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निर्भया केस: वकील ने की दोषियों के मृत्युदंड पर रोक लगाने की मांग, अदालत का तिहाड़ और पुलिस को नोटिस

By भाषा | Updated: March 19, 2020 06:03 IST

एक निचली अदालत ने पांच मार्च को मामले के चार दोषियों - मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को 20 मार्च की सुबह साढ़े पांच बजे फांसी देने के लिए मृत्यु वारंट जारी किया था। सबसे पहले सात जनवरी को वारंट जारी किये गए थे जिन्हें तब से चार बार टाला जा चुका है क्योंकि दोषियों के पास कानूनी उपाय अब भी बचे हुए थे।

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ठळक मुद्देनिर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में मौत की सजा पाए चार दोषियों के वकील ने बुधवार को यहां एक याचिका दायर कर अदालत से उनके मृत्युदंड पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि उनकी दूसरी दया याचिका अब भी लंबित है।अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने इस याचिका पर तिहाड़ जेल के अधिकारियों और पुलिस को नोटिस जारी करते हुए कहा कि वह इस पर गुरुवार को सुनवाई करेंगे।

निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में मौत की सजा पाए चार दोषियों के वकील ने बुधवार को यहां एक याचिका दायर कर अदालत से उनके मृत्युदंड पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि उनकी दूसरी दया याचिका अब भी लंबित है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने इस याचिका पर तिहाड़ जेल के अधिकारियों और पुलिस को नोटिस जारी करते हुए कहा कि वह इस पर गुरुवार को सुनवाई करेंगे।

एक निचली अदालत ने पांच मार्च को मामले के चार दोषियों - मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को 20 मार्च की सुबह साढ़े पांच बजे फांसी देने के लिए मृत्यु वारंट जारी किया था। सबसे पहले सात जनवरी को वारंट जारी किये गए थे जिन्हें तब से चार बार टाला जा चुका है क्योंकि दोषियों के पास कानूनी उपाय अब भी बचे हुए थे।

दोषी अक्षय सिंह ने मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष दूसरी दया याचिका दायर की थी। उसी दिन एक अन्य दोषी पवन गुप्ता ने भी उच्चतम न्यायालय में सुधारात्मक याचिका दायर की जिसमें उसने अपने किशोर होने से जुड़ी पुनर्विचार याचिका खारिज किये जाने को चुनौती दी थी।

विशेष लोक अभियोक राजीव मोहन ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि यह स्वीकार करने योग्य नहीं है। न्यायाधीश ने इस पर तीन दोषियों की तरफ से पेश हो रहे अधिवक्ता ए पी सिंह से पूछा कि उन्होंने कार्यदिवस के अंत में याचिका क्यों दायर की जबकि वह जानते हैं कि फांसी में सिर्फ एक दिन का वक्त बचा है। इस पर सिंह ने कहा कि दोषियों द्वारा दायर विभिन्न याचिकाओं से संबंधित कामों में वह व्यस्त थे क्योंकि ये याचिकाएं विभिन्न अदालतों में लंबित हैं।

अक्षय, विनय और पवन की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि अक्षय और पवन द्वारा दायर दूसरी दया याचिका राष्ट्रपति के समक्ष लंबित है। याचिका में कहा गया कि सजा पर रोक चौथे दोषी मुकेश पर भी लागू होगा क्योंकि उसे अलग से फांसी नहीं दी जा सकती।

याचिका में यह भी कहा गया कि अक्षय की पत्नी द्वारा दायर तलाक संबंधी याचिका बिहार की एक स्थानीय अदालत में लंबित है। याचिका में कहा गया कि दया याचिका पर विचार के लिये समय चाहिए और इसलिये फांसी की मौजूदा तारीख 20 मार्च को बरकरार नहीं रखी जा सकती इसलिये इसे खारिज किया जाए।

यह मामला 16 दिसंबर 2012 को दक्षिणी दिल्ली में एक चलती बस में 23 वर्षीय फिजियोथेरेपी इंटर्न के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हमले से जुड़ा है। बाद में सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई थी।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दोषी मुकेश की याचिका खारिज की

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या के चार में से एक दोषी मुकेश सिंह की याचिका को बुधवार को खारिज कर दिया। इस याचिका में उसने निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिनमें उसके इस दावे को खारिज किया गया था कि 16 दिसंबर 2012 को जब जुर्म हुआ तब वह दिल्ली में नहीं था।

न्यायमूर्ति ब्रृजेश सेठी ने कहा कि निचली अदालत के विस्तृत और तर्कपूर्ण आदेश में दखल देने का कोई आधार नहीं है। उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि यह बताने के लिए रिकॉर्ड पर कुछ भी नहीं है कि इस मामले में मुकदमा किसी भी साक्ष्य को छिपाने के कारण प्रभावित हुआ।

उच्च न्यायालय ने मुकेश सिंह की याचिका खारिज करते हुए कहा, “निचली अदालत की ओर से पारित किए गए आदेश में कोई झोल, अवैधता या अनियमितता नहीं है।”

निचली अदालत ने मंगलवार को उसकी याचिका को खारिज कर दिया था और बार काउंसिल ऑफ इंडिया से कहा था कि उसके वकील को परामर्श दिया जाए। पांच मार्च को एक निचली अदालत ने मुकेश, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय सिंह को फांसी देने के लिए नया मृत्यु वारंट जारी किया था। चारों दोषियों को 20 मार्च को सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दी जाएगी।

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