‘मन की बात’ सकारात्मकता, संवेदनशीलता का माध्यम, इसका चरित्र ‘सामूहिक’: मोदी

By भाषा | Published: July 25, 2021 01:24 PM2021-07-25T13:24:31+5:302021-07-25T13:24:31+5:30

'Mann Ki Baat' is a medium of positivity, sensitivity, its character is 'collective': Modi | ‘मन की बात’ सकारात्मकता, संवेदनशीलता का माध्यम, इसका चरित्र ‘सामूहिक’: मोदी

‘मन की बात’ सकारात्मकता, संवेदनशीलता का माध्यम, इसका चरित्र ‘सामूहिक’: मोदी

नयी दिल्ली, 25 जुलाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि ‘मन की बात’ कार्यक्रम में संदेश व सुझाव भेजने वालों में 75 प्रतिशत तादाद ऐसे युवाओं की है जिनकी उम्र 35 वर्ष से कम है और यह एक ऐसा माध्यम है जहां सकारात्मकता एवं संवेदनशीलता है तथा जिसका चरित्र ‘‘सामूहिक’’ है।

आकशवाणी से हर महीने के आखिरी रविवार को प्रसारित होने वाले इस कार्यक्रम की ताजा कड़ी में प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘मन की बात’ के श्रोताओं को लेकर एक अध्ययन किया गया जिसमें यह बात सामने आई कि संदेश व सुझाव भेजने वालों में करीब 75 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिनकी उम्र 35 वर्ष से कम है।

उन्होंने कहा, ‘‘यानी, भारत की युवा शक्ति के सुझाव ‘मन की बात’ को दिशा दे रहे हैं। मैं इसे बहुत अच्छे संकेत के रूप में देखता हूं।’’

मोदी ने कहा, ‘‘मन की बात एक ऐसा माध्यम है, जहां सकारात्मकता है...संवेदनशीलता है। इसमें हम सकारात्मक बातें करते हैं। इसका चरित्र सामूहिक है। सकारात्मक विचारों और सुझावों के लिए भारत के युवाओं की यह सक्रियता मुझे आनंदित करती है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि ‘मन की बात’ के माध्यम से मुझे युवाओं के मन को भी जानने का अवसर मिलता है।’’

उल्लेखनीय है कि ‘मन की बात’ को लेकर विपक्षी दल प्राय: आरोप लगाते हैं कि इसमें प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ होती है और जनता के ‘मन की बात’ को प्रमुखता नहीं दी जाती।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जनता से मिले सुझाव ही ‘मन की बात’ की असली ताकत हैं और ये सुझाव ही इस कार्यक्रम के माध्यम से भारत की विविधता को प्रकट करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘जनता से मिले सुझाव भारतवासियों की सेवा और त्याग की खुशबू को चारों दिशाओं में फैलाते हैं और हमारे मेहनतकश युवाओं के नवाचारों से सबको प्रेरित करते हैं।’’

मोदी ने कहा कि इस कार्यक्रम में भेजे गए सभी सुझावों व विचारों पर चर्चा तो नहीं हो पाती लेकिन उनमें बहुत सारे ऐसे होते हैं जिन्हें संबंधित विभागों को भेज दिया जाता है, ताकि उनपर आगे काम किया जा सके।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से नवाचार का काम कर रहे कुछ युवाओं की कहानी सुनाई और उम्मीद जताई कि इससे देश के युवा राष्ट्रहित में नए-नए क्षेत्रों की ओर प्रोत्साहित हो सकेंगे।

उन्होंने आंध्र प्रदेश के सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रनीथ का जिक्र किया और कहा कि वह विभिन्न स्रोतों से मौसम संबंधी जानाकारी हासिल करते हैं तथा उसका विश्लेषण करने के बाद अलग-अलग माध्यमों से उसे किसानों के बीच पहुंचाते हैं।

ओडिशा के संबलपुर जिले के सॉफ्टवेयर इंजीनियर ईसाक मुंडा का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि वह कभी एक दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते थे लेकिन अब एक ‘‘इंटरनेट सनसनी’’ बन गए हैं।

प्रधानमंत्री ने बताया कि वह अपने यू-ट्यूब चैनल से स्थानीय व्यंजन, पारंपरिक खाना बनाने के तरीके, अपने गांव, अपनी दिनचर्या और खान-पान की आदतों को प्रमुखता से दिखाते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘उनका यह प्रयास कई कारणों से सबसे अलग है। खासकर इसलिए कि इससे शहरों में रहने वाले लोगों को वह जीवनशैली देखने का अवसर मिलता है जिसके बारे में वह बहुत कुछ नहीं जानते। ईसाक मुंडा जी संस्कृति और खानपान दोनों को बराबर मिलाकर के हम सबको प्रेरणा भी दे रहे हैं।’’

इसी कड़ी में प्रधानमंत्री ने चेन्नई के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के पूर्व छात्रों द्वारा स्थापति स्टार्ट-अप ‘थ्री डी प्रिंटेड हाउस’ का उल्लेख किया और कहा कि देशभर में इस प्रकार के कई अनेक प्रयोग हो रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘एक समय था जब छोटे-छोटे निर्माण के काम में भी वर्षों लग जाते थे। लेकिन आज प्रौद्योगिकी की वजह से भारत में स्थिति बदल रही है।’’

वैश्विक आवासीय प्रौद्योगिकी चैलेंज का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अपनी तरह का अनोखा प्रयास है जिसके तहत कम समय में अधिक टिकाऊ, किफायती और आरामदायक आवास बनाए जाते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि फिलहाल देश में छह अलग-अलग जगहों पर ऐसी परियोजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है और हाल ही में उन्होंने ड्रोन तकनीक के माध्यम से इन परियोजनाओं की समीक्षा की।

इंदौर, चेन्नई, रांची, लखनऊ और अगरतला में विभिन्न देशों की अत्याधुनिक तकनीक और प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से चल रही परियोजनाओं की जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश में यह प्रयास हो रहा है कि ये परियोजनाएं ‘इंक्यूबेशन केंद्र’ के रूप में काम करें।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इन बातों को खास तौर पर अपने युवाओं के लिए साझा कर रहा हूं ताकि हमारे युवा राष्ट्रहित में प्रौद्योगिकी के नए-नए क्षेत्रों की ओर प्रोत्साहित हो सकें।

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