Coronavirus: रेमडेसिवीर की आपूर्ति सुचारू होने में लगेगा एक सप्ताह, महाराष्ट्र में क्या हैं हालात, जानिए
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 9, 2021 07:43 AM2021-04-09T07:43:08+5:302021-04-09T07:43:33+5:30
रेमडेसिवीर (Remdesivir) दवा का इस्तेमाल कोरोना मरीजों के इस्तेमाल में किया जाता रहा है। हालांकि अक्टूबर-नवंबर के बाद कोरोना के मामलों में कमी आने के बाद कई कंपनियों ने इस दवा के उत्पादन को कम कर दिया। अब अचानक मामलों के बढ़ने के बाद रेमडेसिवीर की कमी देखी जा रही है।
अतुल कुलकर्णी
मुंबई: कोरोना संक्रमण की पहली लहर में कमी आने पर देश की सातों कंपनियों द्वारा दिसंबर में रेमडेसिवीर (Remdesivir) का उत्पादन रोक दिए जाने के बाद अचानक बड़े पैमाने पर संक्रमण की दूसरी लहर आने और अनेक निजी अस्पतालों में बेवजह मरीजों के बिल बढ़ाने के लिए यह इंजेक्शन दिए जाने के कारण ही इसकी कमी होने की जानकारी सामने आई है.
भारत में हेटेरो, जायडस, जुबिलंट, डॉ. रेड्डीज, मायलॉन, सन फार्मा और सिप्ला कंपनियां रेमडेसिवीर का उत्पादन कर रही हैं. इसके सिर्फ कोरोना के उपचार में प्रभावी होने की वजह से पहली लहर के समय इसका उत्पादन किया गया. लेकिन, मरीजों की संख्या में कमी होने के साथ ही इसकी मांग भी कम होती गई.
इसके चलते इन कंपनियों ने उत्पादन कम कर दिया. कुछ ने तो उत्पादन बंद ही कर दिया. महाराष्ट्र में अन्न एवं औषधि प्रशासन विभाग के आयुक्त अभिमन्यु काले ने लोकमत समाचार को बताया , ''इन कंपनियों ने दिसंबर के अंत में उत्पादन रोक दिया था, लेकिन अब फिर शुरू कर दिया है. फिलहाल महाराष्ट्र को प्रतिदिन 50 से 60 हजार रेमडेसिवीर इंजेक्शन उपलब्ध कराए जा रहे हैं . इनकी रोजाना खपत भी उतनी ही है.''
रेमडेसिवीर को पर्याप्त संख्या में उपलब्ध कराने में लगेगा एक सप्ताह का समय
अभिमन्यु काले ने बताया कि अब भले ही उत्पादन की शुरुआत हो चुकी हो, लेकिन इसके बाजार में अधिकाधिक मात्रा में उपलब्ध होने के लिए 15 से 20 अप्रैल तक का इंतजार करना होगा. साथ ही काले ने दो-टूक कहा कि निजी अस्पतालों में मरीजों के उपचार के दौरान बड़े पैमाने पर रेमडेसिवीर का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है.
उन्होंने कहा, ''राज्य सरकार रेमडेसिवीर की मांग नहीं करती. सरकारी अस्पतालों के लिए इसक ा दर करार किया गया है. इस वजह से सरकारी अस्पतालों में इसकी कमी नहीं है. निजी अस्पतालों और दुकानदारों को कंपनी की ओर से इसकी आपूर्ति की जाती है. वहां इसकी कमी है.''
महाराष्ट्र के अन्न एवं औषधि प्रशासन मंत्री राजेंद्र शिंगणे ने कहा कि सरकारी कोविड सेंटर या सरकारी अस्पतालों में टास्क फोर्स की सिफारिशों के अनुसार ही संक्रमितों का उपचार किया जा रहा है.
उन्होंने कहा, ''इंजेक्शन के इस्तेमाल की पद्धति तय की गई है. लेकिन, निजी अस्पताल अपना बिल बढ़ाने के लिए इस पद्धति को नजरंदाज कर रहे हैं. बिना जरूरत के भी इसका उपयोग किया जा रहा है. इसपर रोक लगाने से परिस्थिति नियंत्रण में आ सकती है. यह नफाखोरी का समय नहीं है. बढ़ा-चढ़ाकर बिल लेने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.''
रेमडेसिवीर के लिए लग रही कतारें
राज्य के सरकारी अस्पतालों में यह इंजेक्शन उपलब्ध है और टास्क फोर्स की पद्धति के अनुसार ही यह मरीजों को दिया जा रहा है. संक्रमण की दूसरी लहर आने और संक्रमितों की संख्या बढ़ने की वजह से अनेक निजी अस्पतालों को भी कोरोना संक्रमितों के इलाज की अनुमति दी गई.
उनके पास खुद का मेडिकल स्टोर नहीं होने से उन्होंने मरीजों को बाहर से यह इंजेक्शन लाने के लिए कहा. जिन निजी अस्पतालों में खुद के मेडिकल स्टोर हैं, उन्होंने 'लिमिटेड स्टॉक' होने का हवाला देकर मरीजों के परिजनों को बाहर से इंजेक्शन लाने के लिए कहा. जो लोग ज्यादा पैसे देने को तैयार हैं, उन्हें निजी अस्पतालों में यह इंजेक्शन मिल रहा है. परिणामस्वरूप राज्यभर में रेमडेसिवीर के लिए कतारें लग रही हैं.