"नेहरू और इंदिरा के समय भी मांगा गया था आरबीआई गवर्नरों से इस्तीफा"
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 14, 2018 10:19 AM2018-12-14T10:19:10+5:302018-12-14T10:19:10+5:30
जेटली ने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने आरबीआई को पत्र लिखकर कहा था कि आर्थिक नीतियां निर्वाचित सरकार निर्धारित करती हैं जबकि मौद्रिक नीति को लेकर आरबीआई की स्वायत्तता है. वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा कि आरबीआई की नीतियों को आर्थिक नीतियों के अनुरूप भी बनाए जाने की जरूरत है.
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने स्वीकार किया है कि सरकार और रिजर्व बैंक के बीच मतभेद हैं. गुरुवार को उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि दो-तीन मुद्दे हैं जहां रिजर्व बैंक के साथ मतभेद है. हालांकि, उन्होंने सवाल उठाया कि रिजर्व बैंक के कामकाज के तरीके पर चर्चा करने मात्र से ही इसे कैसे एक संस्थान को नष्ट करना कहा जा सकता है.
तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे की स्थिति पैदा करने को लेकर राजनीतिक आलोचनाओं का सामना कर रहे जेटली ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी समेत पूर्व सरकारों के ऐसे उदाहरण दिए जिसमें आरबीआई के तत्कालीन गवर्नरों को इस्तीफा देने तक को कहा गया था.
जेटली ने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने आरबीआई को पत्र लिखकर कहा था कि आर्थिक नीतियां निर्वाचित सरकार निर्धारित करती हैं जबकि मौद्रिक नीति को लेकर आरबीआई की स्वायत्तता है. वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा कि आरबीआई की नीतियों को आर्थिक नीतियों के अनुरूप भी बनाए जाने की जरूरत है.
नकदी समर्थन समेत कुछ मुद्दों को लेकर मतभेद कार्यक्रम में जेटली ने कहा कि आरबीआई के साथ अर्थव्यवस्था में कर्ज प्रवाह तथा नकदी समर्थन समेत कुछ मुद्दों को लेकर मतभेद है और सरकार ने अपनी चिंता बताने के लिए बातचीत शुरू की थी. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि एक प्रमुख स्वतंत्र और स्वायत्त संस्थान के साथ इस बारे में चर्चा करना कि यह आपके (आरबीआई) काम का हिस्सा है.
यह अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण क्षेत्र है और इसे आपको अवश्य देखना चाहिए, आखिर ऐसा करना किस प्रकार से एक संस्थान को खत्म करना कहा जा सकता है? धारा 7 का पहली बार किया उपयोग रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने आरबीआई कानून की धारा 7 का पहली बार उपयोग करते हुए केंद्रीय बैंक के साथ बातचीत शुरू की थी.
इस धारा के तहत केंद्र सरकार आरबीआई को जनहित में कदम उठाने के लिए कह सकती है. इससे विभिन्न तबकों में चिंता बढ़ी. इसके अलावा आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य का आरबीआई की स्वायत्तता के साथ समझौता करने की बात कहने से भी चिंता को बल मिला. हालांकि, जेटली ने यह नहीं बताया कि बातचीत कैसे शुरू की गई थी.
हम संप्रभु सरकार हैं आरबीआई के साथ चर्चा के संदर्भ में जेटली ने कहा, ''हम संप्रभु सरकार हैं, जहां तक अर्थव्यवस्था के प्रबंधन का सवाल है, हम सबसे महत्वपूर्ण पक्ष हैं.'' उन्होंने जोर देकर कहा कि जहां तक ऋण और नकदी का सवाल है, आरबीआई की यह जिम्मेदारी है. हम उनके कार्यों को नहीं ले रहे. सरकार ने केवल उस उपाए के तहत चर्चा शुरू की जो चर्चा पर जोर देता है.