मंगल मिशन ‘मंगलयान’ ने पूरे किए पांच साल, मॉम काम कर रहा है और निरंतर तस्वीरें भेज रहा है

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 25, 2019 08:21 PM2019-09-25T20:21:18+5:302019-09-25T20:21:18+5:30

इसरो प्रमुख के. सिवन ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में भारत के पहले अंतर ग्रहीय मिशन मार्स ऑर्बिटर मिशन (मॉम) ने भारत की अंतरिक्ष एजेंसी को ऑर्बिटर द्वारा मुहैया करायी तस्वीरों के आधार पर मंगल ग्रह की मानचित्रावली तैयार करने में मदद की।

Mars mission 'Mangalyaan' completes five years, mom is working and sending pictures continuously | मंगल मिशन ‘मंगलयान’ ने पूरे किए पांच साल, मॉम काम कर रहा है और निरंतर तस्वीरें भेज रहा है

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अधिकारी ने बताया कि मंगलयान के ऑर्बिटर ने हजारों तस्वीरें भेजी हैं।

Highlightsसिवन ने कहा, ‘‘यह काम कर रहा है और निरंतर तस्वीरें भेज रहा है। अभी वह कुछ और वक्त तक काम कर सकता है।’’ मंगलयान-2 के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि काम चल रहा है और अभी उस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है।

केवल छह महीने की अवधि के लिए भेजे गए मंगलयान मिशन ने मंगलवार को मंगल ग्रह की परिक्रमा करते हुए पांच साल पूरे कर लिए हैं व उसके कुछ और वक्त तक ग्रह के चक्कर लगाने की संभावना है।

इसरो प्रमुख के. सिवन ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में भारत के पहले अंतर ग्रहीय मिशन मार्स ऑर्बिटर मिशन (मॉम) ने भारत की अंतरिक्ष एजेंसी को ऑर्बिटर द्वारा मुहैया करायी तस्वीरों के आधार पर मंगल ग्रह की मानचित्रावली तैयार करने में मदद की।

सिवन ने कहा, ‘‘यह काम कर रहा है और निरंतर तस्वीरें भेज रहा है। अभी वह कुछ और वक्त तक काम कर सकता है।’’ मंगलयान-2 के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि काम चल रहा है और अभी उस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अधिकारी ने बताया कि मंगलयान के ऑर्बिटर ने हजारों तस्वीरें भेजी हैं। पूर्व इसरो प्रमुख ए एस किरण कुमार ने कहा कि इस मिशन का महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह पता लगाना रहा कि मंगल ग्रह पर धूल भरी आंधियां सैकड़ों किलोमीटर तक चल सकती हैं।

मंगलयान को हॉलीवुड की फिल्म ‘‘ग्रेविटी’’ और नासा के मावेन ऑर्बिटर से भी कम लागत में मंगल पर भेजा गया जिसके लिए उसकी काफी प्रशंसा की गई। मावेन ऑर्बिटर भारत के मंगल मिशन के जैसा है। मंगलयान पृथ्वी की कक्षा को सफलतापूर्वक पार करने वाला भारत का पहला मिशन है।

इस मिशन में प्रक्षेपण यान, अंतरिक्षयान और उसके सभी तत्वों की लागत 450 करोड़ रुपये है। अंतरिक्ष यान का जीवनकाल ग्रह की परिक्रमा करने के लिए आवश्यक ईंधन की उपलब्धता पर निर्भर करता है। मॉम के मामले में वैज्ञानिकों का कहना है कि उसके पास कुछ रिजर्व प्रणोदक हैं।

कुमार ने कहा, ‘‘ऑर्बिटर एक और साल तक काम कर सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह पहली बार है जब हम पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से आगे जा रहे थे। हमने बिना किसी गड़बड़ी के सभी चरण पूरे किए और हम अतिरिक्त ईंधन का उपभोग किए बगैर मंगल ग्रह की कक्षा तक पहुंचने में कामयाब रहे।

इंसर्शन भी ठीक तरीके से हुआ जिससे ईंधन बचाने में मदद मिली।’’ अपने जीवनकाल से अधिक काम करने वाले इसरो के एक उपग्रह का उदाहरण देते हुए इसरो के पूर्व वैज्ञानिक सचिव कृष्ण मूर्ति वाई वी एन ने कहा कि कक्षा के अंदर की स्टीरियो तस्वीरें भेजने में सक्षम भारत के पहले रिमोट सेंसिंग उपग्रह कार्टोसैट-1 को तीन साल की अवधि के लिए भेजा गया था लेकिन वह 10 साल तक काम करता रहा। इस उपग्रह का 2005 में प्रक्षेपण किया गया था। 

Web Title: Mars mission 'Mangalyaan' completes five years, mom is working and sending pictures continuously

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