मनी लॉन्ड्रिंग केसः महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को राहत नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सारी मांगें ठुकराई
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 16, 2021 10:08 PM2021-08-16T22:08:07+5:302021-08-16T22:09:09+5:30
Money Laundering Case: न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की एक पीठ ने कहा कि अनिल देशमुख कानून के तहत उपलब्ध कोई भी उपाय आजमाने को स्वतंत्र हैं।
Money Laundering Case: उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार में पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन के एक मामले में सोमवार को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की एक पीठ ने कहा कि देशमुख कानून के तहत उपलब्ध कोई भी उपाय आजमाने को स्वतंत्र हैं। न्यायमूर्ति खानविलकर, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कहा, “हम कोई अंतरिम राहत देने के पक्ष में नहीं हैं।”
सुनवाई के दौरान देशमुख की ओर से पेश हुए वकील ने पीठ को बताया कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि देखमुख के विरुद्ध धन शोधन के गंभीर आरोप हैं। पीठ ने देशमुख के वकील से कहा, “आप कानून के अंतर्गत उपलब्ध कोई भी उपाय अपना सकते हैं।” सर्वोच्च अदालत, कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें से एक याचिका में धन शोधन निवारण अधिनियम के कुछ प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है।
अनिल देशमुख द्वारा नियंत्रित एक कॉलेज में तलाशी के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अब तक 15 लोगों के बयान दर्ज किए हैं। एक पुलिस अधिकारी ने जानकारी दी। मुंबई से आयी ईडी की एक टीम ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता देशमुख के खिलाफ धनशोधन की जांच के तहत शुक्रवार को नागपुर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) में तलाशी ली थी।
अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी ने शुक्रवार को सात और शनिवार को आठ लोगों के बयान भी दर्ज किए। सूत्रों ने बताया कि ये सभी व्यक्ति एनआईटी और साई ट्रेडिंग कंपनी से जुड़े हैं। मार्च 2021 में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा देशमुख के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों के सिलसिले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा देशमुख के खिलाफ मामला दर्ज करने के बाद ईडी ने अपनी जांच शुरू की। देशमुख ने अप्रैल में गृह मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। राकांपा नेता ने सभी आरोपों से इनकार किया था।