एनआईए ने बॉम्बे हाईकोर्ट में कहा, 'वरवर राव के खिलाफ आरोप सिद्ध होने पर मौत की सजा हो सकती है'

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 21, 2022 06:35 PM2022-03-21T18:35:41+5:302022-03-21T18:45:07+5:30

एनआईए की ओर से बॉम्बे हाईकोर्ट में पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि वरवर राव पर बहुत ही गंभीर अपराध के आरोप हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित है। अगर राव पर अपराध सिद्ध होता है तो उन्हें मौत की सजा भी मिल सकती है।

NIA says in Bombay High Court, 'If charges are proved against Varavara Rao, there may be death penalty' | एनआईए ने बॉम्बे हाईकोर्ट में कहा, 'वरवर राव के खिलाफ आरोप सिद्ध होने पर मौत की सजा हो सकती है'

फाइल फोटो

Highlightsसरकारी वकिल ने कहा वरवर राव को जेल में या सरकारी अस्पताल में चिकित्सा सुविधा दी जाएगीवरवर राव के खिलाफ गंभीर आरोप हैं, अगर अपराध सिद्ध होता है तो मौत की सजा भी मिल सकती हैराव के वकिल ने पूछा कि आप तलोजा जेल में राव कैसे इलाज करेंगे, वहां तो डॉक्टर भी नहीं है

मुंबई: राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट से एल्गार परिषद माओवादी लिंक मामले के आरोपी कवि-कार्यकर्ता वरवर राव द्वारा दायर स्थायी चिकित्सा जमानत याचिका को खारिज करने का आग्रह करते हुए कहा कि उनके खिलाफ बहुत गंभीर आरोप हैं और अगर वो साबित हो गये तो उन्हें मौत की सजा भी हो सकती है।

एनआईए की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि 83 साल के राव "नियमित बुढ़ापे से संबंधित मुद्दों" से पीड़ित हैं और जांच एजेंसी उन्हें यह भरोसा देने के लिए तैयार है कि जरूरत पड़ने पर उन्हें जेल या सरकारी अस्पताल में आवश्यक चिकित्सा सहायता प्रदान की जाएगी।

इसके साथ ही अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा, "यह एक बहुत ही गंभीर अपराध है जो राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित है। अगर राव पर अपराध सिद्ध होता है तो उन्हें मौत की सजा भी मिल सकती है।"

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कोर्ट से पूछा, "हम कोई एक्सपर्ट नहीं हैं और पूरी तरह से डॉक्टरों की रिपोर्ट पर भरोसा कर रहे हैं। उन्हें पिछले साल हाईकोर्ट ने डॉक्टरी रिपोर्ट के आधार पर अस्थायी चिकित्सा जमानत दे दी थी। उस अपील में रावल की ओर से कहा गया था कि उन्हें निरंतर चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता है। अब जब वह छुट्टी के लिए फिट हैं, तो सवाल उठता है कि स्थायी चिकित्सा जमानत किस आधार पर दी जाए? क्या इसका मतलब यह है कि वह तब उनके खिलाफ मुकदमा चलता रहेगा वो जमानत पर ही रहेंगे।"

हालांकि मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस एसबी शुक्रे और जस्टिस एसएम मोदक की  बेंच ने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 437 विशेष परिस्थितियों में स्थायी जमानत का प्रावधान है, उन प्रावधानों में आरोपी व्यक्ति के बीमार होने की शर्त भी शामिल है।

इसके जवाब में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कोर्ट के सामने अपना तर्क रखते हुए कहा कि सरकारी जेजे अस्पताल के डॉक्टर किसी भी बीमारी का इलाज करने के लिए पर्याप्त रूप से सक्षम हैं और राव को जब भी आवश्यकता होगी, वहां उनकी पर्याप्त देखभाल की जाएगी।

इसके साथ ही सिंह ने अदालत से कहा, "अन्य सभी कैदियों को जेजे अस्पताल ले जाया जाता है। उनका इलाज वहां समान रूप से होता है और  मानवीय दृष्टिकोण से सभी को स्थायी चिकित्सा जमानत देकर जेल से मुक्त नहीं किया जा सकता है।" वहीं राव के वकील आनंद ग्रोवर ने कोर्ट में दोहराया कि 83 साल के तेलुगु कवि को हाल ही में "पार्किंसंस रोग" के लक्षण दिखाई दिये हैं और वो अपनी रोज की दैनिक क्रिया भी ठीक से नहीं कर पा रहे हैं। 
        
उन्होंने कहा कि राव की स्वास्थ्य स्थिति और तलोजा जेल में सुविधाओं को देखते हुए पिछले साल हाईकोर्ट ने ही उन्हें अस्थायी चिकित्सा जमानत दिया था। इसके साथ ही ग्रोवर ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह से पूछा, "आप तलोजा जेल में राव की गंभीर स्थिति की निगरानी कैसे करेंगे, जहां आपके पास एक एलोपैथिक का डॉक्टर भी नहीं है।" 

ग्रोवर ने कहा, ‘‘ मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं कि आरोप साबित नहीं होंगे, मुझे कब तक इंतजार करना चाहिए। क्या इसके पहले ही मुझे मर जाना चाहिये। इस मामले में एक सहआरोपी स्टेन स्वामी की पहले ही मौत हो चुकी है।’’

Web Title: NIA says in Bombay High Court, 'If charges are proved against Varavara Rao, there may be death penalty'

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