उमरेड-करांडला-पवनी अभयारण्य में दो वर्ष में 13 बाघों ने प्राण गंवाए 

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: January 6, 2021 14:14 IST2021-01-06T14:12:33+5:302021-01-06T14:14:16+5:30

उमरेड-करांडला-पवनी अभयारण्यः बाघों के बलि जाने का सिलसिला 30 दिसंबर 2018 से शुरू हुआ है. उल्लेखनीय है कि विगत दो वर्षों में इस तरह अभयारण्य के 13 बाघों ने अपनी जान गंवाई है.

nagpur Umred-Karandla-Pawni Sanctuary 13 tigers lost lives in two years | उमरेड-करांडला-पवनी अभयारण्य में दो वर्ष में 13 बाघों ने प्राण गंवाए 

कुही रेंज में दो वर्षीय बाघ मृत स्थिति में पाया गया. (file photo)

Highlightsबाघ जय के गायब होने के बाद काफी हो-हल्ला मचा.वन विभाग पर नींद में होने का आरोप लग रहा है.साल 2019 के पहले ही दिन इसी तरह दो बाघ विषबाधा की बलि चढ़े हुए हैं.

निशांत वानखेड़े

नागपुरः उमरेड-करांडला-पवनी अभयारण्य की पहचान बने बाघ 'जय' के अचानक गायब हो जाने के बाद इस अभयारण्य के बाघों पर मानो संकट छा गया है.

साल 2021 के पहले दिन की सुबह भी राष्ट्रीय प्राणियों के लिए संकट बनकर आ गई. इस अभयारण्य की ही सी-3 बाघिन और उसके तीन शावक विषबाधा की बलि चढ़ गए हैं. उल्लेखनीय है कि विगत दो वर्षों में इस तरह अभयारण्य के 13 बाघों ने अपनी जान गंवाई है.

इस बार भी किसानों पर आरोप लगाकर वन विभाग अपना दायित्व झटककर अलग हो गया लग रहा है. बाघ जय के गायब होने के बाद काफी हो-हल्ला मचा लेकिन इसके बाद भी वन विभाग पर नींद में होने का आरोप लग रहा है. बाघों के बलि जाने का सिलसिला 30 दिसंबर 2018 से शुरू हुआ है.

साल 2019 के पहले ही दिन इसी तरह दो बाघ विषबाधा की बलि चढ़े हुए हैं. इसमें बछड़े की मृत्यु होने से आक्रोशित होकर बाघिन और तीन शावकों को मारने वाला किसान वनसंवर्धन कानून का दोषी बन गया. लेकिन यह सिलसिला लगातार जारी होने से सवाल उठ रहा है कि क्या वन विभाग के अधिकारियों का कोई दायित्व नहीं है?

बाघों की बलि का सिलसिलाः

1) 30 दिसंबर 2018 : पवनी रेंज में एक बाघ मृत स्थिति में पाया गया.

2) 1 जनवरी 2019 : पवनी रेंज में ही दो बाघों की विषबाधा से मृत्यु.

3) 14 सितंबर 2020: कुही रेंज में दो वर्षीय बाघ मृत स्थिति में पाया गया. इसमें बताया गया कि बाघों की लड़ाई में उसकी मृत्यु हो गई.

Web Title: nagpur Umred-Karandla-Pawni Sanctuary 13 tigers lost lives in two years

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