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भारतीय नौसेना को मिली स्‍कॉ‍र्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्‍बी ‘खंदेरी’, जानें कैसे रखा गया यह नाम

By भाषा | Updated: September 20, 2019 06:02 IST

क्षा मंत्रालय ने कहा है कि दो अन्‍य स्‍कॉर्पीन पनडुब्बियां- वागीर और वागशीर निर्माण के विभिन्‍न चरणों में हैं। स्‍कॉर्पीन पनडुब्बियों के निर्माण में यह प्रगति रक्षा उत्‍पादन विभाग के सक्रिय सहयोग के बिना संभव नहीं थी।

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ठळक मुद्देपनडुब्‍बी खंदेरी का नाम हिन्‍द महासागर में पाई जाने वाली एक खतरनाक शिकारी मछली-सॉ फिश के नाम पर रखा गया है।पहली खंदेरी पनडुब्‍बी छह दिसंबर, 1968 को भारतीय नौसेना में शामिल की गई थी।

मझगांव डॉक शिपबिल्‍डर्स लिमिटेड (एमडीएल) ने बृहस्पतिवार को भारतीय नौसेना के लिए स्‍कॉ‍र्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्‍बी खंदेरी की आपूर्ति की। खंदेरी को जल्‍द ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय ने इस बारे में बताया। 

स्‍कॉर्पीन श्रेणी की तीसरी पनडुब्‍बी करंज का निर्माण पिछले साल 31 जनवरी को शुरु किया गया था। यह पनडुब्‍बी अभी समुद्री परीक्षण के अपने कई चरण से गुजर रही है। स्‍कॉर्पीन श्रेणी की चौथी पनडुब्‍बी वेला का हाल ही में मई 2019 में जलावतरण किया था। इसे समुद्री परीक्षण के लिए तैयार किया जा रहा है। 

रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि दो अन्‍य स्‍कॉर्पीन पनडुब्बियां- वागीर और वागशीर निर्माण के विभिन्‍न चरणों में हैं। स्‍कॉर्पीन पनडुब्बियों के निर्माण में यह प्रगति रक्षा उत्‍पादन विभाग के सक्रिय सहयोग के बिना संभव नहीं थी। स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां आमतौर पर किसी भी आधुनिक पनडुब्बी द्वारा किए जाने वाले विविध कार्यों को बड़ी निपुणता के साथ कर सकती हैं। 

एमडीएल ने मुंबई में भारतीय नौसेना के लिए स्‍कॉ‍र्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्‍बी खंदेरी की आपूर्ति की। सेना की ओर से पनडुब्‍बी हासिल करने के दस्‍तावेज पर एमडीएल के अध्‍यक्ष व प्रबंध निदेशक राकेश आनंद तथा नौसेना के पश्चिमी कमान के नौसैनिक कमांडर बी.शिवकुमार ने एमडीएल के निदेशकों और नौसैनिक अधिकारियों की मौजूदगी में हस्‍ताक्षर किए। 

रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि खंदेरी को जल्‍द ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा। पनडुब्‍बी खंदेरी का नाम हिन्‍द महासागर में पाई जाने वाली एक खतरनाक शिकारी मछली-सॉ फिश के नाम पर रखा गया है। पहली खंदेरी पनडुब्‍बी छह दिसंबर, 1968 को भारतीय नौसेना में शामिल की गई थी। करीब 20 साल से ज्‍यादा समय तक सेवा देने के बाद इस पनडुब्‍बी को 18 अक्‍टूबर 1989 को अलविदा कह दिया गया। 

एमडीएल द्वारा 1992 और 1994 में निर्मित दो एसएसके पनडुब्बियां 25 साल पूरा हो जाने के बाद भी अभी तक भारतीय नौसेना में अपनी सेवा दे रही हैं।

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