एनसीपीसीआर ने मुंबई पुलिस से आदित्य ठाकरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को कहा, 'आरे बचाओ' अभियान में 'बच्चों' के इस्तेमाल का लगा आरोप
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 11, 2022 08:31 PM2022-07-11T20:31:01+5:302022-07-11T20:34:04+5:30
आदित्य ठाकरे के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी में आरोप लाया गया है कि उन्होंने रविवार को आयोजित ‘आरे बचाओ’अभियान में नाबालिग बच्चों को बतौर ढाल प्रयोग किया और उन्हें विरोध प्रदर्शन में तख्तियां पकड़ा कर सबसे आगे खड़ा कर दिया।
मुंबई: शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे के खिलाफ एफआईआर करने के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने मुंबई पुलिस को आदेश दिया है। जानकारी के मुताबिक एनसीपीसीआर ने आदित्य ठाकरे के खिलाफ इसलिए केस दर्ज करने का आदेश दिया है क्योंकि उन पर आरोप है कि उन्होंने मेट्रोकार शेड के निर्माण के प्रस्तावित जगह का विरोध करते हुए‘आरे बचाओ’ अभियान में नाबालिग बच्चों का इस्तेमाल किया।
ठाकरे के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी में आरोप लाया गया है कि उन्होंने रविवार को आयोजित ‘आरे बचाओ’अभियान में नाबालिग बच्चों को बतौर ढाल प्रयोग किया और उन्हें विरोध प्रदर्शन में तख्तियां पकड़ा कर सबसे आगे खड़ा कर दिया। जिसकी तस्वीरें साझा होने के बाद बवाल मच गया। खासकर शिवसेना विरोधी दल भाजपा ने इस मामले में आदित्य ठाकरे के खिलाफ काफी रूख अख्तियार किया और उसके लिए ठाकरे की कड़ी आलोचना की।
लेकिन इस मामले में एनसीपीसीआर ने चब संज्ञान लिया, जब आदित्य ठाकरे के इस एक्शन को गलत बताते हुए सहयाद्री राइट्स फोरम के धृतिमान जोशी ने एनसीपीसीआर को शिकायत भेजी। जिसके बाद एनसीपीसीआर की रजिस्ट्रार अनु चौधरी ने मामले में कार्रवाई करने के लिए सीधे मुंबई पुलिस कमिश्नर विवेक फनसालकर को चिट्ठी लिखी।
धृतिमान जोशी के मुताबिक महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे और पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने रविवार को 'आरे बचाओ' अभियान में बच्चों का गलत तरीके से इस्तेमाल किया। उनका कहना है कि सामाजिक गतिविधियों, विरोध और राजनीतिक अभियानों में नाबालिग बच्चों को ढ़ाल बनान सर्वथा अनुचित है और इसके लिए ठाकरे के खिलाफ एक्शन लिया जाना चाहिए।
वहीं धृतिमान जोशी की शिकायत पर प्रतिक्रिया देते हुए एनसीपीसीआर की ओर से कहा गया है कि आदित्य ठाकरे की ओर से की गई कार्रवाई प्रथम दृष्टया बाल अधिकार कानूनों और आईपीसी का घोर उल्लंघन है।
एनसीपीसीआर की अनु चौधरी ने जो मुंबई पुलिस कमिश्नर को चुट्ठी लिखी है, उसके उन्होंने कहा है, “उपरोक्त घटना को देखते हुए आयोग आपसे अनुरोध करता है कि आरोपी व्यक्ति (व्यक्तियों) के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करके मामले की तत्काल जांच कराएं। साथ ही उन बच्चों की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें भी किशोर न्याय अधिनियम के अनुसार बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया जाना चाहिए।"
इसके साथ ही एनसीपीसीआर ने मुंबई पुलिस को आदेश दिया है कि मामले में केस दर्ज करके और बच्चों के बयानों को लेकर कार्रवाई की रिपोर्ट तीन दिनों के भीतर पेश करें।