इंटरव्यू: 'हर शख्स की मेडिकल हिस्ट्री और लैब रिपोर्ट डिजिटल आईडी के जरिए ऑनलाइन होगी उपलब्ध', स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉक्टर भारती पवार ने बताई बड़ी बात
By शरद गुप्ता | Published: November 15, 2022 02:07 PM2022-11-15T14:07:23+5:302022-11-15T14:07:23+5:30
कोरोना ने देश के सामने चिकित्सा से संबंधित चुनौतियों को सामने रख दिया। कुछ उथलपुथल के साथ देश इससे पार पाने में कामयाब रहा। हालांकि, भविष्य में अगर फिर ऐसी स्थिति आई तो देश क्या इसके लिए तैयार है। आखिर क्या हैं और चुनौतियां, पढ़ें केंद्रीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉक्टर भारती प्रवीण पवार का इंटरव्यू। लोकमत समूह के वरिष्ठ संपादक शरद गुप्ता ने उनसे विस्तार से बात की।
केंद्रीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉक्टर भारती प्रवीण पवार स्वयं एक चिकित्सक हैं. कोरोना महामारी से निपटने में उनकी भी अहम भूमिका रही. देश के सामने चिकित्सा से संबंधित चुनौतियों के बारे में उन्होंने लोकमत समूह के वरिष्ठ संपादक शरद गुप्ता से विस्तार में चर्चा की. प्रस्तुत है प्रमुख अंश…
- कोरोना से ठीक हुए मरीजों में हार्ट अटैक और दूसरी बीमारियों के लक्षण बढ़ गए हैं.सरकार इस बारे में क्या कुछ कर रही है?
कोविड-19 से निपटने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन में भारत में अभूतपूर्व काम किया है. देश में बनी वैक्सीन 219 करोड़ लोगों को लगाई गई है जो अपने आप में विश्व रिकॉर्ड है. उसके मरीजों में मानसिक बीमारियों और लाइफस्टाइल डिसऑर्डर के लक्षण दिखे हैं. लेकिन इस बीच संक्रामक रोगों की संख्या भी बढ़ रही है. हमने गांव-गांव में हेल्थ और वैलनेस सेंटर खोले हैं. प्रधानमंत्रीजी का कहना है कि गांव के लोगों को चिकित्सा सुविधा के लिए शहर आने की जरूरत नहीं है. हम चिकित्सा सुविधाओं को ही गांव ले जा रहे हैं. यदि रोग की पहचान समय पर हो जाए तो इलाज संभव होता है. इसीलिए सरकार का जोर टेलीमेडिसिन पर भी है. रोग की पहचान के बाद विशेषज्ञ से राय टेलीमेडिसिन के जरिए मिल सकती है.
- सेंटर खोलना तो आसान है लेकिन वहां चिकित्सा सुविधाएं मिलें यह सुनिश्चित करना बहुत मुश्किल?
इसीलिए हमारी कोशिश है कि गांव-गांव में खुल रहे इन सेंटर में आयुष की सुविधाएं भी मिले. कुछ दिन पहले मैं मणिपुर के एक गांव से होकर गुजर रही थी और मैंने देखा कि गांव के 80 वर्ष के बुजुर्गों सहित बहुत से लोग हेल्थ और वैलनेस सेंटर पर योगा कर रहे थे.
- प्रधानमंत्रीजी की कल्पना हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज खोलने की है. अभी इस बारे में क्या स्थिति है?
प्रधानमंत्री जी का ध्यान देश के उन 112 पिछड़े जिलों पर है जहां विकास की सख्त जरूरत है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में ऐस्पिरेशनल जिलों में से कुछ जगह जितना काम हुआ है कि वे देश के औसत से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. आज हमारे 22 ऐम्स बन रहे हैं.
- महाराष्ट्र में ऐसे पिछड़े जिलों की क्या स्थिति है?
नंदुरबार, उस्मानाबाद और गढ़चिरौली जैसे जिले इस श्रेणी में आते हैं जहां और सबसे कम सुविधाएं हैं. इसकी मुख्य वजह इन जिलों की दुर्गम भौगोलिक परिस्थिति है.
- संयुक्त राष्ट्र के मानकों के अनुरूप देश में डॉक्टरों की उपलब्धता नहीं है, खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में. इसे सुनिश्चित करने के लिए सरकार क्या कर रही है?
डॉक्टर की उपलब्धता बढ़ाने के लिए हमने मेडिकल कॉलेजों में सीटें बढ़ा दी हैं. स्नातक स्तर पर 73 प्रतिशत सीटें बढ़ गई है जबकि स्नातकोत्तर स्तर पर 90 प्रतिशत. प्रधानमंत्री हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत सरकार 64000 करोड़ों रुपए खर्च कर जमीनी स्तर पर चिकित्सा सुविधाएं सुनिश्चित करा रही है. इससे हर जिले में आईसीयू और डायग्नोस्टिक लैब स्थापित किए जा रहे हैं. अधिकतर बीमारियों के टेस्ट हर जिला मुख्यालय पर ही हो पाएंगे. यदि कोरोना कैसे महामारी फिर आ जाए तो हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि गांव और जिला स्तर पर ही इसकी जांच और निदान किया जा सके. नेशनल हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक भी देश में अधिकतर जगहों पर बाल मृत्यु और मांओ की मृत्यु की दर तेजी से कम हो रही है.
- देश की 80% आबादी अभी भी गांव में रहती है जबकि केवल 30% डॉक्टर ही ग्रामीण इलाकों में काम कर रहे हैं. इस असामान्य स्थिति को कैसे ठीक करेंगे?
चूंकि स्वास्थ्य राज्य सरकारों का विषय अधिक है इसलिए इसका दायित्व भी उन्हीं पर है. वे इसे सुरक्षित करने के लिए अलग-अलग कदम उठा रहे हैं. मसलन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ घोषणा की है गांव में काम करने वाले डॉक्टरों को अधिक तनख्वाह दी जाएगी. महाराष्ट्र सरकार भी ऐसा ही कर रही है. संयुक्त राष्ट्र का मानक हर एक हजार की आबादी पर एक डॉक्टर का है जबकि हमारे यहां आयुष और दूसरी पद्धतियों को मिलाकर हर 800 लोगों की आबादी पर एक डॉक्टर है. उसके अलावा भी हमारा डॉक्टर ऐप के जरिए लोगों तक आधुनिक चिकित्सा सलाह पहुंच रही है. इसके अलावा सरकार लोगों का चिकित्सा बीमा भी करा रही है.
- आयुष्मान योजना का लाभ पिछले एक वर्ष के दौरान कितने लोगों ने उठाया?
यह विश्व की सबसे बड़ी चिकित्सा बीमा योजना है. देश में 10 करोडड़ परिवार इसका लाभ उठा सकते हैं. अभी तक लगभग 4 करोड़ लोगों ने इस योजना का लाभ उठाया है.
- चिकित्सा और स्वास्थ्य राज्य सरकारों का विषय है. ऐसे में केंद्र सरकार अपनी योजनाओं की सफलता कैसे सुनिश्चित कर रही है?
हम लगातार राज्य सरकारों के साथ संपर्क में रहते हैं. कोरोना के दौरान तो प्रधानमंत्री प्रतिदिन राज्य सरकारों के साथ समीक्षा बैठक करते थे. अभी भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुखभाई मंडाविया राज्य सरकारों के स्वास्थ्य मंत्रियों से लगातार बैठकें कर कर उनकी समस्याओं और जरूरतों पर चर्चा करते हैं.
- आज आपके सामने सबसे बड़ी चुनौतियां क्या हैं?
हमारे पास सबसे बड़ी चुनौती देश के हर व्यक्ति को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना है. प्रधानमंत्री चिकित्सा इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत हम कोरोनावायरस जैसी महामारी से लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. हर गांव में हेल्थ और वैलनेस सेंटर खोलकर सभी का इलाज करा रहे हैं. अभी तक 120000 सेंटर खोले जा चुके हैं. प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत हर व्यक्ति के लिए एक डिजिटल हेल्थ आईडी बनाई जा रही है. उस व्यक्ति के स्वास्थ्य से संबंधित सभी जानकारियां और लैब जांच की रिपोर्ट उस आईडी पर अपलोड कर दी जाएंगी. वह व्यक्ति देश में कभी भी कहीं भी बीमार पड़ता है तो उसकी सहमति से संबंधित डॉक्टर पूरी मेडिकल हिस्ट्री एक क्लिक पर देख सकता है. उन्हें अपना फाइल हर जगह ले जाने की जरूरत नहीं है. डॉक्टर उनकी पूरी फाइल ऑनलाइन देख सकते हैं.