महाराष्ट्र: राज्यपाल जीतेंगे या मरेंगे जैसे आवेश में हैं: विश्वविद्यालय परीक्षा विवाद को लेकर शिवसेना
By अनुराग आनंद | Published: June 5, 2020 02:21 PM2020-06-05T14:21:43+5:302020-06-05T14:21:43+5:30
उद्धव ठाकरे द्वारा ‘सरकार’ के रूप में निर्णय लिया गया कि डिग्री के अंतिम वर्ष की परीक्षा न लेते हुए छात्रों को पिछले सत्र के अंकों का मूल्यांकन करके औसत अंक दिए जाएंगे।
नई दिल्ली: देश भर में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। महाराष्ट्र कोरोना संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले राज्यों में से एक है। ऐसे में महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार चाहती है कि विश्वविद्यालयों की परीक्षा को अभी या तो टाल दिया जाय या तो कोई वैकल्पिक तरीका अपनाया जाए। वहीं, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा है कि परीक्षाएं विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार होनी चाहिए।
इस मामले में शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा कि इस समय राज्यपाल जीतेंगे या मरेंगे जैसे आवेश में हैं लेकिन किसे जीतना है.. या किसे मारना है...इसे भी एक बार अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए।
उद्धव ठाकरे सरकार ने परीक्षा को लेकर किया था ये फैसला
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा ‘सरकार’ के रूप में निर्णय लिया गया कि डिग्री के अंतिम वर्ष की परीक्षा न लेते हुए छात्रों को पिछले सत्र के अंकों का मूल्यांकन करके औसत अंक दिए जाएंगे। सामना में शिवसेना ने लिखा है कि सरकार के इस निर्णय का छात्रों, अभिभावकों और शिक्षा विशेषज्ञों ने स्वागत किया। लेकिन, विपक्ष के विरोध के बाद यह मामला राजभवन पहुंच गया और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य सरकार द्वारा परीक्षा रद्द करने के निर्णय पर आपत्ति जताई। विपक्ष से पत्र प्राप्त होते ही राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के निर्णय का विरोध करते हुए एक पत्र लिखा और मीडिया में इसकी घोषणा भी की।
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने परीक्षा के मामले में ये कहा-
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का कहना है कि परीक्षाएं विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार होनी चाहिए। राज्यपाल ने स्वयं कहा कि परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए और परीक्षा होगी। इसी पर शिवसेना ने कहा कि राज्यपाल एक प्रकार से जीतेंगे या मरेंगे जैसे आवेश में हैं। लेकिन किससे जीतना है और किसे मारना है, इसे भी एक बार समझ लेना चाहिए। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को सूचित किया है कि राज्य सरकार, राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति के रूप में, पिछले सत्र के अंकों का मूल्यांकन करने के बाद औसत अंक तय करते समय राज्यपाल को विश्वास में लेना चाहिए था।