दोपहिया वाहनों पर शुल्क लगाने के प्रस्ताव पर नीति आयोग से भारी उद्योग मंत्रालय का हुआ मतभेद
By भाषा | Published: December 9, 2018 11:43 PM2018-12-09T23:43:20+5:302018-12-09T23:43:20+5:30
इलेक्ट्रिक वाहनों को सब्सिडी देने के लिए दोपहिया वाहनों पर फीबेट (एक तरह का शुल्क या छूट) लगाने के नीति आयोग के प्रस्ताव पर भारी उद्योग मंत्रालय और आयोग के बीच मतभेद उभर आए हैं. मंत्रालय ने दोपहिया वाहनों पर शुल्क लगाने को लेकर चिंता व्यक्त की है क्योंकि इससे न सिर्फ कीमतें बढ़ेंगी, बल्कि इस कर के संग्रह से जुड़ी व्यावहारिक चुनौतियां भी आएंगी.
भारी उद्योग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ''नीति आयोग का कहना है कि वे शुल्क के माध्यम से पूंजी एकत्र करेंगे और इसका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सब्सिडी देने में किया जाएगा. हमने उन्हें समझाया है कि इलेक्ट्रिक वाहनों पर 12 प्रतिशत जीएसटी है जबकि पेट्रोल-डीजल वाले वाहनों पर 28 प्रतिशत जीएसटी है. इस लिहाज से पहले ही 16 प्रतिशत की छूट दी जा रही है.''
भारी उद्योग मंत्रालय देश के वाहन क्षेत्र के विकास के लिए योजनाओं और नीतियों को लागू करने का काम करता है. अधिकारी ने कहा कि देश में हर साल करीब 2 करोड़ दोपहिया वाहन बेचे जाते हैं. नीति आयोग की गणना के हिसाब से यदि प्रति वाहन 500 रुपए का भी शुल्क लगाया जाता है तो करीब 10,000 करोड़ रुपए एकत्र हो सकते हैं.
हालांकि, दिक्कत यह है कि इसे एकत्र कौन करेगा क्योंकि अब सभी उपकर जीएसटी के अंदर सम्मिलित हो गए हैं. फीबेट एक तरह का शुल्क और छूट प्रणाली है, जिसमें ऊर्जा-दक्ष या पर्यावरण अनुकूल गतिविधियों को पुरस्कृत किया जाता है. इस तरह की गतिविधियों का पालन करने में नाकाम रहने पर दंडित किया जाता है.