मुकेश और अनिल अंबानी पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना, आरआईएल चेयरमैन बोले-जुर्माने के खिलाफ करेंगे अपील, जानें मामला
By भाषा | Published: April 8, 2021 07:25 PM2021-04-08T19:25:01+5:302021-04-08T19:27:58+5:30
बाजार नियामक सेबी ने दो दशक पुराने मामले में जाने-माने उद्योगपतियों मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी तथा अन्य व्यक्तियों एवं इकाइयों पर कुल 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया।
नई दिल्लीः रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन मुकेश अंबानी दो दशक पुराने कथित शेयर अनियमितता के मामले में बाजार नियामक सेबी द्वारा लगाये गये जुर्माने के खिलाफ अपील करेंगे।
कंपनी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने 1994 में परिवर्तनीय वारंट के साथ डिबेंचर जारी किये थे और इन वारंट के एवज में 2000 में इक्विटी शेयर आवंटित किये। यह मामला तबका है जब धीरुभाई अंबानी रिलायंस का नेतृत्व कर रहे थे। तब रिलायंस समूह का बंटवारा नहीं हुआ था।
आरआईएल ने शेयर बाजार में दायर जानकारी में कहा है, ‘‘सेबी ने इस मामले में फरवरी 2011 मे कारण बताओ नोटिस जारी किया था। यह नोटिस उस समय के प्रवतक और प्रवर्तक समूह को शेयरों के अधिग्रहण के 11 साल बाद जारी किया गया। इसमें सेबी के अधिग्रहण नियमन का उल्लंघन किये जाने का आरोप लगाया गया।
कारण बताओ नोटिस पर अब फैसला किया गया है जो कि शेयर अधिग्रहण के 21 साल बाद आया है। इसमें उस समय के कंपनी के प्रवर्तकों पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। प्रवर्तकों में मुकेश और अनिल दोनों भाइयों तथा अन्य लोगों पर यह जुर्माना लगाया गया है।
उसके बाद पिता की मृत्यू के बाद मुकेश और अनिल ने कंपनी का बंटवारा कर लिया है। सेबी ने अंबानी बंधुओं और अन्य प्रवर्तक परिवार सदस्यों पर जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना उनके द्वारा रिलायंस इंडस्ट्रीज में जनवरी 2000 के इश्यू में अपनी सामूहिक हिस्सेदारी को करीब सात प्रतिशत बढ़ाते समय नियामकीय जानकारी नहीं देने पर लगाया गया है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपने 85 पृष्ठ के आदेश में कहा कि आरआईएल के प्रवर्तकों और पीएसी (मिली-भगत से काम करने वाले लोग) 2000 में कंपनी में 5 प्रतिशत से अधिक के अधिग्रहण के बारे में खुलासा करने में विफल रहे।आदेश के अनुसार आरआईएल के प्रवर्तकों ने 2000 में कंपनी में 6.83 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था।
यह अधिग्रहण 1994 में जारी 3 करोड़ वारंट को परिवर्तित कर के किया गया था। सेबी के अनुसार आरआईएल प्रवर्तकों ने पीएसी के साथ मिलकर गैर-परिवर्तनीय सुरक्षित विमोच्य डिबेंचर से संबद्ध वारंट को शेयर में बदलने के विकल्प का उपयोग कर 6.83 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया। यह अधिग्रहण नियमन के तहत निर्धारित 5 प्रतिशत की सीमा से अधिक था।