मुख्यमंत्री ठाकरे, गृह मंत्री पाटिल और शिवसेना सांसद राउत को बंबई हाईकोर्ट ने इशारों-इशारों में सुनाई खरी-खरी, जानें सबकुछ

By भाषा | Published: April 27, 2022 03:17 PM2022-04-27T15:17:58+5:302022-04-27T15:30:37+5:30

जनहित याचिका में शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' की संपादक और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे के साथ-साथ सामना के मुद्रक और प्रकाशक विवेक कदम के खिलाफ भी अवमानना ​​कार्रवाई की मांग की गई है।

Mumbai CM Uddhav Thackeray, Home Minister Dilip Walse Patil and Shiv Sena MP Sanjay Raut in gestures Bombay High Court  | मुख्यमंत्री ठाकरे, गृह मंत्री पाटिल और शिवसेना सांसद राउत को बंबई हाईकोर्ट ने इशारों-इशारों में सुनाई खरी-खरी, जानें सबकुछ

अदालत ने तब वकील से तत्काल सुनवाई के लिए प्रस्तुत आवेदन सौंपने के लिए कहा।

Highlightsटिप्पणियों को सहन करने की हमारी क्षमता काफी अधिक है।जब तक हमारी अंतरात्मा साफ है, उन्हें कुछ भी कहने दें।ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेगी।

मुंबईः बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह न्यायपालिका के खिलाफ राजनीतिक नेताओं और अन्य लोगों की टिप्पणियों पर ध्यान नहीं देता और जब तक अदालत में आलोचना सहने की क्षमता है व उसकी अंतरात्मा साफ है, तब तक लोग जो चाहें कह सकते हैं।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति वी जी बिष्ट की खंडपीठ ने यह बात उस समय कही जब एक वकील ने न्यायपालिका के खिलाफ टिप्पणी को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, राज्य के गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल, शिवसेना सांसद संजय राउत और अन्य के विरुद्ध अदालत की अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू करने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका का उल्लेख किया।

इंडियन बार एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि प्रतिवादियों ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और पूरी न्यायिक प्रणाली के खिलाफ कई ''झूठे, निंदनीय और अवमाननापूर्ण'' आरोप लगाए हैं। मुख्य न्यायाधीश दत्ता ने कहा, “उन्हें न्यायपालिका के बारे में जो कुछ भी कहना है, कहने दें। इस तरह की टिप्पणियों को सहन करने की हमारी क्षमता काफी अधिक है।

जब तक हमारी अंतरात्मा साफ है, उन्हें कुछ भी कहने दें।” पीठ ने शुरू में कहा कि वह ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेगी। लेकिन, याचिकाकर्ता के वकील ने तत्काल सुनवाई की अपील की। अदालत ने तब वकील से तत्काल सुनवाई के लिए प्रस्तुत आवेदन सौंपने के लिए कहा।

इसके बाद अदालत ने कहा कि इस पर विचार किया जाएगा कि याचिका को सुनवाई के लिये कब सूचीबद्ध किया जाए। जनहित याचिका में ऐसे विभिन्न उदाहरणों को सूचीबद्ध किया गया है जिसमें कथित तौर पर न्यायपालिका के खिलाफ टिप्पणी की गई है।

इनमें उच्च न्यायालय द्वारा पूर्व भाजपा सांसद किरीट सोमैया को धोखाधड़ी के एक मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिये जाने के बारे में की गई राउत की हालिया टिप्पणी भी शामिल है। याचिका के अनुसार, आदेश के बाद राउत ने कथित रूप से साक्षात्कार दिए और कहा कि अदालतों और विशेष रूप से बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भाजपा सदस्यों को राहत दे रहे हैं जबकि उनकी पार्टियों (राज्य की गठबंधन सरकार में शामिल शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस) के मंत्रियों को राहत नहीं दी जा रही।

याचिका में कहा गया है, ''ऐसा अदालत की गरिमा को कम करने व न्यायपालिका में आम आदमी के विश्वास को कम करने के लिए किया गया है, लिहाजा यह अदालत की सबसे बड़ी अवमानना ​​है।'' जनहित याचिका में शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' की संपादक और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे के साथ-साथ सामना के मुद्रक और प्रकाशक विवेक कदम के खिलाफ भी अवमानना ​​कार्रवाई की मांग की गई है। 

Web Title: Mumbai CM Uddhav Thackeray, Home Minister Dilip Walse Patil and Shiv Sena MP Sanjay Raut in gestures Bombay High Court 

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