नागालैण्ड में अब कोई विपक्ष नहीं, नगा मुद्दों के समाधान के लिए बनी सर्वदलीय सरकार, सरकार में शामिल हुआ विपक्ष
By विशाल कुमार | Published: February 10, 2022 08:07 AM2022-02-10T08:07:37+5:302022-02-10T08:11:57+5:30
पांच महीने पहले राज्य के सत्ताधारी दल और सभी विपक्षी दलों ने साथ आकर भारत की पहली विपक्ष रहित सर्वदलीय सरकार बनाने की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य नगा लोगों को केंद्र, नगा संगठनों और कई अन्य समूहों के बीच आगे ले जाना है।
गुवाहाटी: एक दिलचस्प घटनाक्रम में नागालैण्ड देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां की विधानसभा में कोई विपक्ष नहीं है। बुधवार को नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) विधायक वाईएम योलो कोन्यक के कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करते ही राज्य में सर्वदलीय सरकार बन गई।
मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो, उनके कैबिनेट सहयोगियों और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक अलायंस (यूडीए) के अध्यक्ष टीआर जेलियांग शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद थे।
पांच महीने पहले राज्य के सत्ताधारी दल और सभी विपक्षी दलों ने साथ आकर भारत की पहली विपक्ष रहित सर्वदलीय सरकार बनाने की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य नगा लोगों को केंद्र, नगा संगठनों और कई अन्य समूहों के बीच आगे ले जाना है।
नागालैण्ड में 25 विधायकों के साथ मुख्य विपक्षी पार्टी नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) ने पिछले साल जुलाई में नेफ्यू रियो की अगुवाई वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक अलायंस (पीडीए) सरकार में शामिल हो गई थी जिसका उद्देश्य 'एक समाधान, एक समझौता' है।
पिछले साल के पांच सूत्री प्रस्ताव में शामिल राजनीतिक दलों ने कहा था कि वे जल्द से जल्द राजनीतिक समाधान खोजने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ नगा शांति वार्ता को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखेंगे।
यह दूसरी बार है जब पूर्वोत्तर राज्य में सर्वदलीय सरकार होगी। ऐसी पहली सरकार 2015 में देखी गई थी जब विपक्षी कांग्रेस के आठ विधायकों का तत्कालीन सत्तारूढ़ नगा पीपुल्स फ्रंट में विलय हो गया था। दूसरा मौका तब आया जब पिछले साल सभी पार्टियां एक साथ आई थीं। हालांकि, पिछली दो बार के गठबंधन की सरकार में अन्य दलों के सदस्यों को मंत्री नहीं बनाया गया था।
बता दें कि, नगा समूह एनएससीएन (आईएम) 1997 से केंद्र के साथ बातचीत कर रहा है और उसने 3 अगस्त 2015 को फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।