धरती से करीब 1.5 से 3.9 अरब प्रकाश वर्ष दूर नए तारे बन रहे हैं, बौनी आकाशगंगा के गठन का पता चला, अध्ययन में खुलासा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 30, 2022 06:45 PM2022-07-30T18:45:41+5:302022-07-30T18:48:09+5:30

संयुक्त राज्य अमेरिका के आईबीएम अनुसंधान विभाग में एक प्रमुख शोधकर्ता ब्रूस एल्मेग्रीन, जो अध्ययन में शामिल थे, ने कहा कि यह एक रहस्य रहा है कि इस तरह की कुछ छोटी आकाशगंगाओं में इस तरह के सक्रिय तारों का निर्माण कैसे हो सकता है।

New stars being formed 1-5 to 3-9 billion light years away Earth formation dwarf galaxy detected study reveals | धरती से करीब 1.5 से 3.9 अरब प्रकाश वर्ष दूर नए तारे बन रहे हैं, बौनी आकाशगंगा के गठन का पता चला, अध्ययन में खुलासा

अंतरिक्ष वेधशाला (एस्ट्रोसैट) पर अल्ट्रा वायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (यूवीआईटी) का उपयोग करके इस अध्ययन को किया गया।

Highlightsप्रतिष्ठित विज्ञान जर्नल ‘नेचर’ में इस महीने प्रकाशित इस लेख के प्रमुख लेखक अंशुमान बोरगोहेन हैं।‘एक्स्ट्रागैलेक्टिक खगोल’ विज्ञान के क्षेत्र में उत्साहजनक रास्ते खोले हैं।‘अल्ट्रा वायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप’की तस्वीर खींचने की क्षमता इन युवा, धुंधले और बड़े तारों को ढूंढने में अहम रही। 

तेजपुरः अपनी तरह के पहले अध्ययन में पता चला है कि दृश्य सीमा से परे धरती से करीब 1.5 से 3.9 अरब प्रकाश वर्ष दूर नए तारे बन रहे हैं। तेजपुर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के लेख में यह दावा किया गया है। प्रतिष्ठित विज्ञान जर्नल ‘नेचर’ में इस महीने प्रकाशित इस लेख के प्रमुख लेखक अंशुमान बोरगोहेन हैं।

 

अंशुमान एक शोधकर्ता हैं, जो भारत, अमेरिका और फ्रांस के खगोलविदों की टीम के सदस्य रहे हैं। लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अतीत की बौनी आकाशगंगाएं वर्तमान समय के रूप में कैसे विकसित हुईं। इसलिए ब्रह्मांडीय युग में उनके एकत्र होने की प्रक्रिया को दर्शाने को आकाशगंगा के निर्माण एवं विकास की पूरी तस्वीर को पूरा करने के लिहाज से अहम कड़ी माना जाता है।

संयुक्त राज्य अमेरिका के आईबीएम अनुसंधान विभाग में एक प्रमुख शोधकर्ता ब्रूस एल्मेग्रीन, जो अध्ययन में शामिल थे, ने कहा कि यह एक रहस्य रहा है कि इस तरह की कुछ छोटी आकाशगंगाओं में इस तरह के सक्रिय तारों का निर्माण कैसे हो सकता है।

तेजपुर विश्वविद्यालय की विज्ञप्ति में कहा गया कि भारत की पहली समर्पित बहु-तरंग दैर्ध्य अंतरिक्ष वेधशाला (एस्ट्रोसैट) पर अल्ट्रा वायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (यूवीआईटी) का उपयोग करके इस अध्ययन को किया गया। इसमें कहा गया कि एस्ट्रोसैट/यूवीआईटी की तस्वीर लेने की क्षमताओं ने ‘एक्स्ट्रागैलेक्टिक खगोल’ विज्ञान के क्षेत्र में उत्साहजनक रास्ते खोले हैं।

बोरगोहेन तेजपुर विश्वविद्यालय के रूपज्योति गोगोई और पुणे स्थित इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स के प्रोफेसर कनक साहा की संयुक्त देखरेख में काम करते हैं, जो लेख के सह-लेखक हैं। साहा ने कहा कि एस्ट्रोसैट पर मौजूद ‘अल्ट्रा वायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप’की तस्वीर खींचने की क्षमता इन युवा, धुंधले और बड़े तारों को ढूंढने में अहम रही। 

Web Title: New stars being formed 1-5 to 3-9 billion light years away Earth formation dwarf galaxy detected study reveals

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