प्रदर्शनकारियों से बात करने आज फिर शाहीन बाग जाएंगे वार्ताकार, बीते दिन बातचीत के दौरान भावुक और नाराज दिखीं धरने पर बैठीं महिलाएं, जानें क्या-क्या कहा?

By भाषा | Published: February 20, 2020 06:29 AM2020-02-20T06:29:07+5:302020-02-20T06:29:07+5:30

महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों ने वार्ताकारों के सामने अपनी-अपनी बात रखने का प्रयास किया। दादी के नाम से चर्चित बुजुर्ग महिला बिल्किस ने कहा कि चाहे कोई गोली भी चला दे, वे वहां से एक इंच भी नहीं हटेंगे।

Mediators again go To Shaheen Bagh Tears and defiance as Shaheen Bagh protesters meet SC interlocutors | प्रदर्शनकारियों से बात करने आज फिर शाहीन बाग जाएंगे वार्ताकार, बीते दिन बातचीत के दौरान भावुक और नाराज दिखीं धरने पर बैठीं महिलाएं, जानें क्या-क्या कहा?

प्रदर्शनकारियों से बात करने आज फिर शाहीन बाग जाएंगे वार्ताकार, बीते दिन बातचीत के दौरान भावुक और नाराज दिखीं धरने पर बैठीं महिलाएं, जानें क्या-क्या कहा?

Highlights16 दिसंबर से शाहीन बाग में जारी धरने के चलते दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाली मुख्य सड़क बंद है, जिससे यात्रियों और स्कूल जाने वाले बच्चों को परेशानी हो रही है। वार्ताकारों से बात करते समय एक महिला रो पड़ी। महिला ने कहा कि वे संविधान को बचाने के लिये प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन लोगों को केवल यात्रियों को हो रही असुविधा दिख रही है।

उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त दो वार्ताकार प्रदर्शनकारियों से बात करने आज फिर शाहीन बाग जाएंगे। बुधवार को शाहीन बाग पहुंचकर वार्ताकारों ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत शुरू की। इस दौरान धरने पर बैठीं महिलाएं अपने दिल की बात कहते समय भावुक होने के साथ ही नाराज नजर आईं। शाहीन बाग में बीते दो महीने से सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत का यह पहला प्रयास है। वार्ताकारों अधिवक्ता संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन के साथ पूर्व नौकरशाह वजाहत हबीबुल्ला महिलाओं से बातचीत करने और गतिरोध को तोड़ने की कोशिश में शाहीन बाग पहुंचे। शाहीन बाग सीएए विरोधी प्रदर्शनों का केंद्र बना हुआ है। इस दौरान कई प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वह सीएए, एनआरसी और एनपीआर को खत्म किए जाने के बाद ही यहां से उठेंगे।

रामचंद्नन ने प्रदर्शनस्थल पर बड़ी संख्या में जमा लोगों से कहा, ''उच्चतम न्यायालय ने प्रदर्शन करने के आपके अधिकार को बरकरार रखा है। लेकिन अन्य नागरिकों के भी अधिकार हैं, जिन्हें बरकरार रखा जाना चाहिये।'' उन्होंने कहा, ''हम मिलकर समस्या का हल ढूंढना चाहते हैं। हम सबकी बात सुनेंगे।'' महिलाओं द्वारा व्यक्त की गईं चिंताओं पर रामचंद्रन ने कहा कि ये सभी बिंदु उच्चतम न्यायालय के सामने रखे जाएंगे और इन पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा, ''मैं आपसे एक बात कहना चाहती हूं। जिस देश में आप जैसी बेटियां हों, उसे कोई खतरा नहीं हो सकता।''

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा था कि शाहीन बाग में सड़क की नाकाबंदी से परेशानी हो रही है।

उन्होंने कहा, ''आजादी लोगों के दिलों में बसती है।'' इससे पहले हेगड़े ने प्रदर्शनकारियों को उच्चतम न्यायालय के आदेश के बारे में बताया। रामचंद्रन ने उसका हिंदी में अनुवाद किया।

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा था कि शाहीन बाग में सड़क की नाकाबंदी से परेशानी हो रही है। न्यायालय ने प्रदर्शनकारियों के विरोध के अधिकार को बरकरार रखते हुए सुझाव दिया कि वे किसी अन्य जगह पर जा सकते हैं जहां कोई सार्वजनिक स्थान अवरुद्ध न हो। शीर्ष अदालत ने हेगड़े को एक वार्ताकार के रूप में प्रदर्शनकारियों को एक वैकल्पिक स्थल पर चले जाने के लिए मनाने में रचनात्मक भूमिका निभाने को कहा था। अदालत ने कहा था कि वार्ताकार हबीबुल्लाह की सहायता ले सकते हैं।

16 दिसंबर से जारी धरने के चलते दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाली मुख्य सड़क बंद है, जिससे यात्रियों और स्कूल जाने वाले बच्चों को परेशानी हो रही है। महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों ने वार्ताकारों के सामने अपनी-अपनी बात रखने का प्रयास किया। दादी के नाम से चर्चित बुजुर्ग महिला बिल्किस ने कहा कि चाहे कोई गोली भी चला दे, वे वहां से एक इंच भी नहीं हटेंगे। नाराज वृद्ध महिला ने कहा कि मुख्य तम्बू जहां पर पोडियम खड़ा किया गया है, उसने सड़क के केवल 100 से 150 मीटर हिस्से को ही घेर रखा है।

आप एनआरसी और सीएए को खत्म कर दो, हम एक सेकेंड से पहले जगह खाली कर देंगे-  प्रदर्शनकारी

उन्होंने कहा, ''हमने पूरे हिस्से को अवरुद्ध नहीं कर रखा है। दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा के नाम पर पूरी सड़क पर बंद कर दी है। आप पहले उसे क्यों नहीं हटाते? हमने कभी भी पुलिस या किसी अधिकारी से हमारे लिए सड़कों को अवरुद्ध करने के लिए नहीं कहा। उन्होंने ही सड़क बंद कर रखी है और अब नाकेबंदी के लिए हमें दोषी ठहरा रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि जब तक सीएए वापस नहीं लिया जाता तब तक वे वहां से नहीं हटेंगे। बिल्किस ने कहा, ''उन्होंने हमें गद्दार कहा। जब हमने अंग्रेजों को देश से बाहर निकाल दिया, तो नरेन्द्र मोदी और अमित शाह क्या चीज हैं? अगर कोई हम पर गोली भी चला दे, तब भी हम एक इंच पीछे नहीं हटेंगे। आप एनआरसी और सीएए को खत्म कर दो, हम एक सेकेंड से पहले जगह खाली कर देंगे।''

वार्ताकारों से बात करते समय एक महिला रो पड़ी। महिला ने कहा कि वे संविधान को बचाने के लिये प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन लोगों को केवल यात्रियों को हो रही असुविधा दिख रही है। वे चाहें तो कई अन्य रास्तों से आ जा सकते हैं। उन्होंने कहा, ''क्या हमें सर्द रातों में बिना खाने, बिना अपने बच्चों के यहां बैठकर असुविधा नहीं हो रही। हम खुद भी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, हम नागरिकों के लिये कैसे परेशानी बन सकते हैं?'' महिला ने कहा कि एंबुलेंस और वाहनों को रास्ता नहीं देने के आरोप बेबुनियाद हैं।

उन्होंने कहा, ''हमने रोड जाम नहीं कर रखा। बल्कि केन्द्र सरकार ने देश में आजादी पर रोक लगा रखी है।'' एक अन्य महिला ने विरोध प्रदर्शनों को अपने लिये मानसिक आघात बताया। उन्होंने कहा, "हम रात में सो नहीं पा रहे हैं और यहां हर महिला डरी हुई है। हमारा धर्म हमें आत्महत्या की इजाजत नहीं देता लेकिन हम हर दिन मर रहे हैं। हमारी हालत बीमारों जैसी हो गई है और मौत मांग रहे हैं।" इस महीने की शुरुआत में प्रदर्शन स्थल पर गोली चलने की घटनाओं से दहशत फैल गई थी। कई महिलाओं ने कहा कि वे पीढ़ियों से इस इलाके में रह रही हैं।

उन्होंने कहा, ''हम कोई घुसपैठिये नहीं हैं, जो चले जाएंगे।'' बटला हाउस में रहने वाली रुख्सार ने कहा, ''यह सरकार केवल हुक्म चलाती है। यही प्रधानमंत्री आंसू बहाते हुए कह रहे थे कि वह मुस्लिम महिलाओं के दर्द को महसूस करते हैं और ट्रिपल तालक बिल लाए हैं। वह न्याय दिलाने के लिये पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को ढूंढ रहे थे। हम सैंकड़ों महिलाएं यहां बैठी हैं, हमें इंसाफ दिलाएं।'' तीन घंटे चली बातचीत बृहस्पतिवार को भी जारी रहेगी। 

Web Title: Mediators again go To Shaheen Bagh Tears and defiance as Shaheen Bagh protesters meet SC interlocutors

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