नेपाल ने नक्शे के संवैधानिक संशोधन का फैसला रोका, भारत के हिस्सों को दिखाने का प्रस्ताव लिया वापस

By स्वाति सिंह | Published: May 27, 2020 04:59 PM2020-05-27T16:59:43+5:302020-05-27T16:59:43+5:30

नेपाल सरकार ने ऐन मौके पर संसद की कार्यसूची से आज संविधान संशोधन की कार्यवाही को हटा दिया। बताया जा रहा है कि मंगलवार को नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने नए नक्शे वाले मुद्दे पर राष्ट्रीय सहमति बनाने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इस बैठक में सभी दल के नेताओं ने भारत के साथ बातचीत कर किसी भी मसले को सुलझाने का सुझाव दिया था।

Nepal postpones scheduled discussion on constitutional amendment to update map | नेपाल ने नक्शे के संवैधानिक संशोधन का फैसला रोका, भारत के हिस्सों को दिखाने का प्रस्ताव लिया वापस

मंगलवार को नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने नए नक्शे वाले मुद्दे पर राष्ट्रीय सहमति बनाने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई थी।

Highlightsनेपाल ने एक नया नक्शा जारी कर भारत के क्षेत्र को अपने क्षेत्र के तौर पर दर्शाया था। नेपाल सरकार ने ऐन मौके पर संसद की कार्यसूची से आज संविधान संशोधन की कार्यवाही को हटा दिया।

नई दिल्ली: भारत के कुछ हिस्से लेकर बनाए गए नए नक्शे में बदलाव के लिए संवैधानिक संशोधन किया जाना था। इससे पहले ही नेपाल पीछे हट गया है। दरअसल, हाल ही में नेपाल ने एक नया नक्शा जारी कर भारत के क्षेत्र को अपने क्षेत्र के तौर पर दर्शाया था। जब तक संवैधानिक तौर पर इस नए नक्शे को मान्यता नहीं मिल जाती, इससे वैध नहीं माना जा सकता है।

लेकिन, नेपाल सरकार ने ऐन मौके पर संसद की कार्यसूची से आज संविधान संशोधन की कार्यवाही को हटा दिया। बताया जा रहा है कि मंगलवार को नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने नए नक्शे वाले मुद्दे पर राष्ट्रीय सहमति बनाने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इस बैठक में सभी दल के नेताओं ने भारत के साथ बातचीत कर किसी भी मसले को सुलझाने का सुझाव दिया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मधेष आधारित पार्टियों के नेताओं ने सरकार पर दबाव बनाया है कि इस संशोधन के अलावा उनकी मागों को भी शामिल किया जाए। नेपाल की सत्ताधारी कम्यूनिस्ट पार्टी के पास राष्ट्रीय असेंबली में दो-तिहाई बहुमत है लेकिन उसे संविधान में संशोधन के लिए निचले सदन का भी समर्थन चाहिए जहां उसके पास 10 सीटों की कमी है।

भारत ने जताई थी प्रतिक्रिया

बता दें कि नेपाल द्वारा अपने नए राजनीतिक नक्शे में लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापाली को अपने क्षेत्र में प्रदर्शित किये जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारत ने कहा कि इस तरह से क्षेत्र में कृत्रिम विस्तार के दावे को स्वीकार नहीं किया जायेगा।

भारत ने इस तरह के अनुचित मानचित्रण से पड़ोसी देश को बचने को कहा। भारत की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब नेपाल सरकार ने अपने संशोधित राजनीतिक एवं प्रशासनिक नक्शे में लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को अपने क्षेत्र के तहत प्रदर्शित किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, 'इस तरह का एकतरफा कार्य ऐतिहासिक तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित नहीं है। यह द्विपक्षीय समझ के विपरीत है जो राजनयिक वार्ता के जरिये लंबित सीमा मुद्दों को सुलझाने की बात कहता है।'

क्या है मामला

गौरतलब है कि नेपाल के भूमि सुधार मंत्री पद्म अरयाल ने संवाददाता सम्मेलन में नया नक्शा जारी किया। लिपुलेख दर्रा, कालापानी के पास सुदूर पश्चिमी क्षेत्र है जो नेपाल और भारत के बीच विवादित सीमा क्षेत्र रहा है । मानचित्र विवाद के बीच थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा है कि यह विश्वास करने के कारण हैं कि नेपाल ने "किसी और" के इशारे पर सड़क को लेकर आपत्ति जताई है। जाहिर तौर पर उनकी टिप्पणी चीन की संभावित भूमिका के संदर्भ में थी। नेपाल और भारत के बीच विवादित सीमावर्ती क्षेत्र कालापानी के पास लिपुलेख दर्रा है। भारत और नेपाल दोनों कालापानी को अपने क्षेत्र का अभिन्न हिस्सा मानते हैं। 

Web Title: Nepal postpones scheduled discussion on constitutional amendment to update map

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