मध्य प्रदेश: किसानों की समस्या पर कांग्रेस और भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप हुआ शुरू, किसानों को नहीं मिल रहा यूरिया

By राजेंद्र पाराशर | Published: December 23, 2018 06:29 PM2018-12-23T18:29:42+5:302018-12-23T18:29:42+5:30

सरकार के मुखिया कमलनाथ ने किसानों को आश्वस्त किया है कि वे किसी भी स्थिति में किसानों को इस संकट से उबारेंगे, मगर किसान यूरिया न मिलने को लेकर परेशान हैं।

Mp CM Kamalnath says will solve uria problem of farmers, make allegation on Bjp | मध्य प्रदेश: किसानों की समस्या पर कांग्रेस और भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप हुआ शुरू, किसानों को नहीं मिल रहा यूरिया

मध्य प्रदेश: किसानों की समस्या पर कांग्रेस और भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप हुआ शुरू, किसानों को नहीं मिल रहा यूरिया

मध्यप्रदेश में आचार संहिता लगते ही सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री चुनाव में व्यस्त हो गए, वहीं कांग्रेस नेता सरकार में आने के लिए मैदान में उतरकर जीत के लिए मशक्कत करते रहे। इस बीच अधिकारियों ने किसानों की समस्या पर ध्यान न देकर चुनाव के बाद बनने वाले सरकार पर ध्यान केन्द्रित रखा और किसान के लिए रवी सीजन में खाद का संकट उभर आया। अब सरकार बनी और किसान यूरिया की कमी को लेकर मैदान में उतरा तो सियासत तेज हो गई। इसके बाद कांग्रेस के निशाने पर भाजपा और राज्य के अधिकारी निशाने पर आ गए हैं, वहीं भाजपा इसे लेकर सीधे तौर पर कांग्रेस को कोस रही है।

मध्यप्रदेश में यूरिया की कमी को लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं। राज्य के 20 से ज्यादा जिलों में किसान सड़कों पर उतर आया है। वहीं राज्य के मुख्य विपक्षी दल भाजपा और कांग्रेस इस मुद्दे पर सियासत में जुटे हैं। राज्य में हर वर्ष रवी सीजन के लिए अधिकारी दिसंबर में यूरिया की मांग बढ़ने को लेकर अक्तूबर माह से ही सक्रिय हो जाते हैं। समीक्षा बैठकें कर इस मामले को लेकर केन्द्र से पत्र व्यवहार जारी रख यह प्रयास किया जाता है कि यूरिया की आपूर्ति समय पर हो जाए,जिससे किसान के सामने संकट खड़ा न हो, मगर इस बार सरकार के लिए किसान से ज्यादा अहम था विधानसभा चुनाव। 

अक्तूबर माह में आचार संहिता के लगते ही राज्य में मंत्रियों और खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पूरा ध्यान किसानों की समस्या से हटा और चुनाव पर लगा रहा। इस दौरान अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन तो किया, मगर खाद जैसी समस्या से वे बिल्कुल अंजान बने रहे। न तो समय पर समीक्षा बैठक की और न ही समय रहते उन्होंने खाद की आपूर्ति को लेकर प्रयास किया। परिणाम यह हुआ कि राज्य में आज यूरिया का संकट बना हुआ है और किसान प्रदर्शन कर रहा है, कहीं पर खाद के लिए लंबी-लंबी कतारे लग रही हैं, तो कहीं प्रदर्शन किए जा रहे हैं।

सरकार के मुखिया कमलनाथ ने किसानों को आश्वस्त किया है कि वे किसी भी स्थिति में किसानों को इस संकट से उबारेंगे, मगर किसान यूरिया न मिलने को लेकर परेशान हैं।

अधिकारी आए निशाने पर

कांग्रेस के निशाने पर यूरिया संकट को लेकर भाजपा के अलावा अब अधिकारी आ गए हैं। यूरिया को लेकर मामला गहराया और सियासत तेज हुई तो कांग्रेस नेताओं ने भी इसे लेकर सक्रियता दिखाई। कांग्रेस नेताओं को जब इस बात की जानकारी मिली कि अधिकारियों की गलती के चलते यह संकट गहराया है, तो उन्होंने अब अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने जैसी बातें भी की है।

कांग्रेस नेता इस मामले में अभी मुख्यमंत्री द्वारा उठाए कदमों पर ध्यान केन्द्रित किए हुए हैं। नेताओं ने साफ कहा कि चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस की सरकार किसानों पर ध्यान दे रही हैं, मगर संकट के लिए दोषी भाजपा की केन्द्र सरकार के अलावा अधिकारी भी है। कांग्रेस नेताओं के इस तरह के बयान जब सामने आए तो भाजपा ने अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर डाली।

अपडेट नहीं किया पोर्टल

केंद्र सरकार ने फर्टिलाईजर मैनेजमेंट सिस्टम के लिए पोर्टल बनाया है, जिसमें नियमित तौर पर स्टाक की जानकारी देना पड़ती है। इस पोर्टल को अपडेट ही नहीं किया। इसके चलते पोर्टल पर अब भी प्रदेश में 4 लाख 53 हजार मीट्रिक टन यूरिया की उपलब्धता बताई जा रही है। यही वजह है कि केंद्र ने इस महीने यूरिया सप्लाई कम कर दी। 

वहीं अधिकारियों का कहना है कि पोर्टल पर वही स्टाक एंट्री अपडेट होती है, जो पीओएस मशीन द्वारा की जाती है। हम बिना पीओएस के खाद बेच रहे हैं, इसलिए केंद्र सरकार के पास स्टाक की सही जानकारी नहीं है।

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