मुजफ्फरपुर और देवरिया केस के बाद जागी मोदी सरकार, 60 दिनों में 9000 बाल शेल्टर होम का सोशल ऑडिट होगा

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: August 8, 2018 04:10 PM2018-08-08T16:10:02+5:302018-08-08T18:15:44+5:30

देश में कुल 9462 बाल देखभाल संस्थान है इसमें से 7,109 पंजीकृत है। इन बाल देखभाल संस्थानों को चलाने के लिए सरकार कोष मुहैया कराती है और इन संस्थानों को चलाने के लिए राज्य एनजीओ की सहायता लेते हैं।

muzaffarnagar and deoria effect modi government ordered social audit of 9000 shelter homes in 60 days | मुजफ्फरपुर और देवरिया केस के बाद जागी मोदी सरकार, 60 दिनों में 9000 बाल शेल्टर होम का सोशल ऑडिट होगा

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नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) बिहार और उत्तरप्रदेश में आश्रय स्थलों में लड़कियों के यौन उत्पीड़न की घटनाएं सामने आने के बाद महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अगले 60 दिनों में देशभर में 9,000 से ज्यादा बाल देखभाल गृहों के सोशल ऑडिट का आदेश दिया है। 

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बाल अधिकार संरक्षण आयोग को ऑडिट कराने की जिम्मेदारी दी गयी है और दो महीने के भीतर मंत्रालय के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है। 

देश में कुल 9462 बाल देखभाल संस्थान है इसमें से 7,109 पंजीकृत है। इन बाल देखभाल संस्थानों को चलाने के लिए सरकार कोष मुहैया कराती है और इन संस्थानों को चलाने के लिए राज्य एनजीओ की सहायता लेते हैं।

महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने सुझाव दिया है कि राज्यों में एकल, व्यापक व्यवस्था होने से अधिकारियों के लिए राज्य सरकार द्वारा पोषित और गैर सरकारी संगठनों द्वारा संचालित आश्रयगृहों में बच्चों से उत्पीड़न और गलत व्यवहार की रोकथाम आसान हो जाएगी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एनजीओ संचालित इन गृहों में मुश्किल में घिरी महिलाओं, लड़कियों और बच्चों को सिर्फ बाल कल्याण समिति से स्वीकृति मिलने के बाद ही अस्थायी आश्रय दिया जाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दो वर्षों से मैं सांसदों को पत्र लिख रही हूं जिसमें उनसे अपने इलाकों के आश्रयगृहों का दौरा करने का अनुरोध किया गया। हमने एनजीओ से आश्रयगृहों का ऑडिट कराया और उन्होंने कुछ भी असामान्य नहीं होने की बात कही जिसका मतलब था कि उन्होंने इसे व्यापक तरीके से नहीं किया।’’ 

आश्रयगृह स्थलों की बदहाल स्थिति पर महिला एवं बाल विकास मंत्री का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब उत्तर प्रदेश के देवरिया में एक आश्रय गृह में यौन उत्पीड़न के आरोप सामने आने के बाद 24 लड़कियों को बचाया गया।

नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण का मामला पहली बार अप्रैल में सुर्खियों में आया जब टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (टिस) ने बिहार में आश्रयगृहों पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट राज्य के समाज कल्याण विभाग को सौंपी। इसमें मुजफ्फरपुर में आश्रयगृह में लड़कियों के साथ यौन दुर्व्यवहार की आशंका व्यक्त की गई जिसकी बाद में चिकित्सा जांच में पुष्टि हुई।

एक के बाद एक हुए खुलासों के बाद गांधी ने इन घटनाओं पर हैरानी व्यक्त की और आशंका जतायी की कि ऐसे कई और मामले हो सकते हैं जिनका खुलासा होना अभी बाकी हैं।

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