पश्चिम बंगाल विधानसभा की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष नियुक्त हुए मुकुल रॉय, भाजपा ने विरोध जताया

By भाषा | Updated: July 9, 2021 22:19 IST2021-07-09T22:19:19+5:302021-07-09T22:19:19+5:30

Mukul Roy appointed chairman of Public Accounts Committee of West Bengal Assembly, BJP protested | पश्चिम बंगाल विधानसभा की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष नियुक्त हुए मुकुल रॉय, भाजपा ने विरोध जताया

पश्चिम बंगाल विधानसभा की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष नियुक्त हुए मुकुल रॉय, भाजपा ने विरोध जताया

कोलकाता, नौ जुलाई भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीतने के बाद हाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस में लौटे वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय को शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी ने लोक लेखा समिति (पीएसी) का अध्यक्ष नियुक्त किया।

इस फैसले के विरुद्ध विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के नेतृत्व में भाजपा विधायकों ने विधानसभा से वॉकआउट किया और घोषणा की कि अब से भाजपा सदस्य सदन की किसी समिति की अध्यक्षता नहीं करेंगे। कृष्णनगर उत्तर से आधिकारिक रूप से भाजपा के विधायक रॉय पिछले महीने तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे। हालांकि उन्होंने भाजपा के कई बार कहने के बावजूद विधानसभा से इस्तीफा नहीं दिया था। रॉय को जून में निर्विरोध पीएसी के 20 सदस्यों में एक चुना गया था।

294 सदस्यीय पश्चिम बंगाल विधानसभा में 41 समितियां हैं और पीएसी सदन की लेखा संबंधी निगरानी रखती है।

सदन में वित्त विधेयक और विनियोग विधेयक पारित होने के बाद पीएसी प्रमुख की नियुक्ति की घोषणा की गयी।

अधिकारी ने कहा कि नियमों के अनुसार सामान्यत: किसी विपक्षी विधायक को पीएसी का अध्यक्ष चुना जाता है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस ने नियम का दुरुपयोग करते हुए रॉय को अध्यक्ष बनवाया है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने पीएसी में छह विधायकों का प्रस्ताव दिया था। भाजपा ने कभी मुकुल रॉय के नाम की सिफारिश नहीं की। वह सार्वजनिक रूप से तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं, लेकिन फिर भी उन्हें नियमों की अवहेलना करते हुए पीएसी अध्यक्ष नियुक्त किया गया। यह सरकार लोकतंत्र में भरोसा नहीं करती।’’

अधिकारी ने कहा कि पार्टी चाहती थी कि जानेमाने अर्थशास्त्री और भाजपा विधायक अशोक लाहिड़ी पीएसी के प्रमुख बनें। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन भ्रष्ट तृणमूल कांग्रेस सरकार चाहती है कि समितियों के अध्यक्ष केवल उनके लोग हों जो जी-हुजूरी करते रहें। इसलिए हमने फैसला किया है कि हम विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले के विरोध स्वरूप अब सदन में किसी समिति की अगुवाई नहीं करेंगे।’’

हालांकि अधिकारी ने विश्वास जताया कि रॉय की विधानसभा की सदस्यता बहुत जल्द चली जाएगी क्योंकि उन्हें ‘दल-बदल रोधी कानून के तहत अयोग्य करार दिया जाएगा’।

अधिकारी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुब्रत मुखर्जी ने कहा, ‘‘मुकुल रॉय विधानसभा में आधिकारिक रूप से भाजपा के सदस्य हैं। यह भलीभांति स्थापित प्रक्रिया है कि विपक्षी खेमे के विधायी कामकाज के अनुभव वाले किसी वरिष्ठ नेता को पीएसी अध्यक्ष होना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘विधानसभा अध्यक्ष ने केवल नियम का पालन किया है। कोई गड़बड़ी नहीं हुई है।’’

इस घटना ने कांग्रेस के उन पूर्व विधायकों की याद दिला दी जिन्हें तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के बाद भी पीएसी अध्यक्ष बनाया गया था। मानस भुइयां और शंकर सिंह सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल होने और कांग्रेस विधायकों के रूप में इस्तीफा नहीं देने के बावजूद समिति के अध्यक्ष बने थे। तब विधानसभा अध्यक्ष ने कहा था कि वे आधिकारिक रूप से विपक्षी विधायक हैं।

तृणमूल कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री भुइयां ने कहा, ‘‘मेरे पीएसी अध्यक्ष रहने पर बहस हुई थी। तब मैं कांग्रेस का सदस्य था, लेकिन कांग्रेस किसी और वाम नेता को पीएसी अध्यक्ष बनाना चाहती थी और मुझे नहीं बनाना चाहती थी।

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Web Title: Mukul Roy appointed chairman of Public Accounts Committee of West Bengal Assembly, BJP protested

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