सामाजिक सौहार्द्र एक सपना, जो पूरा होकर रहेगा, स्वामी ने कहा-उत्तर खोजने की जिम्मेदारी खुद की है...
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: October 24, 2021 08:54 PM2021-10-24T20:54:54+5:302021-10-24T20:55:54+5:30
National Inter Religious Conference: प्रेम, नियम और जीवन के मूलमंत्र को लेकर अगर संपूर्ण समाज एकजुट हो तो वैश्विक सामाजिक सौहार्द्र स्थापित होकर रहेगा.
National Inter Religious Conference: एक दौर में चांद पर पहुंचना, अंतरिक्ष की सैर करना सपना हुआ करता था. लेकिन यह बातें अब प्रत्यक्ष में साकार हो रही हैं. कई लोगों को सामाजिक सौहार्द्र सपना लगता है, लेकिन यह सपना एक दिन अवश्य साकार होगा.
इसके लिए प्रेम, नियम और जीवन के मूलमंत्र को लेकर अगर संपूर्ण समाज एकजुट हो तो वैश्विक सामाजिक सौहार्द्र स्थापित होकर रहेगा. यह बात बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था के ब्रहविहारी स्वामी ने लोकमत की ओर से आयोजित राष्ट्रीय अंतरधर्मीय परिषद के मौके पर कही. स्वामी ने कहा कि सामाजिक सौहार्द्र के लिए विश्व से अपेक्षा करने की बजाय खुद से ही शुरुआत करनी चाहिए.
विश्व के समक्ष कई प्रश्न हैं. उनके उत्तर खोजने की जिम्मेदारी खुद की है. जब उचित प्रश्न पूछने की क्षमता होगी, तभी किसी समस्या का उत्तर मिल सकेगा. 5 हजार वर्षो से धर्म-अध्यात्म होने के बाद भी घृणा, अपराध आदि कम नहीं हुए. आध्यात्मिकता व धर्म ही देश की संस्कृति है. उसका पालन सही अध्यात्म गुरु के मार्गदर्शन में नहीं हो पाने से ही घृणा, अपराध जैसी चीजें खत्म नहीं हो पाईं.
धर्म के नाम पर लोगों को गुमराह किया गया. अगर अध्यात्म और धर्म का उचित दिशा में अनुसरण किया जाए तो विश्व में शांति स्थापित हो सकता है. इसके जरिये ही वैश्विक भाईचारे का सपना सत्य हो सकेगा. गुजरात के अक्षरधाम मंदिर में हुए आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आतंकी हमले में मंदिर परिसर में कई लोगों ने जान गंवाई.
देश के 75 फीसदी लोग न्याय और बदले की भाषा बोल रहे थे. लेकिन प्रमुख स्वामी महाराज ने शांति का आह्नान किया. न्याय की अपेक्षा शांति कभी भी बड़ी होती है. गुजरात के लोगों ने शांति के संदेश को अपनाते हुए सौहाद्र्रपूर्ण वातावरण बनाए रखा. धर्मगुरु के बताए मार्ग से शांति और सौहार्द्र का वातावरण स्थापित हो सकता है.
स्वामी ने कहा कि एक धर्म की संकल्पना ही गलत है. समानता की बात होनी चाहिए. भगवान को भी विविधता पसंद है. इसी वजह से विभिन्न प्रकार के रंग, फूल, फल, सुगंध आदि इस जगत में हैं. भारत में चार प्रमुख धर्म निर्माण हुए. हर धर्म को यहां स्थान प्राप्त है. भारत में किसी को बदलने की बात नहीं कही जाती. यह बात देश से सीखनी चाहिए. धर्माचार्य मंच पर जो संवाद करते हैं, उनका अनुसरण करना चाहिए.
सौहाद्र्र बढ़ाने के लिए खुद के स्तर पर प्रयास होने चाहिए. सौहार्द्र स्थापित करने के लिए प्रेम, नियम व जीवन के त्रिसूत्र को आत्मसात करना होगा. सौहार्द्र के लिए नियम व कानून का निर्माण होना चाहिए. सामाजिक सौहाद्र्र के लिए जीवनशैली विकसित करने की जरूरत है. अपने धर्म के साथ ही दूसरे धर्म का आदर भी करना चाहिए. एकात्मता बढ़ाना होगा.
अबुधाबी में मंदिर सामाजिक समरसता का उदाहरण
स्वामी ने कहा कि अबुधाबी जैसे मुस्लिम देश में हिंदू मंदिर साकार होने जा रहा है, जो कि बड़ी बात है. जबकि एक दौर में इसे भी सपना माना जाता था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल से ही यह सपना पूरा होने की राह पर है. अबुधाबी में पहले शासनकर्ताओं ने मंदिर के लिए 13.5 एकड़ जमीन दी.
बाद में यहां आने वाले लोगों के लिए और 13.5 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई. एक मुस्लिम राजा ने हिंदू मंदिर के लिए जमीन दी. मंदिर का आर्किटेक्ट क्रिश्चियन है. परियोजना प्रबंधक सिख है. ठेकेदार पारसी है. चेयरमैन जैन है. सही मायने में यह मंदिर सामाजिक समरसता का एक आदर्श उदाहरण है.