Natwar Singh Demise: नहीं रहे पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह, 95 साल की उम्र में निधन
By अंजली चौहान | Published: August 11, 2024 07:04 AM2024-08-11T07:04:52+5:302024-08-11T07:40:57+5:30
Natwar Singh Demise: कांग्रेस के दिग्गज नेता नटवर सिंह का शनिवार को निधन हो गया।
Natwar Singh Demise:भारत के पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज वरिष्ठ नेता नटवर सिंह का गुरुग्राम में निधन हो गया। लंबी बीमारी के बाद शनिवार रात उन्होंने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। 95 साल के नटवर सिंह का जन्म 1931 में राजस्थान के भरतपुर जिले में हुआ था। खबर है कि नटवर सिंह का अंतिम संस्कार दिल्ली में रविवार यानि आज होगा।
Deeply saddened by the passing of Mr. K Natwar Singh, former Minister of External Affairs. As Director (EAMO), I had the privilege of working closely with him. He was an amazing boss—warm, erudite, and immensely supportive. My heartfelt condolences to his family. pic.twitter.com/lIJF0C1hE4
— Vikas Swarup (@VikasSwarup) August 11, 2024
कई दिनों से अस्पताल में इलाज के बाद आखिरकार वह दुनिया को छोड़कर चले गए हैं। नटवर सिंह के निधन के बाद राजनीतिक गलियारे में शोक का माहौल है।
नटवर सिंह का राजनीतिक सफर
नटवर सिंह के राजनीतिक सफर की बात करें तो राजनीति में आने से पहले एक राजनयिक थे। उन्होंने मनमोहन सिंह की सरकार में 2004-05 में विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया था। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की कैबिनेट में 1985-86 तक केंद्रीय इस्पात, खान और कोयला और कृषि राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया।
उसके बाद, उन्होंने 1986-89 के दौरान फिर से राजीव गांधी सरकार के तहत विदेश मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। यह सांसद के रूप में उनका पहला कार्यकाल था, क्योंकि वे 1984 के चुनावों में भरतपुर से चुने गए थे। इसी दौरान उन्होंने भारतीय विदेश सेवा से राजनीति में कदम रखा।
1953 में 22 वर्ष की आयु में भारतीय विदेश सेवा में शामिल होने के बाद, सिंह ने एक प्रतिष्ठित राजनयिक कैरियर की शुरुआत की। उन्होंने 1973 से 1977 तक यूनाइटेड किंगडम में भारत के उप उच्चायुक्त के रूप में कार्य किया, इसके बाद 1977 में जाम्बिया में उच्चायुक्त की भूमिका निभाई। उनका करियर तब और आगे बढ़ा जब उन्हें 1980 से 1982 तक पाकिस्तान में भारत का राजदूत नियुक्त किया गया, जो भारत-पाकिस्तान संबंधों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण अवधि थी। सिंह की शैक्षणिक नींव भी उतनी ही प्रभावशाली थी।
उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज में इतिहास का अध्ययन किया, और यूके में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाया। उनकी बौद्धिक खोज उन्हें चीन के पेकिंग विश्वविद्यालय में भी ले गई, जिसने वैश्विक दृष्टिकोणों के साथ उनके गहरे जुड़ाव को रेखांकित किया। उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया।