Manu Bhaker Paris Olympics 2024 Medal: स्वतंत्रता के बाद एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय, 2 मेडल जीतने वाले इंडियन प्लेयर
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 30, 2024 05:41 PM2024-07-30T17:41:09+5:302024-07-30T17:42:51+5:30
Manu Bhaker Paris Olympics 2024 Medal live update: युवा निशानेबाज मनु भाकर स्वतंत्रता के बाद ओलंपिक के एक ही सत्र में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय बन गई हैं। मनु के अलावा पहलवान सुशील कुमार और पीवी सिंधू ने भी दो ओलंपिक पदक जीते है लेकिन यह पदक अलग-अलग वर्षों में आये है।
Manu Bhaker Paris Olympics 2024 Medal live update: मनु भाकर ने स्वतंत्रता के बाद एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय बनकर इतिहास रच दिया जिन्होंने सरबजोत सिंह के साथ पेरिस ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम वर्ग में दक्षिण कोरिया को हराकर कांस्य पदक जीता। भारतीय जोड़ी ने कोरिया के ली वोन्हो और ओ ये जिन को 16-10 से हराकर देश को इस ओलंपिक में दूसरा पदक दिलाया। इससे पहले मनु ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में कांस्य जीता था।
टोक्यो ओलंपिक में मनु पिस्टल में खराबी आने के कारण फाइनल के लिये क्वालीफाई नहीं कर सकी थी लेकिन यहां दो पदक जीतकर उन्होंने हर जख्म पर मरहम लगा दिया। ब्रिटिश मूल के भारतीय खिलाड़ी नॉर्मन प्रिचार्ड ने 1900 ओलंपिक में 200 मीटर फर्राटा और 200 मीटर बाधा दौड़ में रजत पदक जीते थे लेकिन वह उपलब्धि आजादी से पहले की थी।
ओलंपिक खेलों के व्यक्तिगत स्पर्धा में दो पदक जीतने वाले भारतीय खिलाड़ियों की सूची
1.सुशील कुमारःपहलवान सुशील कुमार व्यक्तिगत स्पर्धा में भारत के पहले दो बार के ओलंपिक पदक विजेता हैं। 2008 बीजिंग ओलंपिक में उनके कांस्य पदक ने भारतीय कुश्ती को विश्व मानचित्र पर जगह दिलायी तो वहीं उन से प्रेरित होकर देश में से अधिक पहलवानों ने इस खेल को अपनाया।
उन्होंने 2012 लंदन ओलंपिक में पहली बार कुश्ती में रजत पदक हासिल करके अपनी उपलब्धि में सुधार किया। खेलों में शीर्ष पहुंचने वाले सुशील को निजी जिंदगी में धरातल पर गिरते देखना दुखद था। उन्हें 2021 में जूनियर पहलवान सागर धनखड़ की हत्या में शामिल पाया गया था और वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में अपनी सजा काट रहे हैं।
2. पीवी सिंधूः भारत की महानतम बैडमिंटन खिलाड़ियों में शामिल पी वी सिंधू रियो डि जिनेरियो में 2016 ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली देश की पहली शटलर बनीं। हैदराबाद की इस खिलाड़ी ने इसके तीन साल बाद तोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीता। साल 2019 की विश्व चैंपियन सिंधू अब तीन ओलंपिक पदक जीतने वाली भारतीय एथलीट बनने की उपलब्धि की ओर बढ़ रही है। वह पेरिस ओलंपिक में महिला एकल में पदक की दावेदारों में शामिल है।
3. मनु भाकरः मनु ने पेरिस खेलों में दो पदक जीतकर सिंधू और सुशील की बराबरी करने के साथ एक ही ओलंपिक में इस उपलब्धि को हासिल करने वाली पहली भारतीय बन गयी। मनु ने शानदार एकाग्रता और मजबूत मानसिकता का परिचय देते हुए महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में कांस्य जीतने के बाद मंगलवार को सरबजोत सिंह के साथ 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम वर्ग में दक्षिण कोरिया को हराकर अपना दूसरा कांस्य पदक जीता। तीन साल पहले टोक्यो ओलंपिक में पिस्टल खराब होने के कारण नम आंखों के साथ वापस आने वाली मुन के पास पेरिस में तीसरा पदक जीतने का भी मौका है। मनु को अभी 25 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में चुनौती पेश करनी है।
नॉर्मन प्रिचार्ड: एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाले भारत के पहले खिलाड़ी
जब भी कोई भारतीय ओलंपिक में कोई उपलब्धि हासिल करता है तो उनका नाम हमेशा सामने आता है। मंगलवार को ब्रिटिश-भारतीय नॉर्मन प्रिचार्ड फिर से चर्चा में थे जब निशानेबाज मनु भाकर एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली स्वतंत्र भारत की पहली खिलाड़ी बनीं। प्रिचार्ड ने स्वतंत्रता से पहले वर्ष 1900 में पेरिस में ही हुए ओलंपिक खेलों में 200 मीटर फर्राटा और 200 मीटर बाधा दौड़ में रजत पदक जीतकर इतिहास रचा था। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने प्रिचार्ड को भारतीय के रूप में सूचीबद्ध किया है तो वहीं विश्व एथलेटिक्स (पूर्व में आईएएएफ) ने उनके ओलंपिक पदकों का श्रेय ब्रिटेन को दिया है। प्रिचार्ड का जन्म 1875 में तत्कालीन कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ था और 1929 में 54 वर्ष की आयु में लॉस एंजिल्स में उनकी मृत्यु हुई।
आईओसी ने माना कि उनकी राष्ट्रीयता के सवाल का जवाब देना आसान नहीं है। ‘ओलंपिक्स.कॉम’ वेबसाइट के अनुसार, ‘‘नॉर्मन प्रिचार्ड एक विवादास्पद ओलंपियन हैं क्योंकि ब्रिटेन और भारत दोनों ने दावा किया है कि उन्होंने 1900 ओलंपिक में उनके लिए प्रतिस्पर्धा की थी।’’ इसमें कहा गया, ‘‘हालांकि वह 1900 ओलंपिक में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के बराबर नहीं थे।
लेकिन वह एक बेहतरीन धावक और बाधा दौड़ खिलाड़ी थे जिन्होंने लगातार सात वर्षों (1894-1900) तक बंगाल का 100 गज का खिताब जीता और 440 गज तथा 120 गज की बाधा दौड़ में बंगाल के चैंपियन भी रहे जो भारतीय दावे का समर्थन करता है।’’ जाने-माने ब्रिटिश ओलंपिक इतिहासकार इयान बुकानन के अनुसार प्रिचार्ड का जन्म भारत में हुआ था लेकिन वह ‘निर्विवाद रूप से ब्रिटिश’ थे।
उन्हें ओलंपिक पदक जीतने वाले एशिया में जन्में पहले खिलाड़ी के रूप में भी वर्णित किया जाता है। प्रिचार्ड पदक के तुरंत बाद अभिनय में अपना करियर बनाने के लिए अमेरिका चले गए और नॉर्मन ट्रेवर के नाम से 27 मूक हॉलीवुड फिल्मों में दिखाई दिए। आईएएएफ की 2019 में जारी ‘हैंडबुक’ में प्रिचार्ड के रजत पदक ग्रेट ब्रिटेन को दिए गए थे।
भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) ने उन्हें भारतीय एथलेटिक्स के ‘हॉल ऑफ फेम’ में शामिल किया है। इस दिवंगत खिलाड़ी पर लिखे गए नोट में कहा गया है, ‘‘वह भारत लौट आए लेकिन 1905 में स्थायी रूप से इंग्लैंड चले गए। बाद में हॉलीवुड में अपनी पहचान बनाने के लिए वह अमेरिका चले गए और वहां उन्होंने नॉर्मन ट्रेवर के रूप में एक नया नाम अपनाते हुए कई फिल्मों में अभिनय किया।’’
इसमें कहा गया, ‘‘एक ही जीवन में दो नामों वाला व्यक्ति एथलेटिक्स में असामान्य है लेकिन प्रिचार्ड को कई लोग ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय के रूप में जानते हैं।’’ ‘इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ ओलंपिक हिस्टोरियंस’ के सदस्य जाने-माने भारतीय एथलेटिक्स सांख्यिकीविद् मुरली कृष्णन ने कहा कि अब यह तय हो चुका है कि प्रिचार्ड ने एक भारतीय के रूप में प्रतिस्पर्धा की थी ‘‘क्योंकि आईओसी उन पदकों का श्रेय भारत को देता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ग्रेट ब्रिटेन के एथलीट के रूप में उनका नाम दर्ज किए जाने का कुछ संबंध इस तथ्य से हो सकता है कि एथलेटिक्स की वैश्विक संचालन संस्था का मुख्यालय मोनाको में स्थानांतरित होने से पहले एक समय लंदन में स्थित था।’’