स्थिति को पेचीदा बनाने वाली गतिविधियों से बचने की जरूरत : रक्षा मंत्री

By भाषा | Published: December 10, 2020 07:56 PM2020-12-10T19:56:40+5:302020-12-10T19:56:40+5:30

Need to avoid activities that complicate the situation: Defense Minister | स्थिति को पेचीदा बनाने वाली गतिविधियों से बचने की जरूरत : रक्षा मंत्री

स्थिति को पेचीदा बनाने वाली गतिविधियों से बचने की जरूरत : रक्षा मंत्री

नयी दिल्ली,10 दिसंबर चीन के आक्रामक सैन्य व्यवहार की ओर परोक्ष रूप से संकेत करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि गतिविधियों को अंजाम देने में संयम बरतने और स्थिति को और पेचीदा बनाने वाली किसी भी कार्रवाई से बचने से क्षेत्र में लंबे समय तक शांति बनाये रखने में मदद मिल सकती है।

सिंह आसियान के रक्षा मंत्रियों की ऑनलाइन बैठक ‘एडीएमएम-प्लस’ को संबोधित कर रहे थे। ‘एडीएमएम-प्लस’ आसियान देश और भारत,चीन समेत आठ संवाद भागीदारों का एक मंच है।

रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि आतंकवाद क्षेत्र और दुनिया के लिए अभी भी बड़ा समस्या बना हुआ है। पाकिस्तान से चलाई जा रही आतंकवादी गतिविधियों की ओर परोक्ष रूप से इंगित करते हुए उन्होंने कहा कि आतंकवाद को पालने-पोसने और समर्थन देने वाला ढांचा अभी तक मौजूद है और यह भारत के पड़ोस में भी है। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से और मिलकर लड़ने के लिए कड़ी प्रतिबद्धता और अंतरराष्ट्रीय तंत्र को मजबूत बनाने पर जोर दिया।

महत्वपूर्ण भू-रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री ने हिन्द प्रशांत क्षेत्र में सम्मान और सम्प्रभुता पर आधारित मुक्त और समेकित वातावरण पर भारत का रूख साझा किया। उन्होंने राष्ट्रों की सीमाओं की अखंडता और विवादों के बातचीत के जरिए शांतिपूर्ण समाधान की भी बात कही।

अधिकारियों ने बताया कि चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंगही भी इस ऑनलाइन बैठक में शामिल हुए। इस बैठक में आसियान के 10 सदस्य देशों के अलावा आठ वार्ता साझेदारों भारत, चीन, ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड, कोरिया, रूस और अमेरिका ने हिस्सा लिया।

सिंह ने कहा, ‘‘जिस समय हम आपसी विश्वास और भरोसा बढ़ा रहे हैं, ऐसे में स्थिति को और पेचीदा बनाने वाली किसी भी कार्रवाई से बचने और गतिविधियों को अंजाम देने में संयम बरतने से क्षेत्र में शांति बनाने में मदद मिलेगी।’’

रक्षा मंत्री की यह टिप्पणी पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सात महीने से अधिक समय से सीमा पर जारी गतिरोध की पृष्ठभूमि और दक्षिण चीन सागर तथा हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की विस्तारवादी गतिविधियों के बीच आई है। गौरतलब है कि दक्षिण चीन सागर में आसियान के कई सदस्य देशों का चीन के साथ सीमा विवाद है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता, खुलेपन और समावेशिता के मूल सिद्धांतों के आधार पर मिलकर चुनौतियों से निपटने की क्षमता क्षेत्र का भविष्य तय करेगी।

सिंह ने कहा, ‘‘नियम आधारित व्यवस्था, समुद्री सुरक्षा, साइबर संबंधी अपराध एवं आतंकवाद जैसे कई खतरे हैं, जो चुनौतियां बने हुए हैं और हमें एक मंच के तौर पर इनसे निपटने की आवश्यकता है।’’

रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि हिन्द-प्रशांत क्षेत्र कई परंपरागत और गैर-परंपरागत सुरक्षा खतरों का सामना कर रहा है।

उन्होंने पिछले साल ईस्ट एशिया सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हिन्द-प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) को शुरू करने का जिक्र करते हुए आईपीओआई और हिन्द-प्रशांत पर आसियान नजरिये की समानताओं के बारे में बात की।

उन्होंने कहा, ‘‘वसुधैव कुटुबंकम जिसका अर्थ है कि पूरा विश्व एक परिवार है और सर्वे भवंतु सुखिना अर्थात सर्वत्र शांति हो.. भारतीय सभ्यता के मूल में है। इसलिए समावेशिता, समानता और खुलापन इस सिद्धांत में समाहित है।

रक्षा मंत्री ने जैव आतकंवाद, अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी और महामारी के खतरों से निपटने के लिए सतत प्रयास करने की अपील की। साथ ही उन्होंने साझा सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए क्षमता निर्माण की जरूरत पर जोर दिया।

इस दौरान उन्होंने कोरोना वायरस संक्रमण की चुनौती से मिल कर निपटने की भी बात कही।

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