बहुजन समाज में बसपा के घटते प्रभाव को थामने की तैयारी में मायावती, लखनऊ के बाद अब नोएडा में करेंगी शक्ति प्रदर्शन
By राजेंद्र कुमार | Updated: November 30, 2025 17:05 IST2025-11-30T17:05:05+5:302025-11-30T17:05:16+5:30
मायावती ने कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर 9 अक्टूबर को लखनऊ में रैली के बाद अब नोएडा में शक्ति प्रदर्शन करने का फैसला किया है.

बहुजन समाज में बसपा के घटते प्रभाव को थामने की तैयारी में मायावती, लखनऊ के बाद अब नोएडा में करेंगी शक्ति प्रदर्शन
लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती बहुजन समाज में पार्टी के घटते जा रहे असर को लेकर काफी परेशान है. बिहार में हुए विधानसभा चुनावों में बसपा की जो गति हुई है, उसने मायवाती की चिंता में इजाफ़ा किया है. ऐसे में मायावती ने कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर 9 अक्टूबर को लखनऊ में रैली के बाद अब नोएडा में शक्ति प्रदर्शन करने का फैसला किया है. इसके तहत 6 दिसंबर को डॉ. भीमराव आंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर नोएडा में राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाएगा.
इस श्रद्धांजलि सभा में बहुजन समाज के लाखों लोगों को जुटा कर मायावती पश्चिमी यूपी में पार्टी के खोये वोटरों को साधने का प्रयास करेंगी. साथ ही बहुजन समाज को यह संदेश भी देंगी कि अब वह घर से प्रेस नोट जारी कर बहुजन समाज से अपनी बात कहने के बजाए जनता के बीच आकर अपना संदेश देंगी और बहुजन समाज को फिर से एकजुट कर एक ताकत बनाने का प्रयास करेंगी.
फिलहाल बसपा के प्रमुख नेता 6 दिसंबर को नोएडा में होने वाली श्रद्धांजलि सभा के आयोजन की तैयारी में जुट गए हैं. नोएडा (गौतमबुद्ध नगर) में बसपा के जिलाध्यक्ष लख्मी सिंह की अध्यक्षता में पश्चिमी यूपी के कई मंडलों और जिलों के पदाधिकारी की एक कमेटी इसके लिए बनाई गई है. यह कमेटी ही पार्टी के सीनियर नेताओं के निर्देश पर श्रद्धांजलि सभा के आयोजन की सारी तैयारियों को अंतिम रूप देगी.बसपा नेताओं का कहना है कि करीब 14 साल बाद मायावती नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल 6 दिसंबर को आ रही हैं.
इससे पहले वर्ष 2011 में मायावती यहां उस समय आईं थी, जब इसका उद्घाटन किया गया था. इसलिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कार्यकर्ताओं में 6 दिसंबर को यहां एक अलग उत्साह देखने को मिलेगा और पार्टी के खिसकते जा रहे वोट बैंक को फिर से मजबूत करने का रास्ता तैयार होगा.एक समय था जब बसपा पश्चिम यूपी और बुंदेलखंड में एक बड़ी ताकत थी. लेकिन वर्ष 2012 के बाद से बसपा इस दोनों इलाकों में अपना आधार वोट खोने लगी और वर्तमान समय में पश्चिम यूपी में बसपा के पास एक भी विधानसभा सीट नहीं है. जबकि इसी पश्चिम यूपी से बिजनौर जिले से मायावती ने अपनी राजनीतिक संघर्ष की शुरुआत ही थी.
ऐसा क्यों हुआ कि पश्चिम यूपी के लोगों ने बसपा को हाशिए पर पहुंचा दिया? इसकी वजह मायावती को पता है. वह जानती हैं कि जिस तरह से उन्होंने घर में बैठकर बसपा को चलाने का प्रयास बीते 13 वर्षों में किया, इसके चलते ही देश और प्रदेश में बसपा का वोट बैंक खिसका है. अब इसे फिर से साधने के लिए ही दो माह के भीतर ही मायावती ने बहुजन समाज के लाखों लोगों को जुटाने के लिए 6 दिसंबर को डॉ. भीमराव आंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित करने का फैसला किया है.
इस आयोजन के मायावती नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, बुलंदशहर में अपने खोए वोटरों को साधने का मुहिम शुरू करेंगी. फिलहाल मायावती की इस मंशा की पूर्ति के लिए बसपा के नोएडा जिलाध्यक्ष लख्मी सिंह नोएडा में पार्टी कैडर को बूथ स्तर पर सक्रिय करने में लगे हैं, 6 दिसंबर की रैली के बाद प्रदेशभर के बसपा कार्यकर्ता मिशन-2027 के लिए तन-मन-धन से जुट जाएं. लख्मी सिंह का दावा है कि बसपा कैडर से जुड़े कार्यकर्ता यूपी चुनाव में पार्टी को सत्ता में लाने का संकल्प लेकर श्रद्धांजलि सभा से वापस अपने घर जाएंगे.