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मायावती ने वापस लिया मुलायम सिंह यादव के खिलाफ गेस्ट हाउस कांड का 24 साल पुराना केस

By अभिषेक पाण्डेय | Updated: November 8, 2019 13:19 IST

Mayawati: बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने समाजवादी प्रमुख मुलायम सिंह यादव के खिलाफ गेस्ट हाउस कांड का मामला वापस ले लिया है

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ठळक मुद्देमायावती ने मुलायम सिंह यादव के खिलाफ गेस्ट हाउस कांड केस वापस ले लिया हैगेस्ट हाउस कांड 2 जून 1995 को हुआ था, मायावती ने लगाया था हत्या की साजिश का आरोप

एक अप्रत्याशित कदम के तहत, बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने समाजवादी पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ दर्ज कुख्यात 1995 गेस्ट हाउस केस वापस ले लिया है।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, बीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने इस बात की पुष्टि की है कि उनकी पार्टी प्रमुख ने केस वापस लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है, हालांकि उन्होंने इससे जुड़ी विस्तृत जानकारी नहीं दी। 

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता, राजेंद्र चौधरी ने कहा, मुझे अब तक इसकी जानकारी नहीं है। मैं इसके बारे में जानकारी हासिल करने के बाद ही कुछ कहूंगा। 

एक और बीएसपी नेता ने कहा कि मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

सूत्रों के मुताबिक, मायावती ने गुरुवार को पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक में कहा कि अखिलेश यादव ने उनसे लोकसभा चुनावों के दौरान अपने पिता के खिलाफ 24 साल पुराना मामला वापस लेने का निवेदन किया था। 

मायावती ने कहा कि उन्होंने पार्टी के राज्यसभा सांसद सतीश मिश्रा से इस मामले को देखने को कहा था।

क्या है गेस्ट हाउस कांड, जिसने बदल दी थी यूपी की राजनीति!

गेस्ट हाउस कांड के नाम से कुख्यात ये घटना 2 जून 1995 को राज्य में तब हुई थी, जब उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा की गठबंधन सरकार थी। 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और बसपा प्रमुख कांशीराम ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ लड़ने के लिए 1993 विधानसभा चुनाव साथ में लड़ने के लिए गठबंधन किया था। 

बसपा-सपा गठबंधन ने इन चुनावों में 425 सीटों (उस समय उत्तराखंड भी यूपी का हिस्सा था) में से 176 सीटें जीती थीं और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई थी और मुलायम मुख्यमंत्री बने थे। 

लेकिन जल्द ही सपा और बसपा के बीच मतभेद उभरने लगे। इस बीच बीजेपी नेताओं ने मायावती से मुलाकात की और बसपा का समर्थन मिलने पर मायावती को सीएम पद का प्रस्ताव दिया।  

2 जून 1995 को मायावती ने लखनऊ के मीराबाई गेस्टहाउस में अपने पार्टी विधायकों की एक बैठक बुलाई। लेकिन सपा के नेता और कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर इस गेस्ट हाउस पर हमला कर दिया था।

अपनी जान बचाने के लिए मायावती और कुछ बसपा विधायकों ने खुद को गेस्ट हाउस के कमरों में बंद कर लिया था। बाद में मायावती को बीजेपी के नेताओं ने बचाया। इस मामले में  इस मामले में लखनऊ पुलिस स्टेशन में एक केस दर्ज हुआ, जिनमें आरोपी के तौर पर सपा के कई प्रमुख नेताओं के नाम शामिल थे। मायावती ने आरोप लगाया कि इस हमले का मकसद उनकी हत्या करना था।

इसके बाद मुलायम सिंह की सरकार गिर गई और मायावती बीजेपी के समर्थन से राज्य की सीएम बन गईं। 

इस घटना ने बसपा और सपा को एकदूसरे का कट्टर दुश्मन बना दिया और 2019 लोकसभा चुनावों में सपा के साथ गठबंधन से पहले दोनों कभी साथ नहीं आए। सपा के साथ इस गठबंधन को लेकर मायावती ने कहा था कि अखिलेश 1995 में राजनीति में नहीं थे। इन दोनों पार्टियों का ये गठबंधन लोकसभा चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पांच महीने के अंदर ही टूट गया। 

टॅग्स :मायावतीमुलायम सिंह यादवबहुजन समाज पार्टी (बसपा)समाजवादी पार्टीअखिलेश यादव
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