हूं।"

दरअसल तेलंगाना में आयोजित भाजपा के अधिवेशन के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए दक्षिण भारत और खासकर तेलंगाना को साधने के लिए जैसे ही अपना कदम आगे रखा, केसीआर अलर्ट मोड पर आ गये हैं। केसीआर कांग्रेस के विरोधी तो हैं ही लेकिन मौजूदा सियासत में उन्हें भाजपा ज्यादा बड़ा खतरा लग रहा है।

वहीं अगर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बात करें तो कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार बीते कुछ समय से बिहार विधानसभा के स्पीकर विजय कुमार सिन्हा के कथित आक्रामक रवैया से बेहद आहत हैं। वो कई बार भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से उन्हें हटाने की बात तह चुके हैं लेकिन भाजपा ने ऐसा नहीं किया। संख्याबल में भाजपा से काफी पीछे नीतीश कुमार सीएम की गद्दी पर बैठे तो हैं लेकिन कई कारणों से उन्हें एहसास हो रहा है कि भाजपा ने उन्हें बड़े भाई के तौर पर खारिज कर दिया है।

यही कारण है कि बिहार में भाजपा के सहयोग से सरकार चला रहे नीतीश कुमार ने एनडीए की ओर से बनाई गईं भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के दिल्ली में आयोजित शपथ समारोह से दूरी बनाकर रखी। कोरोना के कारण होम क्वारंटीन में चल रहे नीतीश कुमार को इस बात की भी नाराजगी है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार विधानसभा के शताब्दी वर्ष के कार्यक्रम में पहुंचे थे तो वहां भी उन्हें वो तवज्जों नहीं मिली, जिसकी उन्हें उम्मीद थी।

हाल में बिहार पुलिस ने पटना के नजदीक फुलवारी शरीफ में कुछ संदिग्धों को आतंकी गतिविधियों के आरोप में पकड़ा, बिहार पुलिस अभी मामले की जांच कर रही थी कि केंद्र सरकार ने यह मामला एनआईए को सौंप दिया और नीतीश कुमार को इस बात की जानकारी तब हुई जब एनआईए की टीम बिहार पुलिस के मुख्यालय पहुंची और उनसे जांच से संबंधित सारे मामले अपने पास ले लिया।

जानकारी के मुताबिक बिहार पुलिस की कार्रवाई के बीच एनआईए की हुई दस्तक से भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नाराज हैं। रही सही कसर बिहार भाजपा के शीर्ष पदाधिकारियों का बयान पूरा कर दे रहा है। बिहार के मौजूदा सियासी हालात को देखते हुए यह तो स्पष्ट है कि नीतीश कुमार सरकार भले ही चला रहे हैं लेकिन वो अपने सहयोगी भाजपा से उतने संतुष्ट नहीं हैं।

इस बीच आरसीपी सिंह की बगावत के कारण नीतीश कुमार के मन से यह संदेह भी साफ हो गया कि आरपीसी सिंह अपने बल पर उनसे लोहा लेने का माद्दा नहीं रखते हैं। केंद्र में मंत्री बनाये जाने के बाद आरसीपी सिंह की बिहार भाजपा के पूर्व प्रभारी और केंद्रीय मंत्री  भूपेंद्र यादव से बढ़ी नजदीकी के कारण जदयू में भारी फसाद मचा हुआ है।

वैसे भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार भाजपा की गोलबंदी में कहीं से फिट नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में कयास यही लग रहे हैं कि नीतीश कुमार फिर पाला बदल कर राजद के साथ खेमेबंदी कर सकते हैं, लिहाजा साथ में सरकार चलाने के बावजूद जदयू और भाजपा एक-दूसरे को शक की निगाह से देख रहे हैं।

जहां तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की बैठक का सवाल है तो केसीआर और नीतीश कुमार की गैर-हाजिरी के कारण इतना तो स्पष्ट है कि केंद्र और राज्यों के बीच रिश्ते उतने सहज नहीं रह गये हैं, जैसा की पहले हुआ करते थे।

Web Title: Nitish Kumar and KCR will not be present in the meeting of NITI Aayog, what is the political equation in front of Prime Minister Narendra Modi

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