ममता सरकार ने सरकारी स्कूलों को जारी किया नया फरमान, कहा सभी स्कूलों में होंगे एक तरीके का ड्रेस कोड, जानें पूरा मामला
By आजाद खान | Published: March 21, 2022 08:50 AM2022-03-21T08:50:09+5:302022-03-21T08:56:06+5:30
ममता सरकार के इस पहल को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने राजनीतिक कदम बताया है।
कोलकाता: पश्चिम बंगाल के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग ने रविवार को जिलाधिकारियों से कहा कि वे स्कूल की वर्दी को लेकर निर्देशों का पालन करने के बारे में सरकारी स्कूलों से संवाद करें। एक नोटिस में कहा गया है कि एमएसएमई के तहत आने वाले स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) निर्दिष्ट रंगों की वर्दी, लोगो, स्कूल बैग और जूते तैयार करेंगे। एक अधिकारी ने कहा, ''एसएचजी द्वारा निर्दिष्ट मानदंडों, रंग और डिजाइन के अनुसार वर्दी, बैग और जूते का निर्माण पूरा होने के बाद इन्हें लागू किया जाएगा।'' अधिकारी ने कहा कि तब तक मौजूदा वर्दी का इस्तेमाल जारी रहेगा।
क्या है पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग ने राज्य के जिलाधिकारियों से कहा है कि वे सरकारी स्कूलों से बात करें और वहां पर एक समान स्कूल वर्दी या यूनिफॉर्म
का पालन करवाएं। विभाग ने यह भी कहा कि जल्द ही इन स्कूलों को स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) द्वारा बनाए गए एक समान की वर्दी, लोगो, स्कूल बैग और जूते दिए जाएंगे। जब तक छात्रों को यह समान नहीं मिलता है, वे अपने पहले वाले स्कूल वर्दी या यूनिफॉर्म को पहन सकते हैं। विभाग के इस निर्देश से राज्य में नया बवाल छिड़ गया है।
भाजपा ने किया इसका विरोध
विभाग के इस निर्देश पर भाजपा ने सख्त एतराज जताया और इस पर अपना रुख को साफ किया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा, "हम जानते हैं कि राज्य सरकार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की इच्छा को पूरा करने के लिए सभी सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों पर नीले-सफेद रंग की योजना और बिस्वा बांग्ला लोगो लगा रही है। यह एक शैक्षणिक संस्थान की स्वायत्तता के खिलाफ है और यह एक तृणमूल कांग्रेस का राजनीतिक कदम है। हम इसका विरोध करेंगे।"
टीएमसी नेता ने दिया जवाब
वरिष्ठ मंत्री और टीएमसी नेता सोवन्देब चट्टोपाध्याय ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार के बयान पर जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य में बहुत से ऐसे छात्र है जो स्कूलों द्वारा निर्धारित की गई वर्दियों को खरीद नहीं पाते हैं, ऐसे में यह कदम उन बच्चों के लिए भी होगा जिनके घर वालों के पास वर्दी के पैसे नहीं है। सारे स्कूल के हर छात्रों के पास एक तरीके की वर्दी हो यह सरकार चाहती है।