यूपी: विधायकों की सैलरी 1.50 लाख, फिर भी नहीं देना पड़ता है इनकम टैक्स
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: February 6, 2018 08:54 PM2018-02-06T20:54:12+5:302018-02-07T07:44:46+5:30
पंजाब सरकार ने हाल ही में फैसला लिया कि उनके विधायकों और मंत्रियों अपना आयकर खुद जमा करना पड़ सकता है। लेकिन उत्तर प्रदेश के विधायकों व मंत्रियों को इसकी जरूरत नहीं है।
पंजाब सरकार ने हाल ही में फैसला लिया कि उनके विधायकों और मंत्रियों का आयकर सरकार द्वारा नहीं जमा किया जाएगा। लेकिन उत्तर प्रदेश के विधायकों व मंत्रियों को इसकी जरूरत नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यूपी के विधायकों का मूल वेतन आयकर की सीमा में नहीं आता। ऐसे भले प्रति माह इन विधायक को सवा लाख रुपये का वेतन मिलता हों लेकिन इनका मूल वेतन केवल 25 हजार रुपये ही है।
ऐसे में विधायकों का सालाना वेतन आयकर के दायरे में आने से बच जाता है। जो और राज्यों में नहीं होता है।इस बार में संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना का कहना है कि विधायक और मंत्रियों का वेतन आयकर सीमा में नहीं आता इसलिए सरकार के भुगतान करने का प्रश्न ही उठता है। पिछली अखिलेश सरकार ने अपने कार्यकाल में दो बार विधायकों के भत्ते आदि में वृद्धि की थी।
इसके चलते प्रत्येक विधायक प्रति माह लगभग सवा लाख रुपये सरकारी पैसे से पाता है। वहीं, बीते अगस्त 2016 में तत्कालीन संसदीय कार्यमंत्री आजम खान ने उत्तर प्रदेश राज्य विधानमंडल सदस्यों की उपलब्धियां और पेंशन संशोधन विधेयक 2016 में विधायकों के वेतन भत्ते बढ़ाने के कई प्रावधान किए थे। जिसके बाद विधायकों के वेतन और भत्तों को मिलाकर हर एक को लगभग एक लाख 25 हजार रुपये प्रतिमाह मिल रहे हैं। जो आम वेतन से कई गुना ज्यादा है।
इतना ही नहीं उस समय विधायकों के रेलवे कूपन, डीजल व हवाई यात्रा के पैसों में भी बढ़ोतरी की गई थी, इसके अलावा पूर्व विधायकों के पेंशन में भी बढ़ोतरी की गई थी। पेंशन की बात करें तो ढाई गुना बढ़ा कर दस हजार से 25 हजार रुपये महीने कर दी गी है। फरवरी 2015 के मुकाबले विधायकों का वेतन 125 गुना बढ़ा परंतु आयकर की सीमा से बाहर ही रहा। इसी तरह मंत्रियों को भी तमाम सुविधाएं हैं और उन्हें विधायकों से अधिक वेतन मिलता है लेकिन वह भी आयकर की परिधि से बाहर हैं।