मालेगांव विस्फोट: बेटे को खोने वाले शख्स ने प्रज्ञा ठाकुर के चुनाव लड़ने पर रोक की उठाई मांग

By भाषा | Published: April 18, 2019 08:25 PM2019-04-18T20:25:50+5:302019-04-18T20:25:50+5:30

Malegaon blast: The man who lost the son demanded a ban on Pragya Thakur contesting | मालेगांव विस्फोट: बेटे को खोने वाले शख्स ने प्रज्ञा ठाकुर के चुनाव लड़ने पर रोक की उठाई मांग

विस्फोट की इस घटना में अपने बेटे को खोने वाले निसार सईद नाम के व्यक्ति ने अदालत में यह अर्जी दी है।

Highlightsबुधवार को भाजपा ने प्रज्ञा को मध्य प्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है।उत्तर महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में यह विस्फोट सितंबर 2008 में हुआ था, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी

मालेगांव विस्फोट में अपने बेटे को खोने वाले एक पिता ने बृहस्पतिवार को यहां विशेष एनआईए अदालत का रुख कर साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के लोकसभा चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का अनुरोध किया। विस्फोट की इस घटना में अपने बेटे को खोने वाले निसार सईद नाम के व्यक्ति ने अदालत में यह अर्जी दी है।

दरअसल, एक दिन पहले ही बुधवार को भाजपा ने प्रज्ञा को मध्य प्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है। उत्तर महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में यह विस्फोट सितंबर 2008 में हुआ था, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी जबकि सौ से अधिक लोग घायल हो गए थे।

विशेष एनआईए मामलों के न्यायाधीश वी एस पाडलकर ने एनआईए और प्रज्ञा, दोनों से इस पर जवाब मांगा है तथा मामले को सोमवार के लिए निर्धारित कर दिया। मृतक के पिता ने अर्जी में प्रज्ञा (फिलहाल जमानत पर रिहा) को मुंबई में अदालत की कार्यवाही में शामिल होने के लिए निर्देश देने और मामले में मुकदमे के प्रगति पर रहने को लेकर उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की है।

अर्जी में यह भी कहा गया कि प्रज्ञा स्वास्थ्य आधार पर जमानत पर हैं। यदि वह इस भीषण गर्मी में भी चुनाव लड़ने के लिए स्वस्थ हैं, तो फिर उन्होंने अदालत को गुमराह किया है। इसमें कहा गया है कि प्रज्ञा की जमानत रद्द करने की मांग करने वाली एक याचिका उच्चतम न्यायालय में लंबित है। उल्लेखनीय है कि मालेगांव विस्फोट मामले में महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ता (एटीएस) ने प्रज्ञा और अन्य को गिरफ्तार किया था।

उन पर आरोप है कि वे एक हिंदू चरमपंथी संगठन का हिस्सा थे, जिसने इस विस्फोट को अंजाम दिया था। हालांकि, एनआईए ने बाद में प्रज्ञा को क्लीन चिट दे दी थी, लेकिन अदालत ने उन्हें आरोप मुक्त नहीं किया था। अदालत ने प्रज्ञा के खिलाफ मकोका के तहत आरोप हटा दिए लेकिन वह अब भी गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत मुकदमे का सामना कर रही हैं।

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