migrant crisis: प्रवासी मजदूर की कहानी, हैदराबाद से पैदल चलकर 29 कामगार एक माह में झारखंड पहुंचे
By भाषा | Published: May 9, 2020 05:10 PM2020-05-09T17:10:16+5:302020-05-09T17:10:16+5:30
प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के कारण मारे-मारे फिर रहे हैं। अपने घर पहुंचने को मजबूर यह कामगार कुछ भी करने को तैयार है। कल महाराष्ट्र में 16 की दर्दनाक मौत हो गई। इनका हाल चाल जानने वाला कोई नहीं है।
मेदिनीनगरः तेलंगाना के हैदराबाद से 29 प्रवासी मजदूरों का एक जत्था पैदल चलकर शानिवार को झारखंड के मेदिनीनगर पहुंचा, जिसे पुलिसकर्मियों ने कोविड-19 जांच के लिए सदर अस्पताल भेज दिया।
मजदूरों के इन जत्थे पर पुलिस की नजर शनिवार को उस समय पड़ी जब वे मेदिनीनगर के तटवर्ती नदी कोयल सेतु की छांव में बैठे आराम कर रहे थे। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मजदूरों का उक्त दल तेलंगाना से पैदल ही सड़क मार्ग से अपने घरों की ओर लौटा है। सभी मजदूर पलामू जिले के पांकी थाना क्षेत्र के निवासी हैं, जो तेलांगना में दिहाड़ी मजदूरी करके आजीविका चलाते थे।
इन मजदूरों में शामिल 24 वर्षीय दिलीप कुमार ने बताया, ‘‘हम एक निर्माण कंपनी में काम करते थे और जैसे ही लॉकडाउन की घोषणा हुई वैसे ही मालिक ने उन्हें काम पर आने से मना कर दिया।’’ मौके पर मौजूद पुलिस उपनिरीक्षक पूजा उरांव ने बताया कि ये मजदूर पिछले 10 अप्रैल को हैदराबाद से चले थे और आज सुबह यहां पहुंचने के बाद कोयल नदी के तट पर आराम कर रहे थे। उन्होंने बताया कि सभी मजदूरों को कोविड-19 की जांच के बाद उनके ही इलाके के के पृथकवास केंद्र में रखने के प्रबंध किए जा रहे हैं।
कुछ राज्य प्रवासी श्रमिकों को वापस बुलाने को तैयार नहीं: थोराट
महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट ने कोविड-19 से निपटने के लिए लगाये गये लॉकडाउन के कारण राज्य में फंसे प्रवासी श्रमिकों को कुछ राज्यों द्वारा वापस नहीं बुलाये जाने संबंधी रूख पर शनिवार को चिंता जताई। थोराट ने आरोप लगाया कि कई राज्यों द्वारा प्रवासी श्रमिकों के बारे में मनमाने ढंग से फैसले लेने से स्थिति और खराब हो गई। उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र सरकार फंसे हुए प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्यों में वापस भेजने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन कई राज्य अपने लोगों को वापस बुलाने के इच्छुक नहीं है।
थोराट ने मांग की कि केन्द्र को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और स्थिति बिगड़ने से पहले सभी राज्यों को स्पष्ट दिशा-निर्देश दे। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में लगभग 10 लाख ऐसे प्रवासी श्रमिक हैं जो अपने गृह राज्य लौटना चाहते हैं। ऐसे श्रमिकों को भेजने के लिए अब तक राज्य से 32 रेलगाड़ियां चलाई गई हैं। उन्होंने दावा किया कि पश्चिम बंगाल और ओडिशा से कई श्रमिक ऐसे हैं जो अपने गृह राज्य जाना चाहते हैं लेकिन ये राज्य उन्हें वापस बुलाने के लिए तैयार नहीं हैं।
थोराट ने कहा, ‘‘शुरू में उत्तर प्रदेश ने अपने राज्य के लोगों को वापस बुलाने से इनकार किया था, लेकिन अब उन्होंने अपने फैसले में बदलाव किया है और हमने उन्हें वापस भेजना शुरू कर दिया है।’’ मंत्री ने आरोप लगाया कि कुछ दिन पहले तक सहयोग कर रही बिहार सरकार ने अब प्रवासी श्रमिकों का प्रवेश रोक दिया है जबकि कांग्रेस इन श्रमिकों का यात्रा खर्च भी वहन करने को तैयार थी।