मनोज कुमार पांडेय को पहला स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान, कहानी संग्रह 'बदलता हुआ देश' के लिए मिला सम्मान

By विमल कुमार | Published: September 27, 2021 03:56 PM2021-09-27T15:56:44+5:302021-09-27T15:56:44+5:30

कहानी विधा के लिए सुपरिचित कथाकार मनोज कुमार पांडेय के कहानी संग्रह 'बदलता हुआ देश' के उन्हें पहला स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान दिया गया है।

Manoj Kumar Pandey gets first swayam prakash smriti samman for badalta hua desh | मनोज कुमार पांडेय को पहला स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान, कहानी संग्रह 'बदलता हुआ देश' के लिए मिला सम्मान

कथाकार मनोज कुमार पांडेय

Highlightsसुप्रसिद्ध साहित्यकार स्वयं प्रकाश की स्मृति में हर साल दिया जाता है यह सम्मान।स्वयं प्रकाश हिंदी कथा साहित्य के क्षेत्र में मौलिक योगदान के लिए जाने जाते हैं।ढाई सौ के आसपास कहानियाँ लिखीं और उनके पांच उपन्यास भी प्रकाशित हुए थे।

साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में कार्यरत संस्थान ’स्वयं प्रकाश स्मृति न्यास’ ने सुप्रसिद्ध साहित्यकार स्वयं प्रकाश की स्मृति में दिए जाने वाले वार्षिक सम्मान की घोषणा कर दी है। न्यास के अध्यक्ष प्रो. मोहन श्रोत्रिय ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर के इस सम्मान में इस बार कहानी विधा के लिए सुपरिचित कथाकार मनोज कुमार पांडेय के कहानी संग्रह 'बदलता हुआ देश' को दिया जाएगा।

सम्मान के लिए तीन सदस्य निर्णायक मंडल ने सर्वसम्मति से इस संग्रह को वर्ष 2021 के लिए चयनित करने की अनुशंसा की है। निर्णायक  मंडल के वरिष्ठतम सदस्य कथाकार काशीनाथ सिंह (वाराणसी) ने अपनी संस्तुति में कहा कि यह संग्रह लोकतंत्र के पतनोन्मुख कालखंड का दिलचस्प किन्तु बेचैन और विक्षुब्ध करने वाला आख्यान प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय के त्रासद, भयावह और जनविरोधी यथार्थ के उद्घाटन और उसके चित्रण के लिए मनोज ने एक नये किस्म के शिल्प की तलाश की है।  

उन्होंने कहा कि मनोज ने वर्तमान यथार्थ को मनुष्य की कथा कहने की आदिम शैली 'लोककथा' में संभव किया है। सिंह ने कहा कि इन कहानियों में किस्सागोई, उत्सुकता और कुतूहल है जिन्हें कहानियाँ कूड़ा कबाड़ मान कर छोड़ चुकी थीं। निर्णायक मंडल के दूसरे सदस्य कथाकार असग़र वजाहत (दिल्ली) ने  संस्तुति में कहा कि मनोज कुमार पांडेय कहानी के एक कम प्रचलित मुहावरे में सामाजिक यथार्थ को समझने, समझाने का प्रयास करते हैं। 

उन्होंने मौखिक परम्परा की कहानी और दास्तान गोई के तत्वों को मिलाकर एक शैली बनाने का प्रयास किया है। उनकी कहानियों को किसी प्रचलित शैली के अंदर नहीं रखा जा सकता है और यह बहुत महत्वपूर्ण तथ्य है। सामाजिक संरचना और उसके अंतर्द्वंद्व को समझने के लिए कहानीकार बहुत सधी हुई स्थितियां निर्मित करता है जिनके माध्यम से उसकी बात कहीं बहुत पीछे छिपी हुई इस तरह दिखाई पड़ती है जैसे घने अंधेरे में कहीं कोई चमक। 

तीसरे निर्णायक कवि-गद्यकार राजेश जोशी (भोपाल) ने मनोज कुमार पाण्डेय के कहानी संग्रह 'बदलता हुआ देश : स्वर्ण देश की लोक कथाएं' की अनुशंसा में कहा कि किस्सागोई को पुन: नया करने की यह कोशिश कहानी के नये रास्ते खोलेगी।

प्रो श्रोत्रिय ने बताया कि मूलत: राजस्थान के अजमेर निवासी स्वयं प्रकाश हिंदी कथा साहित्य के क्षेत्र में मौलिक योगदान के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने ढाई सौ के आसपास कहानियाँ लिखीं और उनके पांच उपन्यास भी प्रकाशित हुए थे। इनके अतिरिक्त नाटक, रेखाचित्र, संस्मरण, निबंध और बाल साहित्य में भी अपने अवदान के लिए स्वयं प्रकाश को हिंदी संसार में जाना जाता है। 

उन्हें भारत सरकार की साहित्य अकादमी सहित देश भर की विभिन्न अकादमियों और संस्थाओं से अनेक पुरस्कार और सम्मान मिले थे। उनके लेखन पर अनेक विश्वविद्यालयों में शोध कार्य  हुआ है तथा उनके साहित्य के मूल्यांकन की दृष्टि से अनेक पत्रिकाओं ने विशेषांक भी प्रकाशित किए हैं। 20 जनवरी 1947 को इंदौर में जन्मे स्वयं प्रकाश का निधन कैंसर के कारण 7 दिसम्बर 2019 को हो गया था।  

लम्बे समय से वे भोपाल में निवास कर रहे थे और यहाँ से निकलने वाली पत्रिकाओं 'वसुधा' तथा 'चकमक' के सम्पादन से भी जुड़े रहे।
प्रो श्रोत्रिय ने बताया कि इसी वर्ष आयोज्य समारोह में कथाकार मनोज कुमार पांडेय को सम्मान में ग्यारह हजार रुपये, प्रशस्ति पत्र और शॉल भेंट किये जाएंगे। इस सम्मान के लिए देश भर से बड़ी संख्या में प्रविष्टियाँ प्राप्त हुई थीं जिनमें से प्राथमिक चयन के बाद छह संग्रहों को निर्णायकों के पास भेजा गया। 

साहित्य और लोकतान्त्रिक विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए गठित स्वयं प्रकाश स्मृति न्यास में कवि राजेश जोशी(भोपाल), आलोचक दुर्गाप्रसाद अग्रवाल (जयपुर), कवि-आलोचक आशीष त्रिपाठी (बनारस), आलोचक पल्लव (दिल्ली), श्रीमती अंकिता सावंत (मुंबई) और श्रीमती अपूर्वा माथुर (दिल्ली) सदस्य हैं।

Web Title: Manoj Kumar Pandey gets first swayam prakash smriti samman for badalta hua desh

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