मोदी के मंत्रियों ने प्रभार सौंपने और पदभार ग्रहण करने में तोड़ा प्रोटोकॉल, सुरेश प्रभु ने केवल किया पालन

By हरीश गुप्ता | Published: June 5, 2019 07:57 AM2019-06-05T07:57:39+5:302019-06-05T07:57:39+5:30

मोदी सरकार में आधिकारिक नंबर-2 शाह की कुर्सी संभालने से पहले खीज में अपने आवास में बैठकर 200 फाइलों को निपटा रहे थे. राजनाथ सिंह इसलिए परेशान थे क्योंकि उनकी पूर्ववर्ती निर्मला सीतारमण जो वित्त मंत्रालय स्थानांतरित हुईं थीं, वह 1 जून को उनको कार्यभार सौंपने के लिए नहीं पहुंची.

Narendra Modi's ministers broke the protocol during hand over charge and take charge | मोदी के मंत्रियों ने प्रभार सौंपने और पदभार ग्रहण करने में तोड़ा प्रोटोकॉल, सुरेश प्रभु ने केवल किया पालन

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Highlights30 मई को शपथग्रहण और 31 मई को दोपहर में विभाग आवंटन के साथ ही कहानी खत्म नहीं हो गई. पूर्व वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु इकलौते थे, जो प्रोटोकॉल का पालन करते और शालीनता दिखाते उद्योग भवन में पीयूष गोयल को प्रभार सौंपने के लिए मौजूद थे.प्रसाद को कार्यभार सौंपने के लिए उनके पूर्ववर्ती मनोज सिन्हा कहीं नहीं दिखे क्योंकि वह लोकसभा चुनाव हार चुके थे.

30 मई को शपथग्रहण और 31 मई को दोपहर में विभाग आवंटन के साथ ही कहानी खत्म नहीं हो गई. नरेंद्र मोदी सरकार के पूर्व और नए मंत्रियों के संबंधित मंत्रालयों का प्रभार सौंपने और खुद को आवंटित मंत्रालय का पदभार ग्रहण में प्रोटोकॉल का उल्लंघन साफ दिखा. सबकी नजर नॉर्थ ब्लॉक पर टिकी थी, जहां 2 जून को गृह मंत्रालय का कार्यभार संभालने के लिए सबसे शक्तिशाली मंत्री अमित शाह गए थे, लेकिन उनके पूर्ववर्ती राजनाथ सिंह उनको कार्यभार सौंपने के लिए मौजूद नहीं थे.

मोदी सरकार में आधिकारिक नंबर-2 शाह की कुर्सी संभालने से पहले खीज में अपने आवास में बैठकर 200 फाइलों को निपटा रहे थे. राजनाथ सिंह इसलिए परेशान थे क्योंकि उनकी पूर्ववर्ती निर्मला सीतारमण जो वित्त मंत्रालय स्थानांतरित हुईं थीं, वह 1 जून को उनको कार्यभार सौंपने के लिए नहीं पहुंची. दूसरी बात यह है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनडीए) अजित डोभाल के साथ सीधे रक्षा मंत्रालय पर नजर रखता है. साथ ही प्रधानमंत्री सभी संवेदनशील मुद्दों को व्यक्तिगत तौर पर संभालते हैं.

पूर्व वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु इकलौते थे, जो प्रोटोकॉल का पालन करते और शालीनता दिखाते उद्योग भवन में पीयूष गोयल को प्रभार सौंपने के लिए मौजूद थे. दिलचस्प बात यह है कि सीतारमण 31 मई को पोर्टफोलियो आवंटन के बाद आधे घंटे की भी देरी नहीं करते हुए तुरंत वित्त मंत्रालय का पदभार ग्रहण करने रवाना हो गईं. इससे पहले वह अरुण जेटली के आवास पर उनका आशीर्वाद लेने पहुंची और फिर सीधा नॉर्थ ब्लॉक पहुंच गईं.

राजनाथ जून में जब अपने मंत्रालय पहुंचे तो वहां उनको सिर्फ सेक्रेटरी और रक्षा बलों के प्रमुख दिखे. एस. जयशंकर के साथ भी ऐसा ही हुआ जब वह विदेश मंत्रालय पहुंचे तो उनकी पूर्ववर्ती सुषमा स्वराज वहां कार्यभार सौंपने के लिए मौजूद नहीं थीं. चूंकि सुषमा संसद की सदस्य नहीं थीं और न ही उन्हें कोई मंत्रालय दिया गया था इसलिए वह घर में टीवी पर कार्यक्रम देख रही थी. संचार मंत्रालय का कार्यभार संभालने वाले रविशंकर प्रसाद के साथ भी यही कहानी हुई.

प्रसाद को कार्यभार सौंपने के लिए उनके पूर्ववर्ती मनोज सिन्हा कहीं नहीं दिखे क्योंकि वह लोकसभा चुनाव हार चुके थे. निश्चित तौर पर उनको बड़ी पदोन्नति मिली है क्योंकि उनके पास दो अन्य मंत्रालयों कानून और सूचना प्राद्योगिकी कह जिम्मेदारी भी बरकरार है.

महिला, बाल और कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी को उम्मीद थी कि मेनका गांधी उनको कार्यभार सौंपने के लिए आएंगी, लेकिन आठ बार सांसद रहीं मेनका महिला और बाल विकास मंत्रालय का प्रभार सौंपने के लिए नहीं दिखीं. हालांकि बाद में ईरानी आभार जताने उनके घर गईं.

कटारिया मंत्रालय पहुंचे, लेकिन नहीं था कोई कमरा

अंबाला से सांसद रतन लाल कटारिया जिनको सामाजिक न्याय और पर्यावरण राज्य मंत्री नियुक्त किया गया था, वह पदभार ग्रहण करने के लिए मंत्रालय पहुंचे. मोदी के सोशल इंजीनियरिंग के दौर में इस अहम मंत्रालय में एक कैबिनेट मंत्री और तीन राज्य मंत्री हैं, लेकिन वहां उनके पास न तो कोई कमरा था और न ही किसी ने उनकी आगवानी की. निराश कटारिया ने अपने वरिष्ठ थावर चंद गहलोत को फोन किया जिन्होंने उन्हें 4 जून को उनके साथ कार्यभार संभालने के लिए कहा.

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