झारखंड सरकार ने अब राज्य में नगर निकाय चुनाव दलगत आधार पर नहीं कराने का निर्णय किया है। सरकार ने यह भी फैसला किया है कि अब से राज्य में उप महापौर और उपाध्यक्ष का चुनाव जनता द्वारा प्रत्यक्ष मतदान से नहीं होगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में मंगलवार को यहां हुई राज्य मंत्रिपरिषद् की बैठक में यह फैसला किया गया। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने यहां बताया कि राज्य मंत्रिपरिषद् ने झारखंड नगरपालिका (संशोधन) विधेयक 2021 को अपनी मंजूरी दे दी जिसके तहत पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार के दलगत आधार पर नगर नगर निकाय चुनाव कराने के फैसले को पलट दिया गया है। उन्होंने बताया कि संशोधन में यह भी फैसला किया है कि अब राज्य में उप महापौर और उपाध्यक्ष का चुनाव जनता सीधे मतदान से नहीं कर सकेगी। संशोधन में यह भी व्यवस्था की गयी है कि लगातार तीन बैठक में अनुपस्थित रहने पर महापौर और अध्यक्ष की वापसी का अधिकार राज्य सरकार के पास होगा। राज्य सरकार झारखंड नगरपालिका संशोधन विधेयक 2021 को विधानसभा के तीन सितंबर से प्रारंभ हो रहे मानसून सत्र में पारित कराने का प्रयास करेगी। इसके अलावा मंत्रिपरिषद् की बैठक में कुल 23 अन्य प्रस्तावों को मंजूरी दी गयी जिनमें राज्य में खुला विश्वविद्यालय खोलने और सातवें वेतन मान के तहत राज्य सरकार के कर्मचारियों का मकान किराया भत्ता एक्स, वाई एवं जेड वर्ग के शहरों के अनुसार क्रमशः 27, 18 एवं नौ प्रतिशत करने का फैसला भी शामिल है।
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