मोदी सरकार के सर्वे में सामने आई बात, मुद्रा स्कीम की रकम से पांच में से केवल एक ने नया बिजनेस शुरू किया

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 4, 2019 08:48 AM2019-09-04T08:48:46+5:302019-09-04T08:53:01+5:30

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना सर्वे श्रम और रोजगार मंत्रालय के अन्तर्गत आने वाले लेबर ब्यूरो ने किया है। यह रिपोर्ट अभी ड्राफ्ट है।

Mudra scheme only 1 in 5 beneficiaries started new business, additional jobs less than 10 percent in 33 months | मोदी सरकार के सर्वे में सामने आई बात, मुद्रा स्कीम की रकम से पांच में से केवल एक ने नया बिजनेस शुरू किया

मुद्रा योजना- 33 महीनों में केवल दिये गये लोन के मुकाबले 10 प्रतिशत से भी कम नई नौकरी (फाइल फोटो)

Highlightsमुद्रा स्कीम को लेकर श्रम और रोजगार मंत्रालय का सर्वेसर्वे के अनुसार मुद्रा स्कीम के शुरू होने के 33 महीने में दिये गये लोन के मुकाबले नौकरी केवल 10 प्रतिशतमुद्रा स्कीम के पांच लाभार्थियों में केवल एक ने मुद्रा लोन का इस्तेमाल नये बिजनेस के लिए किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार हमेशा इस बात का जिक्र करती रही है कि उसकी ओर से शुरू की गई मुद्रा स्कीम नये उद्यमियों और रोजगार के लिए बड़ी भूमिका निभाती रही है। हालांकि, श्रम मंत्रालय के एक सर्वे, जिसे सार्वजनिक किया जाना अभी बाकी है, उससे एक दूसरी तस्वीर सामने आ रही है।

इसके अनुसार लिए गये सैंपल सर्वे के मुद्रा स्कीम के पांच लाभार्थियों (20.6 प्रतिशत) में से केवल एक ने मुद्रा लोन का इस्तेमाल नये बिजनेस को शुरू करने के लिए किया। बाकी के लोगों ने फंड का इस्तेमाल अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए किया।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना सर्वे श्रम और रोजगार मंत्रालय के अंदर आने वाले लेबर ब्यूरो ने किया है। यह रिपोर्ट अभी ड्राफ्ट है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार इस सर्वे में यह बात सामने आई है कि स्कीम शुरू होने के पहले 33 महीनों में यानी अप्रैल-2015 से दिसंबर-2017 के बीच 1.12 करोड़ अतिरिक्त नौकरियों का सृजन हुआ। इसमें से 51.06 लाख स्व-रोजगार से जुड़े थे या फिर ऐसे काम से जुड़े थे जिसके मालिक वे स्वयं थे।

इनमें परिवार के वे सदस्य भी थे जो अवैतनिक थे जबकि 60.94 लाख लोग कर्मचारी थे या फिर किसी के द्वारा काम के लिए नियुक्त किये गये थे। इस लिहाज से देखें तो 33 महीनों में अतिरिक्त नौकरियों की संख्या कुल दिये गये लोन की संख्या के मुकाबले 10 प्रतिशत से भी कम है।

सर्वे में 97,000 लोगों से की गई बात

अखबार के अनुसार इस ड्राफ्ट रिपोर्ट 27 मार्च, 2019 की है। इसके मुताबिक 97,000 लाभार्थियों से बात की गई और इस सर्वे को अप्रैल से नवंबर (2018) के बीच कराया गया था। इस सर्वे से जुड़ी मुख्य बातें इस प्रकार हैं-

- कुल 5.71 लाख करोड़ रुपये लोन के तौर पर मुद्रा स्कीम के तीन वर्गों- 'शिशु, किशोर और तरुण' के तहत पहले तीन वर्षों में जारी किये गये। यह सभी लोन 12.27 करोड़ खातों के जरिये दिये गये। लोन के तहत दी जाने वाली एक औसत राशि 46, 536 रुपये रही।

- शिशु लोन (50,000 रुपये तक) साल 2017-18 में दिये गये कुल लोन का 42 फीसदी है। किशोर (50,000 से 5 लाख रुपये) कुल जारी लोन का 34 प्रतिशत जबकि तरुण लोन (5 लाख से 10 लाख रुपये) बचे हुए 24 प्रतिशत हैं।

- शिशु लोन ने 66 प्रतिशत नई नौकरी, किशोर ने 18.85 प्रतिशत और तरुण ने 15.51 प्रतिशत नई नौकरियां पैदा की।

सरकार ने इस सर्वे का इस्तेमाल एनएसएसओ की उस रिपोर्ट के प्रत्युत्तर में पेश करने की योजना बनाई जिसमें बेरोजगारी दर के 2017-18 में रिकॉर्ड उच्च स्तर 6.1 प्रतिशत पर होने की आशंका जताई गई थी। इस रिपोर्ट को छिपाने को लेकर खूब विवाद भी हुआ था। बाद में मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव के ठीक बाद 31 मई, 2019 को इसे जारी किया। 

Web Title: Mudra scheme only 1 in 5 beneficiaries started new business, additional jobs less than 10 percent in 33 months

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