मेरठः 'मछली पकड़ने के दौरान धोखे से हुई थी डॉल्फिन की मौत', पोस्टमार्टम में ये बात आई सामने
By भाषा | Published: January 17, 2020 01:28 PM2020-01-17T13:28:39+5:302020-01-17T13:28:39+5:30
मेरठः मछली मारने के लिए भाला जैसा एक औजार होता है और बैराज के इलाकों में लोग इस तरह से मछली मारते हैं। कल बिजनौर में इस तरह मछली मारने वाले कुछ लोगों को पकड़ा भी गया है और उनसे पूछताछ की जा रही है।
मेरठ के हस्तिनापुर क्षेत्र में गंगा किनारे मिली डॉल्फिन की मौत मछलियों को पकड़ने के धोखे में हुई थी। इस मामले में कुछ लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। डीएफओ अदिति शर्मा ने बताया कि मंगलवार शाम वन विभाग को गश्ती के दौरान जलालपुर जोरा गांव के पास गंगा किनारे एक डॉल्फिन मृत अवस्था में मिली थी। डॉल्फिन का पोस्टमार्टम कराया गया जिसमें पता चला कि उसकी मौत शव मिलने से करीब 60 घंटे पहले हुई थी। उसके शरीर पर दो बड़े घाव मिले थे।
शर्मा ने इस बात से इंकार किया कि डॉल्फिन को शिकारियों ने मारा है। उन्होंने कहा कि शिकारी डॉल्फिन को नहीं मारते हैं क्योंकि न तो डॉल्फिन को खाया जाता है और न ही लोग इसके अन्य उपयोग के बारे में जानते हैं। उन्होंने बताया कि यह संभव है कि बैराज इलाके में मछली मारते हुए डॉल्फिन मारी गई हो और बहती हुई यहां आ गई हो।
मछली मारने के लिए भाला जैसा एक औजार होता है और बैराज के इलाकों में लोग इस तरह से मछली मारते हैं। कल बिजनौर में इस तरह मछली मारने वाले कुछ लोगों को पकड़ा भी गया है और उनसे पूछताछ की जा रही है।
डीएफओ के बताया कि घटना की जांच के लिए एक कमेटी गठित कर उसे 15 दिन के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है। डॉल्फिन के विसरा को जांच के लिए बरेली लैब में भेजा गया है।
उन्होंने बताया कि डॉल्फिन के पेट में मछलियां मिली हैं, ऐसे में उसके भूख से मरने की आशंका भी खत्म हो गई है। गौरतलब है कि गंगा में डॉल्फिन की संख्या बढ़ाने के लिए विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। उनके संरक्षण के लिए अनेक उपाय भी किए जा रहे हैं। डॉल्फिन की मौत के बाद अब बिजनौर बैराज से नरोरा बैराज तक 32 डॉल्फिन रह गई हैं।