Radia Tapes: जब सरकार ने मानी थी फोन टैप करवाने की बात

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 19, 2021 07:29 PM2021-07-19T19:29:52+5:302021-07-19T19:38:00+5:30

राडिया टेप्स के सामने आने बाद यह स्पष्ट हो गया था कि 2009 में मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल के गठन और 2जी स्पैक्ट्रम घोटाले में सरकार, बड़े व्यावसायिक घरानों और मीडिया के बीच के किस तरह का नेक्सस काम कर रहा था। इस बातचीत के केंद्र में ए राजा को यूपीए-2 में दूरसंचार मंत्री बनाए रखना ही था।

Nira Radia case: when Manmohan government accepted phone tapping allegations | Radia Tapes: जब सरकार ने मानी थी फोन टैप करवाने की बात

मनमोहन सरकार ने टैप करवाएं थे नीरा राडिया के फोन कॉल्स

Highlightsए राजा को यूपीए-2 में दूरसंचार मंत्री बनाने को लेकर थी सारी बातचीतमनमोहन सरकार ने टैप करवाएं थे नीरा राडिया के फोन कॉल्सराडिया पर 9 साल में 300 करोड़ की कंपनी खड़ी करने के था आरोप

फोन टैपिंग की बात हो और नीरा राडिया टेप का जिक्र न हो ऐसा हो नहीं सकता। 2010-2011 में राडिया टेप्स ने राजनीतिक दलों, कॉरपोरेट घरानों और मीडिया के बीच की दिलचस्प कड़ी को उजागर किया था।

आउटलुक ने प्रकाशित किए थे सारे टेप्स

2010 में आउटलुक मैग्जीन ने सबसे पहले राडिया के 140 टेप्स को सार्वजनिक कर मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक में खलबली मचा दी थी। इन फोन रिकॉर्डिंग्स में नीरा राडिया की बातचीत से ज़ाहिर हुआ कि ए राजा को तत्कालीन यूपीए सरकार में दूरसंचार मंत्री बनाने के लिए किस तरह की बातचीत चल रही थी और इसे लेकर करुणानिधि के परिवार में किस तरह की खींचतान चल रही थी। पहले 140 टेप जारी करने के बाद आउटलुक ने 800 नए टेप भी प्रकाशित किए थे।

इन सभी टेप्स के सामने आने बाद यह स्पष्ट हो गया था कि 2009 में मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल के गठन और 2जी स्पैक्ट्रम घोटाले में सरकार, बड़े व्यावसायिक घरानों और मीडिया के बीच के किस तरह का नेक्सस काम कर रहा था। इस बातचीत के केंद्र में ए राजा को यूपीए-2 में दूरसंचार मंत्री बनाए रखना ही था।

मनमोहन ने मानी थी फोन टैपिंग की बात

नीरा राडिया देश के दो बड़े उद्योगपतियों रतन टाटा और मुकेश अंबानी की कंपनियों के लिए जनसंपर्क का काम करती थीं लेकिन टेप आने के बाद कहा जाने लगा की दरअसल वह इन कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट दलाल का काम करती थीं। टेप सार्वजनिक होने पर पता चलता कि राडिया अपनी ग्राहक कंपनियों को लाभ पहुँचाने के लिए पत्रकारों से लेकर राजनेताओं का किस तरह इस्तेमाल करती रही थीं।

उस वक्त मनमोहन सरकार ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा था कि सरकार नीरा राडिया की बातचीत आयकर महानिदेशालय के निर्देश पर ही टेप कर रही थी। सरकार के मुताबिक ऐसा वित्त मंत्रालय को मिली एक शिकायत के बाद किया गया था जिसमें नीरा राडिया पर सिर्फ़ नौ साल में 300 करोड़ की कंपनी खड़ी करने के आरोप लगाए गए थे।

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Web Title: Nira Radia case: when Manmohan government accepted phone tapping allegations

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