मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केसः सुप्रीम कोर्ट का आदेश, तीन महीने में पूरी करे CBI जांच
By रामदीप मिश्रा | Published: June 3, 2019 12:19 PM2019-06-03T12:19:31+5:302019-06-03T12:28:50+5:30
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपे जाने के बाद ही एक गैर सरकारी संगठन द्वारा संचालित मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में लड़कियों के यौन शोषण और उनसे कथित रूप से बलात्कार की घटनायें प्रकाश में आई थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (तीन जून) को मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले में सुनवाई की है। इस दौरान उसने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को आदेश दिया है कि वह इस मामले में तीन महीने के भीतर जांच पूरी करे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई ने अनुरोध किया था कि इस मामले की जांच करने लिए छह महीने का वक्त दिया जाए।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में छह मई को सुनवाई हुई थी, जिसमें उसने केन्द्रीय जांच ब्यूरो को निर्देश दिया कि था कि बिहार के मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में 11 लड़कियों की कथित रूप से हत्या के मामले की जांच पर स्थिति रिपोर्ट तीन जून तक पेश करे। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा था कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए ग्रीष्मावकाश पीठ तीन जून को सुनवाई करेगी।
Muzaffarpur shelter home case: Supreme Court asks CBI to complete the investigation within three months. CBI has approached the court seeking six months time to complete the investigation. pic.twitter.com/MLD0FARj0y
— ANI (@ANI) June 3, 2019
सीबीआई की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ से कहा था कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में 11 लड़कियों की कथित रूप से हत्या कर दी गई है और ऐसे ही एक मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने उस जगह से हड्डियां बरामद की हैं जहां उन्हें कथित तौर पर दफनाया गया था।
उन्होंने कहा था कि जांच ब्यूरो के लिए 11 लड़कियों की कथित हत्या के मामले की जांच तीन जून तक पूरी करना संभव नहीं होगा। एक सनसनीखेज खुलासा करते हुये जांच ब्यूरो ने तीन मई को शीर्ष अदालत से कहा था कि आरोपी बृजेश ठाकुर और उसके साथियों ने 11 लड़कियों की कथित रूप से हत्या कर दी थी और उस जगह से हड्डियों की पोटली बरामद हुई है, जहां उन्हें कथित तौर पर दफनाया गया था।
आपको बता दें कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपे जाने के बाद ही एक गैर सरकारी संगठन द्वारा संचालित मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में लड़कियों के यौन शोषण और उनसे कथित रूप से बलात्कार की घटनायें प्रकाश में आई थीं। इस मामले की जांच शुरू में राज्य पुलिस ही कर रही थी परंतु बाद में इसे केन्द्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दिया गया था। जांच ब्यूरो ने बृजेश ठाकुर सहित 11 आरोपियों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया हैं।