नगालैंड सरकार ने कुत्ते के मीट की बिक्री पर लगाई रोक, मिजोरम ने मार्च में लगाया था बैन
By सुमित राय | Published: July 3, 2020 11:39 PM2020-07-03T23:39:29+5:302020-07-04T03:22:40+5:30
नगालैंड में कुतों और उनके मांस की तस्करी होती रही है और कुत्तों के मांस 200 रुपये प्रति किलो तक बिकते हैं।
नगालैंड सरकार ने शुक्रवार को बड़ा फैसला लिया और कुत्ते के मीट की बिक्री और आयात पर प्रतिबंध लगा दिया। जानवरों के साथ क्रूरता को लेकर चिंताओं के बीच यह अहम फैसला है। राज्य मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए इस फैसले का काफी तारीफ की जा रही है। इससे पहले मिजोरम सरकार ने इस साल मार्च में कुत्तों की खरीद-फरोख्त और आयात पर प्रतिबंध लगाया था।
राज्य के संसदीय मामलों के मंत्री एन क्रोनू ने बताया कि कुत्तों के वाणिज्यिक आयात और व्यापार पर तथा कुत्ते के मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। यह रोक कुत्ते के पके हुए और कच्चे दोनों तरह के मांस पर लगी है।
सरकार के प्रवक्ता क्रोनू ने बताया कि राज्य मंत्रिमंडल ने यह निर्णय सेवन के लिए दूसरे राज्यों से कुत्तों को लाने के खतरों को देखते हुए और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के अनुरूप किया। उन्होंने बताया कि सरकार ने तत्काल प्रभाव से सूअरों के वाणिज्यिक आयात और व्यापार पर प्रतिबंध लगाने का भी निर्णय लिया। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में स्वाइन फ्लू के प्रकोप के बाद राज्य ने पहले ही सूअरों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था और मंत्रिमंडल ने इसे मंजूरी दे दी।
200 रुपये प्रति किलो बिकता है कुत्ते का मांस
बता दें कि नगालैंड में कुतों और उनके मांस की तस्करी होती रही है और असम से 50 रुपये में पकड़ा गया कुत्ता नगालैंड के होलसेल मांस मार्केट में एक हजार रुपये तक में बिकता है। नगालैंड में कुत्तों के मांस की बिक्री 200 रुपये प्रति किलो तक होती है।
एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशन की थी रोक की अपील
नगालैंड सरकार ने ये फैसला फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशन (FIAPO) की अपील के बाद लिया है। इस बारे में ऑर्गनाइजेशन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर वरदा मेहरोत्रा ने बताया कि हाल ही में उस वक्त हमारे होश उड़ गए जब दीमापुर (नगालैंड का व्यापारिक केंद्र) में कई कुत्ते बोरों में बंद होकर बिकने के लिए आए थे। उन्हें बेहद क्रूरता के साथ बोरों में बंद कर कसाईखाने ले जाया जा रहा था।
ऑर्गनाइजेशन 2016 से उठा रहा था आवाज
एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशन के डायरेक्टर ने बताया कि हमने इससे पहले कई बार कुत्तों की तस्करी और इसके लिए उनके साथ होने वाली क्रूरता को लेकर आवाज उठाया था। 2016 से हम लगातार सरकार से कुतों के मांस की बिक्री पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं, जिसके बाद नगालैंड सरकार ने यह फैसला लिया है।