Money Laundering Case: गुर्दे की बीमारी से पीड़ित हैं नवाब मलिक, सुप्रीम कोर्ट ने और दी राहत, अंतरिम जमानत छह महीने और बढ़ाई
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 11, 2024 11:48 AM2024-01-11T11:48:15+5:302024-01-11T11:49:09+5:30
Money Laundering Case: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल एसवी राजू के इस पर आपत्ति नहीं जताने के बाद न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने मलिक को चिकित्सा आधार पर दी गई जमानत की अवधि बढ़ा दी।
Money Laundering Case: उच्चतम न्यायालय ने धन शोधन मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता नवाब मलिक की अंतरिम जमानत बृहस्पतिवार को छह महीने के लिए बढ़ा दी।
Supreme Court extends for six months the interim bail of former Maharashtra minister and NCP leader Nawab Malik on health grounds, in a money laundering case.
— ANI (@ANI) January 11, 2024
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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल एसवी राजू के इस पर आपत्ति नहीं जताने के बाद न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने मलिक को चिकित्सा आधार पर दी गई जमानत की अवधि बढ़ा दी। राजू ने कहा था कि जांच एजेंसी को इस पर कोई आपत्ति नहीं है।
पिछले साल 12 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने मामले में मलिक की अंतरिम जमानत तीन महीने के लिए बढ़ा दी थी। मलिक ने ईडी द्वारा जांच किए जा रहे मामले में चिकित्सा आधार पर जमानत देने से इनकार करने के बंबई उच्च न्यायालय के 13 जुलाई, 2023 के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था।
शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि मलिक गुर्दे की बीमारी से पीड़ित हैं और पिछले साल 11 अगस्त को दो महीने के लिए अंतरिम जमानत मिलने के बाद से उनकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। ईडी ने भगोड़े माफिया दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों की गतिविधियों से कथित रूप से जुड़े मामले में मलिक को फरवरी 2022 में गिरफ्तार किया था।
मलिक ने यह दावा करते हुए उच्च न्यायालय से राहत का अनुरोध किया था कि वह कई अन्य बीमारियों के अलावा गुर्दे के गंभीर रोग से पीड़ित हैं। उन्होंने गुण दोष के आधार पर जमानत का अनुरोध किया था। उच्च न्यायालय ने कहा था कि वह दो सप्ताह के बाद गुण दोष के आधार पर जमानत के अनुरोध वाली उनकी याचिका पर सुनवाई करेगा।
मलिक के खिलाफ ईडी का मामला वैश्विक आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध और 1993 के मुंबई सिलसिलेवार बम विस्फोटों के मुख्य आरोपी दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों के खिलाफ राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज की गई प्राथमिकी पर आधारित है।