लोकतंत्र के लिए शर्मनाक: नासिक के गांवों में सरपंच पद की 2 करोड़ में हुई नीलामी, देखें वीडियो
By अनुराग आनंद | Published: January 14, 2021 09:02 AM2021-01-14T09:02:57+5:302021-01-14T09:08:27+5:30
महाराष्ट्र के नासिक में बुधवार को ग्राम पंचायतों उमरेन गांव और नंदुरबार के कोंडामाली में पंचायत सीटों की नीलामी की गई। नीलामी में दोनों सीटों के लिए क्रमशः 2 करोड़ और 42 लाख रुपये मिले। इस नीलामी की शिकायतों के बाद निर्वाचन आयोग ने एक्शन लेते हुए दोनों जगहों पर चुनाव रद्द करने का फैसला लिया है।
मुंबई: महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों में ग्राम पंचायत के चुनाव 15 जनवरी तक होने हैं। ऐसे में खबर है कि यहां के कई पंचायती सीटों पर लोग बोली लगाकर पंचायत प्रधान या अन्य पदों पर बैठ जाते हैं। एक तरह से देखा जाए तो यह लोकतंत्र के लिए काफी शर्मनाक बात है।
ऐसे ही एक मामले में सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद और शिकायत मिलने के बाद चुनाव आयोग की नींद खुली तो तुरंत वहां पर चुनाव रद्द कर दिया गया।
दरअसल, निर्वाचन आयोग को बुधवार को दो ग्राम पंचायतों - नासिक के उमरेन गांव और नंदुरबार के कोंडामाली में बोली लगाकर जनप्रतिनिधी चुने जाने के बारे में शिकायत मिली, जहां नीलामी में क्रमशः 2 करोड़ और 42 लाख रुपये मिले।
इस नीलामी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा। इसके बाद चुनाव आयोग ने इन दोनों सीटों के लिए हुए चुनाव को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया।
महाराष्ट्र के कई पंचायती सीटों पर इसी प्रक्रिया से पंचायत सदस्य चुने जाते हैं-
इंडियन एक्सप्रेस रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र के कई पंचायती सीटों पर इसी प्रक्रिया से पंचायत सदस्य चुने जाते हैं। पुणे जिले के खेड़ तालुका के तीन ग्राम पंचायतों- मोई, कुरुली और कूदे बुद्रुक के सभी पंचायत सदस्य निर्विरोध चुने गए हैं। एक ग्राम पंचायत में आमतौर पर नौ से 18 सदस्य होते हैं, जो गांवों के आकार और जनसंख्या पर निर्भर करता है।
इन तीनों ही ग्राम पंचायतों में ग्रामीणों ने "सर्वसम्मति से उम्मीदवारों" के साथ मिलकर काम करना स्वीकार किया है। लेकिन, सही मायने में देखा जाए तो यह प्रक्रिया नीलामी के माध्यम से होता है न कि चुनावी प्रक्रिया के तहत होता है। इस तरह से देखा जाए तो लोकतंत्र में लोगों को मताधिकार से यह प्रक्रिया वंचित करता है।
उदाहरण के लिए इस ग्राम पंचायत सदस्य से समझिए पूरा मामला-
इस उदाहरण से समझें कि किस तरह से लोकतंत्र विरोधी यह खेल खेला जा रहा है। मोई गांव में किरण गावरे नाम के एक व्यक्ति पंचायत सदस्य के तौर पर निर्विरोध चुने गए हैं। उन्होंने बताया कि निर्विरोध उम्मीदवार चुने जाने के लिए व्यापक तौर पर सार्वजनिक परामर्श लिए जाते हैं।
उनका कहना है कि लोगों की राय से ही कोई एक निर्विरोध चुनाव जीतता है। उन्होंने बताया कि इस बार हमारे गांव के लोगों ने यह तय किया था कि चुनाव में खर्च होने वाले पैसे से गांव में एक मंदिर का निर्माण होगा। इस तरह मंदिर के निर्माण के लिए पैसा देकर गावरे निर्विरोध चुन लिए गए।
यह पूछे जाने पर कि उनकी उम्मीदवारी का भुगतान किसने किया, उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। इस तरह एक ग्राम पंचायत नहीं बल्कि कई सारे ग्राम पंचायत में बोली लगाकर निर्विरोध उम्मीदवार को चुने जाते हैं।
This are poor farmers from Maharashtra buying seat of Sarpanch for ₹. 2 crore plus. Under able guidance of @CMOMaharashtra everything will be up for auction, a dream come true of @PawarSpeakshttps://t.co/k5E75YdjNI
— Unapologetic Sanatan Dharma 🇮🇳 (@drthakker9) December 29, 2020
आइए महाराष्ट्र के कुछ जिलों के ग्राम पंचायत चुनाव से जुड़े आंकड़े देखते हैं-
1 पुणे जिले की 746 ग्राम पंचायतों में से 81 सीट ऐसे हैं, जहां से केवल एक उम्मीदवार चुनावी मैदान में है।
2 नंदुरबार में, 87 ग्राम पंचायतों में से 22 सीटों पर सदस्य निर्विरोध निर्वाचित होंगे।
3 बीड जिले में 129 ग्राम पंचायतों में से 18 में निर्विरोध विजेता तय किए गए हैं।
4 कोल्हापुर में 433 ग्राम पंचायतों में से यह संख्या 47 है।
5 लातूर में, 401 ग्राम पंचायतों में से निर्विरोध करीब 25 सीटों पर विजेता तय किए गए हैं।
वायरल वीडियो पर लिया गया संज्ञान-
4 जनवरी को, राज्य के निर्वाचन आयुक्त यू.पी.एस. मदन ने इन नीलामी के वीडियो और मीडिया रिपोर्टों पर संज्ञान लिया था। इसके बाद उन्होंने संबंधित जिला कलेक्टरों को इन घटनाओं को "लोकतंत्र की भावना के विपरीत" बताते हुए जांच करने का आदेश दिया था।