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मोदी कैबिनेट का फैसला, राष्ट्रीय आयुष मिशन 2026 तक जारी रहेगा, जानिए बड़े फैसले

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 14, 2021 18:48 IST

योजना 4,607.30 करोड़ रुपये के वित्तीय प्रभाव के साथ एक अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2026 तक जारी रहेगी।

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ठळक मुद्देयोजना में भारतीयों के संपूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए आयुष क्षेत्र का विस्तार शामिल है।योजना के तहत प्राचीन एवं पारंपरिक औषधीय प्रणालियों को बढ़ावा दिया जाएगा।उत्तर पूर्वी आयुर्वेद और लोक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के रूप में बदलने को भी मंजूरी दी है। 

नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय आयुष मिशन को 2026 तक केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में जारी रखने को बुधवार को मंजूरी प्रदान कर दी।

 

योजना 4,607.30 करोड़ रुपये के वित्तीय प्रभाव के साथ एक अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2026 तक जारी रहेगी। ठाकुर ने संवाददाताओं को बताया कि योजना में भारतीयों के संपूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए आयुष क्षेत्र का विस्तार शामिल है।

उन्होंने कहा कि योजना के तहत प्राचीन एवं पारंपरिक औषधीय प्रणालियों को बढ़ावा दिया जाएगा तथा आयुष स्वास्थ्य केंद्रों, मेडिकल कॉलेज, अस्पतालों तथा औषधालयों की स्थापना की जाएगी और इन्हें उन्नत किया जाएगा। सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि मंत्रिमंडल ने उत्तर पूर्वी लोक चिकित्सा संस्थान के नाम को उत्तर पूर्वी आयुर्वेद और लोक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के रूप में बदलने को भी मंजूरी दी है। 

केंद्रीय सूची में ओबीसी के भीतर उप-वर्गीकरण के मुद्दे की पड़ताल कर रहे आयोग का कार्यकाल बढ़ा

कैबिनेट ने बुधवार को केंद्रीय सूची में ओबीसी के भीतर उप-वर्गीकरण के मुद्दे की पड़ताल के लिए गठित आयोग के कार्यकाल को छह महीने तक बढ़ाने की मंजूरी दे दी। एक बयान में कहा गया है कि आयोग का कार्यकाल 31 जनवरी 2022 तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।

कार्यकाल विस्तार और इसके संदर्भ की शर्तों में वृद्धि आयोग को विभिन्न हितधारकों से परामर्श के बाद अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के उप-वर्गीकरण के मुद्दे पर एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करने में सक्षम बनाएगी। बयान के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत गठित आयोग के कार्यकाल का यह ग्यारहवां विस्तार है।

मंत्रिमंडल ने भारतीय जहाजरानी कंपनियों के लिए 1,624 करोड़ रुपये की सब्सिडी को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को मंत्रालयों और सीपीएसई द्वारा जारी वैश्विक निविदाओं में सरकारी माल के आयात के लिए भारतीय जहाजरानी कंपनियों को पांच वर्षों के दौरान 1,624 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने की योजना को मंजूरी दी। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ जहाजों के पंजीयन की तरह 72 घंटों के भीतर ऑनलाइन पंजीकरण किया जाएगा और इससे भारत में जहाजों का पंजीकरण आसान और आकर्षक हो जाएगा।

बयान में आगे कहा गया, ‘‘इसके अलावा ताजा पहल का मकसद किसी भी ध्वजवाहक पोत को भारतीय चालक दल के साथ चालक दल को बदलने के लिए 30 दिन का समय देना है।’’ भारतीय ध्वजवाहक जहाजों को होने वाले लागत नुकसान को दूर करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने आम बजट 2021-22 के भाषण में पांच वर्षों में 1,624 करोड़ रुपये की सब्सिडी सहायता देने की घोषणा की थी। बयान में कहा गया है कि जहाजों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ जोड़कर उन पर कार्मिक आवश्यकताओं को युक्तिसंगत बनाने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं।

सरकार ने कपड़ा निर्यातकों के लिये करों, शुल्कों में छूट योजना आगे जारी रखने को मंजूरी दी

कपड़ा निर्यातकों को उनके निर्यात पर केंद्रीय और राज्य करों में छूट पहले की तरह मिलती रहेगी। सरकार ने बुधवार को कपड़ा निर्यात के लिये राज्य और केंद्रीय करों तथा शुल्कों में छूट (आरओएससीटीएल) योजना मार्च, 2024 तक जारी रखने को मंजूरी दे दी। इस पहल का मकसद श्रम गहन कपड़ा क्षेत्र की प्रतिस्पर्धी क्षमता को बढ़ाना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में आरओएससीटीएल योजना जारी रखने को मंजूरी दी गयी। यह मंजूरी उसी समान दर पर दी गयी है जिसकी अधिसूचना कपड़ा मंत्रालय ने परिधान निर्यात और मेड अप (चादर, कंबल, कालीन आदि) निर्यात के लिये जारी की थी।

आरओडीटीईपी योजना का लाभ लेने के लिये पात्र होंगे

सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘योजना 31 मार्च, 2024 तक जारी रहेगी। इससे निर्यात और रोजगार सृजन में मदद मिलेगी।’’ इस योजना के दायरे में आने वाले क्षेत्रों (कपड़ा/परिधाम और मेड अप) को निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों से छूट (आरओडीटीईपी) योजना का लाभ नहीं मिलेगा। हालांकि, वाणिज्य मंत्रालय द्वारा तैयार नियम के अनुसार जो कपड़ा उत्पाद आओएससीटीएल योजना के अंतर्गत नहीं आएंगे, वे अन्य उत्पादों के साथ आरओडीटीईपी योजना का लाभ लेने के लिये पात्र होंगे।

योजना का क्रियान्वयन राजस्व विभाग डिजिटल रूप से करेगा। इसके तहत हस्तांतरणीय ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप (बीजक या पर्ची) जारी किया जाएगा। इसे सीमा शुल्क प्रणाली में इलेक्ट्रॉनिक रूप से रखा जाएगा। आओएसीसीटीएल योजना को जारी रखने और उसके क्रियान्वयन के बारे में कपड़ा मंत्रालय राजस्व विभाग के परामर्श से संशोधित दिशानिर्देश जारी करेगा। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, ‘‘कपड़ा/परिधान और मेड-उप के लिये आरओएससीटीएल जारी रखने से करों और शुल्कों पर छूट जारी रहेगी। इससे ये उत्पाद वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी हो सकेंगे...।’’

इस योजना के तहत, निर्यातकों को निर्यात किए गए उत्पाद में निहित करों और शुल्क के मूल्य के लिए एक ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप यानी बीजक जारी की जाती है। निर्यातक इस बीजक का उपयोग उपकरण, मशीनरी या किसी अन्य कच्चे माल के आयात के लिए मूल सीमा शुल्क का भुगतान करने के लिए कर सकते हैं। इन बीजकों का व्यापार किया जा सकता है।

यानी, यदि निर्यातक को अपने निजी उपयोग के लिए इसकी आवश्यकता नहीं है, तो वे इसे किसी अन्य आयातक को हस्तांतरित कर सकते हैं। इससे पहले, आरओएससीटीएल योजना के तहत परिधान के लिए छूट की अधिकतम दर 6.05 प्रतिशत थी जबकि मेड-अप के लिए यह 8.2 प्रतिशत तक थी।

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