मेघालयः एक महीने की मशक्कत के बाद खदान में 200 फीट नीचे मिला पहला शव, बचाव की कोशिशें तेज
By भाषा | Published: January 17, 2019 09:51 AM2019-01-17T09:51:59+5:302019-01-17T09:59:36+5:30
मेघालय में एक महीने से ज्यादा वक्त से खदान में फंसे खनिकों को बचाने की कोशिश जारी है। गुरुवार को जमीन से 200 फीट नीचे से एक खनिक का शव निकाला गया।
शिलांग, 17 जनवरीः मेघालय के ईस्ट जयंतिया हिल्स जिले में एक अवैध रैटहोल खदान में अचानक पानी भर जाने से खनिकों के अंदर फंस जाने की घटना को पूरे एक माह से ज्यादा वक्त हो गया है। अब तक के बचाव संबंधी प्रयासों के लगातार विफल होने के कारण यह उम्मीद बेहद क्षीण हो चुकी है कि इन खनिकों को सही सलामत बाहर निकाला जा सकेगा। गुरुवार को नेवी ने 200 फीट नीचे से एक मजदूर का शव बरामद किया।
खदानों में अपने काम के लिये महारथ रखने वाले वैज्ञानिकों की एक शीर्ष टीम बचाव अभियान को गति देने के लिए रविवार को ईस्ट जयंतिया हिल्स जिला पहुंची। इस बचाव अभियान को देश का सबसे लंबा चलने वाला बचाव अभियान बताया जा रहा है।
बचाव अभियान के प्रवक्ता आर सुस्नगी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (एनजीआईआर-सीएसआईआर) और ग्रैविटी एंड मैग्नेटिक ग्रुप के विशेषज्ञों की एक टीम बचाव स्थल पहुंच गई है।
Meghalaya: Operation continues to rescue the miners who have been trapped in a mine at Ksan near Lyteiñ River in East Jaintia Hills, one body has been recovered. The miners are trapped since 13th December. #meghalayaminerspic.twitter.com/trqWsHmzwc
— ANI (@ANI) January 17, 2019
उन्होंने कहा, इसके अलावा 'ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रेडार' (जीपीआर) और चेन्नई स्थित 'रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल' (आरओवी) की एक टीम भी बचाव मिशन में मदद के लिए पहुंची है। अधिकारी ने कहा कि अब तक 370 फुट गहरी खदान से एक करोड़ लीटर पानी निकाला जा चुका है, लेकिन जलस्तर में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आया है।
उन्होंने कहा कि पास ही में मौजूद अन्य खदानों से भी दो करोड़ लीटर पानी निकाला जा चुका है क्योंकि आशंका थी कि ये खदानें आपस में जुड़ी हुई हैं। हालांकि बचावकर्मी इस बात का पता नहीं लगा पाए हैं कि पानी कैसे और कहां से आ रहा है।
बचाव अभियान में कई सरकारी एजेंसियों के करीब 200 कर्मी लगे हुए हैं, जिसमें नौसेना और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के अलावा कोल इंडिया और किर्लोस्कर ब्रदर्स लि के कर्मी शामिल हैं। बचाव अभियानों की निगरानी कर रहे उच्चतम न्यायलय ने बचाव एजेसियों को खनिकों को जीवित या मृत बाहर निकालने का निर्देश दिया है।