निर्भया मामला: अदालत ने दोषी पवन के लिए वकील नियुक्त किया
By भाषा | Published: February 13, 2020 10:53 PM2020-02-13T22:53:43+5:302020-02-13T22:53:43+5:30
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) ने गुप्ता के पिता को अपने पैनल में शामिल वकीलों की सूची दी थी। तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने अदालत को सूचित किया कि उसने डीएलएसए की कानूनी मदद की पेशकश को ठुकरा दिया है। अदालत ने रवि काजी को वकील नियुक्त किया।
दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के चार दोषियों में से एक पवन गुप्ता का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक वकील नियुक्त किया। इससे पहले गुप्ता ने डीएलएसए द्वारा की गयी कानूनी मदद की पेशकश को ठुकरा दिया था। इस मामले में सभी चार दोषियों को मौत की सजा सुनायी गयी है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने इसके बाद दोषियों के खिलाफ मौत का वारंट जारी करने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी।
अदालत ने बुधवार को गुप्ता के लिए वकील की पेशकश की थी और उसकी ओर से प्रक्रिया में देरी पर नाराजगी जतायी थी। गुप्ता ने कहा कि उसने अपने पहले वकील को हटा दिया है और उसे नये वकील के लिए समय चाहिए।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) ने गुप्ता के पिता को अपने पैनल में शामिल वकीलों की सूची दी थी। तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने अदालत को सूचित किया कि उसने डीएलएसए की कानूनी मदद की पेशकश को ठुकरा दिया है। अदालत ने रवि काजी को वकील नियुक्त किया।
वह डीएलएसए के सचिव के निर्देश पर अदालत में उपस्थित हुए। सुनवाई के दौरान निर्भया के अभिभावकों ने न्यायाधीश से कहा कि दोषी अदालत और समाज के धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं और वे ‘‘विलासितापूर्ण जीवन’’ जी रहे हैं।
निर्भया के अभिभावकों की ओर से पेश वकील जीतेंद्र कुमार झा ने कहा कि अदालत को अपराधियों की मानसिकता देखनी चाहिए और यह भी देखनी चाहिए कि वे किस प्रकार कानून का दुरुपयोग कर रहे हैं। समाज के धैर्य की परीक्षा ली जा रही है।
उन्होंने अनुरोध किया कि अदालत को मौत वारंट जारी करना चाहिए। मामले में कुछ दोषियों के वकील ए पी सिंह ने विलासितापूर्ण जीवन शब्द पर आपत्ति जतायी और कहा कि यह कहना गलत है कि वे विलासितापूर्ण जीवन जी रहे हैं।
गुप्ता के लिए वकील नियुक्त किए गए काजी ने कहा कि कानून ने विकल्प दिया है और अभियुक्तों ने इसे नहीं बनाया है। हमें उपलब्ध विकल्पों का उपयोग करने का अधिकार है।
इस मामले में चार दोषियों में से सिर्फ गुप्ता ने ही अभी तक सुधारात्मक याचिका दायर नहीं की है। यह किसी व्यक्ति के लिए आखिरी कानूनी विकल्प होता है। इसके अलावा उसके पास दया याचिका का विकल्प भी है। इससे पहले अदालत ने डीएलएसए को निर्देश दिया था कि वह अपने पैनल में शामिल वकीलों की सूची पवन के पिता को उपलब्ध कराए।