'मुख्तार अंसारी रोपड़ जेल में रहते थे पत्नी के साथ, मिलती थीं वीवीआईपी सुविधाएं', 'आप' सरकार ने लगाया संगीन आरोप
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 29, 2022 09:24 PM2022-06-29T21:24:36+5:302022-06-29T21:30:49+5:30
पंजाब सदन में मुख्तार अंसारी के नाम पर उस समय विवाद पैदा हो गया, जब प्रदेश के मौजूद जेल मंत्री हरजोत बैंस ने मुख्तार अंसारी को रोपड़ जेल में रखने के दौरान कई तरह की सुविधाएं देने के मामले में तत्कालीन कांग्रेसी सरकार पर गंभीर आरोप लगाये। मंत्री ने कहा कि जेल की बैरक में मुख्तार अपनी पत्नी के साथ रहते हैं।
चंडीगढ़: उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद पूर्वांचल के बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी को लेकर इस समय पंजाब में सियासी घमासान मचा हुआ है। बीते मंगलवार को पंजाब विधानसभा में मुख्तार अंसारी के नाम को लेकर जो बहस हुई, उसे पूरे सदन गूंज उठा।
यूपी सहित देश के कई अन्य राज्यों में कथिततौर पर कई गंभीर अपराधों में आरोपी मुख्तार अंसारी को लेकर सदन में आम आदमी पार्टी और विपक्षी दल कांग्रेस में जमकर तकरार हुई। दरअसल पंजाब सदन में मुख्तार के नाम पर उस समय विवाद पैदा हो गया, जब प्रदेश के मौजूद जेल मंत्री हरजोत बैंस ने मुख्तार अंसारी को रोपड़ जेल में रखने के दौरान तत्कालीन कांग्रेसी सरकार पर गंभीर आरोप लगाये।
जेल मंत्री बैंस ने विधानसभा चुनाव में सत्ता गंवाने वाली कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया कि कांग्रेस की सरकार ने कथित तौर पर मुख्तार अंसारी को सुरक्षित रखने और रोपड़ जेल में तमाम सुविधाएं देने के लिए उन्हें एक फर्जी केस में फंसाकर दो साल तीन महीने तक बंद रखा।
विधानसभा में 'आप' नेता के आरोपों पर भड़की कांग्रेस के सदस्यों ने जेल मंत्री हरजोत बैंस को खुली चुनौती दी कि वो अपने आरोपों को साबित करें या फिर अपने आरोपों को वापस लें।
इस मामले को उठाते हुए हरजोत बैंस ने सदन में कहा कि कांग्रेस की तत्कालीन सरकार मुख्तार अंसारी पर इस कदर मेहरबान थी कि उन्हें रोपड़ जेल की उस बैरक में रखा गया, जिसमें कम से कम 25 कैदियों को रखा जा सकता था। इतना ही नहीं इस मामले में बड़ा बम फोड़ते हुए बैंस ने यहां तक कह दिया कि रोपड़ जेल की बैरक में मुख्तार अंसारी को अकेले नहीं बल्कि वो वहां पर अपनी पत्नी के साथ रहते थे।
बैंस के मुताबिक कांग्रेस सरकार ने मुख्तार के जेल दाखिले के समय में कोई चालान तक पेश नहीं किया है। इसके अलावा सरकार के इशारे पर मुख्तार को जेल में वो सारी सुविधाएं मिलती थीं, जिससे वो खुद को विशिष्ठ समझता था।
इस मामले में जेल मंत्री बैंस ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार को कसूरवार ठहराते हुए सदन में कहा कि वो इस मुद्दे की तहकीकात के लिए एफआईआर दर्ज करके का आदेश दे चुके हैं।
बैंस ने कहा कि उत्तर प्रदेश की कोर्ट से मुख्तार अंसारी की वापसी के लिए 26 बार वारंट आया लेकिन तत्कालीन सरकार ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर भेजने से मना कर दिया।
पंजाब सरकार के इस रूख को देखते हुए यूपी की योगी सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई तभी पंजाब की तत्कालीन सरकार ने उन्हें यूपी भेजने की बजाय सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने का फैसला किया।
उन्होंने कहा कि मेरी यह नहीं समझ नहीं आता कि जब मुख्तार अंसारी यूपी सरकार के आरोपी हैं, उनका पंजाब से कोई लेना-देना नहीं है तो आखिर क्यों कांग्रेस की सरकार उन्हें यूपी भेजने की जगह बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की।
इस केस की पैरवी के लिए कांग्रेस सरकार ने पंजाब के टैक्स पेयर के रुपयों की बदौलत 11 लाख प्रतिदिन फीस वाला वकील नियुक्त किया और मुख्तार के बचाव में 55 लाख रुपये खर्च किए। आप नेता बैंस ने नाराजगी भरे लहजे में कहा कि आखिर पंजाब की तत्कालीन सरकार के द्वारा खर्चे किया गया पैसा हम क्यों वहन करें।
तत्कालीन चन्नी सरकार में जेल मंत्री रहे सुखजिंदर रंधावा ने मौजूदा जेल मंत्री बैंस के आरोपों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वो साबित करें कि मुख्तार की पत्नी जेल में रहती थी। इसके जवाब में मंत्री हरजोत बैंस ने कहा कि सच क्या है और झूठ क्या है, वो पूरे पंजाब की जनता को जल्द ही पता चल जाएगा, सरकार ने इस मामले में जांच के आदेश दे दिये हैं।
वहीं जेल मंत्री के इन आरोपों पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा ने भी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि चूंकि मंत्री ने सदन में इतना संगीन आरोप लगाया है, इसलिए अगर कल को उनके लगाये आरोप झूठ निकले और कांग्रेस बेदाग निकली है तो उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना होगा।
मालूम हो कि पंजाब पुलिस ने मुख्तार अंसारी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने मोहाली के एक बिल्डर से रंगदारी के तौर पर 10 करोड़ रुपये मांगे हैं। इसी आरोप के आधार पर पंजाब पुलिस मुख्तार अंसारी को पंजाब लाई थी, जहां उन्हें 24 जनवरी 2019 को कोर्च में पेश किया गया और उसके बाद से वो रोपड़ की जेल में तब तक रहे, जब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार नहीं लगाई।
सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बाद बीते साल अप्रैल में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने मुख्तार अंसारी की कस्टडी यूपी पुलिस को दी, जिसके बाद वो उन्हें लेकर वापस यूपी गई और उसके बाद से वो बांदा जेल में बंद हैं।