महात्मा गांधी की हत्या से जुड़े दस्तावेज भारत की सांस्कृतिक विरासत: दिल्ली हाई कोर्ट
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: January 22, 2018 09:46 AM2018-01-22T09:46:08+5:302018-01-22T09:54:13+5:30
सीआईआई के फैसले के खिलाफ गृह मंत्रालय की ओर से दाखिल अपील पर सुनवाई के दौरान जस्टिस विभू बाखरू ने यह केंद्र सवाल किए हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या से जुड़े दस्तावेजों को भारत की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा बताया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि वह सीआईसी के निर्देश के मुताबिक राष्ट्रपति महात्मा गांधी की हत्या मामले की पूरी सूचना को किस तरीके से जुटाना और उसकी किस तरह से साज संभाल करना चाहता है।
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार पूछा है कि वह केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) निर्देश के तहत महात्मा गांधी की हत्या से जुड़ी सूचना व दस्तावेजों को किस तरह एकत्रित कर उसका संरक्षित करना चाहता है। सीआईआई के फैसले के खिलाफ गृह मंत्रालय की ओर से दाखिल अपील पर सुनवाई के दौरान जस्टिस विभू बाखरू ने यह केंद्र सवाल किए हैं। कोर्ट ने साफ तौर पर केंद्र से पूछा है महात्मा गांधी की हत्या से जुड़े दस्तावेज को कैसे केंद्र को संरक्षित करना है बताए।
सीआईसी की ओर से गृह मंत्रालय को आदेश दिया है कि वह आरटीआई याचिकाकर्ता को पुलिस जांच के मूल दस्तावेजों के साथ ही केस डायरी और अंतिम आरोपपत्र मुहैया कराए।
वहीं, इस बारे में सीआईसी ने दिल्ली पुलिस को भी निर्देश दिया कि तीन भगोड़े गंगाधर दहवाते, सूर्य देव शर्मा और गंगाधर यादव की गिरफ्तारी के लिए किए गए प्रयासों की भी सूचना दें। इसके जवाब में हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर गृह मंत्रालय ने कहा है कि यह मंत्रालय वह प्राधिकार नहीं है जिसके पास सारी सूचनाएं हैं और यह संस्कृति मंत्रालय, राष्ट्रीय अभिलेखागार या दिल्ली पुलिस के पास होगा।
गृह मंत्रालय ने अपना पक्ष साफ करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट को यह भी बताया है कि संस्कृति मंत्रालय मामले से जुड़ी सूचनाओं के एकत्रित करने और संरक्षण करने पर काम कर रहा है क्योंकि सीआईसी ने उसे भी निर्देश दिया था। मामले की अगली सुनवाई 12 फरवरी को होगी।