एनसीईआरटी ने 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम से महात्मा गांधी की हिंदू-मुस्लिम एकता और संघ संबंधित कुछ संदर्भों को हटाया
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: April 5, 2023 08:58 PM2023-04-05T20:58:13+5:302023-04-05T21:02:11+5:30
एनसीईआरटी ने सत्र 2023-24 के लिए 12वीं कक्षा के राजनीति विज्ञान विषय के पाठ्यक्रम में से गांधीजी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंधित कुछ प्रसंगों को हटा दिया है।

फाइल फोटो
दिल्ली: नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) ने सत्र 2023-24 के लिए 12वीं कक्षा के राजनीति विज्ञान विषय के पाठ्यक्रम में "गांधीजी की मौत का देश में सांप्रदायिक हालातों पर जादुई असर पड़ा, गांधी की हिंदू-मुस्लिम एकता के काम ने हिंदू अतिवादियों को उकसाया और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था" जैसे महत्वपूर्ण भाग को हटा दिया है।
इस संबंध में देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार को घेरा है और साथ ही केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा शिक्षा के भगवाकरण का आरोप भी लगाया है। वहीं विवाद पर सफाई देते हुए एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश सकलानी ने कहा कि पूरी कवायद पिछले साल ही की गई थी। इस साल के शैक्षिक सत्र के लिए कोई भी नया बदलाव नहीं किया गया। हालांकि अपनी ओर से पेश किये गये तर्कों में दिनेश सकलानी ने 12वीं कक्षा के राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम से गायब हुए अंशों पर कोई टिप्पणी नहीं की।
एनसीईआरटी का कहना है कि उसकी ओर से बीते साल ही पाठ्यक्रमों में बदलाव किया गया था और गैर आवश्यक भागों को निकाल दिया गया था। एनसीईआरटी ने बीते साल जिन भागों को अप्रासंगिक बताते हुए उसके कुछ हिस्सों को पाठ्यक्रम से हटाया था।
उसमें गुजरात दंगे, मुगल अदालतें, आपातकाल, शीत युद्ध, नक्सली आंदोलन आदि अन्य मुद्दों से जुड़े हैं। वहीं दिलचस्प बात यह है कि एनसीईआरटी के 2023-24 के सत्र के लिए जारी पाठ्यपुस्तकों में न केवल महात्मा गांधी से जुड़ी कई अहम प्रसंगों को हटाया गया है बल्कि संघ के बैन संबंधित भागों को भी निकाल दिया गया है।
एनसीईआरटी की वेबसाइट पर इस संबंध में लिखा है कि कोविड महामारी को देखते हुए छात्रों के शैक्षिक बोझ को कम करने के लिए गैर जरूरी हिस्सों को पाठ्यक्रम से हटाया गया है क्योंकि उनकी अनिवार्यता महसूस नहीं की जा रही थी।
दरअसल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के जरिये केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इस बात पर आवश्यक बल दिया था कि छात्रों के पाठ्यक्रम संबंधी अनावश्यक बोझ को कम किया जाए और अन्य वैकल्पिक तरीकों से उनमें रचनात्मक विकास की सतत प्रक्रिया को उभारा जाए। एनईपी की ओर से जारी इसी पृष्ठभूमि को देखते हुए एनसीईआरटी ने पिछले साल 2022 में न केवल 12वीं कक्षा बल्कि सभी कक्षाओं और विषयों के पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बनाने की कवायद शुरू की थी। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)